वर्तमान में कपड़ा उद्योग में नैनो प्रौद्योगिकी (Nano Technology) का चलन धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। शायद आपने भी यह नाम पहले कहीं सुना होगा और यदि नहीं सुना है तो क्या आप जानते हैं कि वास्तव में नैनो प्रौद्योगिकी है क्या? नैनो प्रौद्योगिकी वह अप्लाइड साइंस (Applied Science) या विज्ञान है, जिसमें 100 नैनोमीटर (Nanometre) से छोटे कणों पर भी काम किया जाता है। हमारी रोज़मर्रा की ज़रुरत की चीज़ों से लेकर दवाईयों और बड़ी-बड़ी मशीनरियों (Machineries) में भी नैनो प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है। नैनो प्रौद्योगिकी अणुओं व परमाणुओं की वह अभियांत्रिकी है, जो भौतिकी, रसायन, बायो इन्फॉर्मेटिक्स (Bio Informatics) व बायो टेक्नोलॉजी (Bio Technology) जैसे विषयों को आपस में जोड़ती है। इस तकनीक का उपयोग कपड़ा उद्योग में भी किया जा रहा है और इस कारण इसे ‘नैनो प्रौद्योगिकी वस्त्र’ नाम दिया गया है।
वास्तव में यह कोई नई घटना नहीं है। 2000 के दशक के मध्य में कई कपड़ा कंपनियों (Companies) ने अपने उत्पादों में चांदी के नैनोकणों को शामिल करना शुरू कर दिया था। आज नैनोकणों वाले मोज़े से लेकर टी-शर्ट (T-Shirt) तक सभी लोकप्रिय होते जा रहे हैं। नैनोटेक्नोलॉजी के द्वारा उत्पादित किये गये कपड़ों में स्व-सफाई की विशेषता होती है। इसके अलावा यह कपड़ो की दुर्गंध को भी दूर करता है और कपड़े को रोगाणुओं और बैक्टीरिया से सुरक्षित रखता है। हाल ही में चांदी और तांबे के नैनोकणों के साथ लेपित कपड़े का उत्पादन किया गया था जिसने सूर्य के संपर्क में आने पर जैविक पदार्थों जैसे कि कपड़ों पर लगे भोजन और गंदगी को निम्नीकृत किया। नैनो कण प्रकाश को अवशोषित करते हैं, जो उच्च ऊर्जा के इलेक्ट्रॉनों (Electrons) का उत्पादन कर जैविक पदार्थों का विघटन करता है। इस प्रकार नैनो प्रौद्योगिकी से उत्पादित किये गये वस्त्र स्वयं ही खुद को साफ करने में भी सक्षम होते हैं।
नैनो प्रौद्योगिकी का संबंध ‘मकड़ी रेशम’ से भी है। 2009 में एमेरीविल (Emeryville), कैलिफ़ोर्निया में स्थापित स्टार्टअप (Startup) ‘बोल्ट थ्रेड्स’ (Bolt Threads) ने आनुवंशिक रूप से संशोधित खमीर का उपयोग करके कृत्रिम मकड़ी रेशम बनाने के लिए 213 मिलियन डॉलर वित्त पोषण में लिया। मकड़ी रेशम स्टील (Steel) की तुलना में बहुत मज़बूत है तथा नरम होने के कारण यह यार्न (yarn) में कताई और टिकाऊ कपड़े बनाने के लिए एकदम सही है। 2017 के दौरान, बोल्ट थ्रेड्स ने माउंटेन मेडो (Mountain Meadow) और स्टेला मेकार्टनी (Stella McCartney) जैसे उद्योगों के साथ कार्य करना शुरू किया जिन्होंने मकड़ी रेशम को पेरिस रनवे (Paris Runway) और न्यूयॉर्क म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट (New York Museum of Modern Art) में जगह दी।
वैज्ञानिकों के अनुसार मकड़ी रेशम का प्रत्येक धागा जो एक मानव बाल की तुलना में 1000 गुना पतला है, वास्तव में हज़ारों नैनोधागों से मिलकर बना है जिनका व्यास 20 मिलियन मिलीमीटर है। नैनोफाइबर (Nanofibre) ही आपस में मिलकर मकड़ी रेशम बनाते हैं। इनमें विशेष गांठें होती हैं जो इन्हें मज़बूत बनाती हैं और इस कारण ही मकड़ी का रेशम स्टील की तुलना में पांच गुना अधिक मज़बूत होता है। कुछ समय पहले सेंट लुइस (St. Louis) में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक बायोसिंथेटिक (Biosynthetic) मकड़ी रेशम बनाया जिसे जीवाणुओं द्वारा निर्मित किया गया था। यह कृत्रिम मकड़ी रेशम पूरी तरह से जैव निम्नीकरणीय और सस्ता है। इसे बनाने में पानी, सिलिका (Silica) और सेलूलोज़ (Cellulose) का उपयोग भी किया जाता है। इसकी ऊर्जा अवशोषित करने की क्षमता कपड़े को सुरक्षात्मक आवरण देती है।
मार्च 2010 में, कोरिया एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (Korea Advanced Institute of Science & Technology) के शोधकर्ताओं ने मकड़ी रेशम को बनाने के लिये ई. कोलाई (E. coli) का उपयोग किया जिसमें मकड़ी नेफिला क्लेवाइप्स (Nephila clavipes) के जींस (Genes) को संशोधित किया गया था और आज इसी प्रकार से मकड़ी रेशम को और भी व्यापक बनाने के लिये विभिन्न जीवों का प्रयोग किया जा रहा है।
संदर्भ:
1. http://sustainable-nano.com/2018/11/28/nano-textiles/
2. https://www.nanalyze.com/2018/02/7-startups-nano-clothing-technologies/
3. https://bit.ly/2ORLd89
4. https://bit.ly/2Zx8vpA
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Spider_silk
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