प्राणायाम और पतंजलि योग के 8 चरण

जौनपुर

 21-06-2019 10:16 AM
य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

योग वो एहसास है जो हमें परिमित में अनंत की उपस्थिति का आभास करवाकर इसके बारे में जागरूक बनाकर पूर्णता का एहसास करवाता है। योग के अभ्यास से मनुष्य को बाहर से कुछ प्राप्त नहीं होता बल्कि उसके स्वयं के बारे में ज्ञान मिलता है। ये बताता है कि आप भले ही अब तक खुद को एक भिखारी समझ रहे हों परन्तु आप वास्तव में एक सम्राट के पुत्र हैं। योग से मनुष्य को ज्ञान मिलता है कि जीवन में क्या महत्वपूर्ण है और क्या नहीं - किसी चीज़ पर कब्ज़ा नहीं, बल्कि जागरूकता तथा ज्ञान।

हमें शास्त्र और भौतिकी आदि की पुस्तकों में बताया गया है, कि विश्व में पांच तत्व हैं - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश। वे वास्तव में पांच तत्व नहीं हैं। वे एक एकल भौतिक पदार्थ के घनत्व के पांच स्तर हैं। इनके प्रारंभ और अंत को भापा नहीं जा सकता है। इसी प्रकार चेतना की परतें भी होती हैं - शारीरिक, महत्वपूर्ण, संवेदी, मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक, जो योग की प्रथाओं द्वारा दर्शाए गए हैं। आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि ऐसी प्रक्रियाएं हैं जो एक दूसरे के साथ एक दूसरे के संगम की तरह काम करती हैं।

ऋषि पतंजलि ने अपने योग सूत्रों में योग के इन आठ अंगों का स्पष्ट वर्णन किया है।

1. यम

यम एक आध्यात्मिक महाप्रण है जिसमें पांच संयम होते हैं। समाधी कि चेष्ठा रखने वाले को इनका ज्ञान अवष्य होना चाहिय-

• अहिंसा
• सत्य
• ईमानदारी
• निरंतरता
• गैर-स्वामित्व

2. नियम

नियम ज़िन्दगी को रूप देने के लिए पाँच वेध सिखाते हैं:

• स्वच्छता
• संतोष
• स्वयं अध्ययन
• तप
• ब्रह्मांड बनाने वाले उच्च सिद्धांत के प्रति समर्पण

3. योग आसन

योग आसन में शरीर को स्वस्थ और आरामदायक रखने के लिए विभिन्न शारीरिक व्यायाम व आसन हैं। इसे अधिकतर बैठे हुए किआ जाता है क्योंकि बैठने की मुद्रा आसन है, खड़े होकर ध्यान करने से शरीर का पतन हो सकता है, और लेटना नींद को प्रेरित कर सकता है। आसन दृढ़ और आसान होना चाहिए। यह स्थिर होना चाहिए और किसी भी तरह की असुविधा का कारण नहीं होना चाहिए। योग ताल है। इसलिए आसन योग की शुरुआत है, जिसमें मनुष्य खुद को ब्रह्मांडीय क्रम से जोड़ना शुरू करता है।

4. प्राणायम

प्राण का अर्थ है महत्वपूर्ण बल। यम का अर्थ है नियंत्रण। इस प्रकार प्राणायम का अर्थ है महत्वपूर्ण बल का नियंत्रण। प्राणियों में प्राण शक्ति का संचालन श्वास की प्रक्रिया से होता है। आसन और प्राणायाम एक साथ चलते हैं। भौतिक शरीर की गतिविधि और प्राण के बीच एक अंतरंग संबंध है। प्राण वह ऊर्जा है जो संपूर्ण शारीरिक प्रणाली को व्याप्त करती है और शरीर और मन के बीच एक माध्यम के रूप में कार्य करती है। साँस लेने की प्रक्रिया में पूरक, रेचक और कुंभक तीन कार्य हैं।

पूरक का अर्थ है भरना और उस प्रेरणा को इंगित करता जो प्राण के साथ प्रणाली का पोषण करती है। रेचक का अर्थ है खाली करना जो समाप्ति का संकेत देता है। कुंभक साँस छोड़ने और साँस लेने के बीच में प्रतिधारण या ठहराव है। प्राणायम में प्राण शक्ति पर नियंत्रण स्थापित करने की असंख्य तकनीकें हैं।

5. प्रत्याहार

प्रत्याहार का अर्थ है 'अमूर्तता' या 'वापस लाना' मतलब बाहरी सूचना से इंद्रियों को हटना। जिस प्रकार आसन प्राणायम में मददगार है उसी तरह प्राणायम प्रत्याहार में मदद करता है। आसन स्थिर शारीरिक मुद्रा है; प्राणायाम सांस की उचित हेरफेर के भीतर ऊर्जा का सामंजस्य या नियमितीकरण है। प्रत्याहार अपनी-अपनी इंद्रियों की शक्तियों को रोकना है।

6. धारणा

धारणा का अर्थ है एकाग्रता। किसी विशेष अवधि के लिए किसी विशेष विचार का चिंतन करना एकाग्रता है।

7. ध्यान

ध्यान वह है जब मन बिना किसी तनाव या प्रयास के लंबे समय तक लगातार एकाग्रता की ओर प्रवाहित होने लगे। ध्यान में विचार इस हद तक गहराई में चले जाते हैं कि मनुष्य को ध्यान के विषय के दायरे से बाहर कोई जागरूकता नहीं होती है।

8. समाधि

समाधि का अर्थ है एकीकरण। एकीकरण एक ऐसी अवस्था है जिसमें विषय, वस्तु और प्रक्रिया एक हो जाते हैं। समाधि में पूरी प्रक्रिया वस्तु के साथ एकजुट हो जाती है, जो किसी नदी के समुद्र में मिलने जैसा है, जिस स्थिति में नदी का अस्तित्व ख़त्म हो जाता है और वह स्वयं समुद्र बन जाती है।

संदर्भ:

1. https://www.swami-krishnananda.org/disc/disc_223.html
2. http://www.schoolofsanthi.com/8limbs_yoga.php
3. https://www.swami-krishnananda.org/yoga/yoga_08.html
4. https://www.swami-krishnananda.org/yoga/yoga_13.html



RECENT POST

  • इस क्रिसमस पर, भारत में सेंट थॉमस द्वारा ईसाई धर्म के प्रसार पर नज़र डालें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:23 AM


  • जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के गहरे अध्यात्मिक महत्व को जानिए
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:21 AM


  • आइए समझें, भवन निर्माण में, मृदा परिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:26 AM


  • आइए देखें, क्रिकेट से संबंधित कुछ मज़ेदार क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:19 AM


  • जौनपुर के पास स्थित सोनभद्र जीवाश्म पार्क, पृथ्वी के प्रागैतिहासिक जीवन काल का है गवाह
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:22 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के फूलों के बाज़ारों में बिखरी खुशबू और अद्भुत सुंदरता को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:15 AM


  • जानिए, भारत के रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में, कौन सी कंपनियां, गढ़ रही हैं नए कीर्तिमान
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:20 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के खेतों की सिंचाई में, नहरों की महत्वपूर्ण भूमिका
    नदियाँ

     18-12-2024 09:21 AM


  • विभिन्न प्रकार के पक्षी प्रजातियों का घर है हमारा शहर जौनपुर
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:23 AM


  • जानें, ए क्यू आई में सुधार लाने के लिए कुछ इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स से संबंधित समाधानों को
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id