जनसँख्या वृद्धि और बच्चों के पैदा होने की दर कहीं न कहीं से हमको एक संकट की तरफ ले जा रही है। जनसँख्या किसी भी देश के भूगोल पर आधारित होनी चाहिए जिससे ऐसा मौका न आये कि देश में कृषि और जंगल हेतु ज़मीन ही न बचे। ऐसी स्थिति में एक बड़ी आपदा का आगमन होने की सम्भावना अत्यधिक बढ़ जाती है। वर्तमान काल में यदि देखा जाए तो भारत की जनसँख्या में अभूतपूर्व इजाफा हुआ है और इसके परिणामस्वरुप आज हम दुनिया में जनसँख्या के मामले में दूसरे स्थान पर काबिज़ हो चुके हैं।
जौनपुर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में बसा एक जिला है और उत्तर प्रदेश भारत का सबसे ज्यादा जनसँख्या वाला शहर है। जौनपुर की जनसँख्या 2011 की गणना के अनुसार करीब 45 लाख है। पूरे दुनिया भर में जनसँख्या एक समस्या है तथा संयुक्त राष्ट्र ने इस विषय पर कई प्रकार की बातें कहीं हैं जिनको मूल रूप से आत्मसात करने की ज़रूरत है। जब जौनपुर, संयुक्त राष्ट्र और जनसँख्या की बात हो तो ऐसे में ब्रितानी भारत के जौनपुर में पैदा हुयी नफीस सादिक का ज़िक्र होना अति आवश्यक हो जाता है। नफीस सादिक जौनपुर में पैदा हुईं तथा इनके माता-पिता इफ्फत आरा और मोहम्मद शोइब थे। मोहम्मद शोइब जौनपुर से ही ताल्लुकात रखते थे तथा भारत के विभाजन के दौरान वे पकिस्तान चले गए थे और वहां पर वे पाकिस्तान के वित्त मंत्री बनाये गए थे। दवाई में डॉक्टर (Doctor) की उपाधि धारण करने के कारण नफीस ने विभिन्न बच्चों के अस्पताल में काम किया और वे पाकिस्तान के परिवार नियोजन विभाग की मुखिया बनी। ऐसे तमाम कार्यों की वजह से उनको संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल (UN Secretary General) की सलाहकार बनाया गया। इसके अलावा उनको जनसँख्या नियंत्रण विभागों का भी कार्यभार सौंपा गया जो कि एशिया महाद्वीप पर आधारित था।
जनसँख्या नियंत्रण पर इनके जो विचार हैं, वे वास्तविकता में अत्यंत ही कारगर साबित हो सकते हैं। एक साक्षात्कार में इन्होंने कहा कि बच्चों के जन्म के लिए महिलाओं का भी एक अधिकार होना चाहिए जिसमें उनकी हामी ज़रूरी हो। महिलाओं के विचारों को यदि अहमियत दी जाए तो जनसँख्या के नियंत्रण में एक अभूतपूर्व बदलाव देखा जा सकता है। यह अक्सर देखा जाता है कि बच्चों के जन्म का निर्णय पुरुष ही लेते हैं जो कि सिर्फ एक पक्षीय बात है। जब तक दोनों पक्ष इस बात पर सहमत न हो जाएँ कि, हाँ यह समय सटीक है बच्चा पैदा करने के लिए, तब तक बच्चा पैदा करने में कोताही बरतने की आवश्यकता है। जनसँख्या नियंत्रण के लिए सहवास के दौरान सुरक्षा का प्रयोग करना आवश्यक होता है। यह अनचाहे गर्भ से निजात तो दिलाता ही है और कई प्रकार की बीमारियों से भी बचाता है।
शिक्षा का प्रसार होना एक अति आवश्यक बिंदु है, शिक्षा के माध्यम से ही जनसँख्या के प्रभावों को लोगों तक पहुँचाया जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र के विशेषाधिकार पत्र में बच्चों के जन्म और जनसँख्या को शिक्षा के स्तर पर भी देखा जाता है। मृत्युदर और जन्मदर के मध्य भी आंकड़ा देखना एक आवश्यक बिंदु है। यह जनसँख्या में वृद्धि और कमी के बीच का रिश्ता प्रस्तुत करता है। यदि जनसँख्या विस्फोट पर नकेल नहीं कसी गयी तो संभवतः एक अत्यधिक बड़ी समस्या को आने से रोका जाना असंभव हो जायेगा।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2ZO8Owk
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Nafis_Sadik
3. https://bit.ly/2Fvdhfy
4. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3392605/
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