हममें से कई लोगों ने पक्षियों को सुबह के समय प्रवास करते हुए देखा और इस बारे में सुना भी होगा, लेकिन क्या कभी किसी ने पक्षियों को रात के समय प्रवास करते हुए देखा है। जी हाँ, पक्षियों की कुछ प्रजाति झुंड बना कर रात में भी प्रवास करती हैं। जिसमें अधिकांश भूमि पक्षी रात में प्रवास करते हैं। जैसे कोयल, फ्लाईकैचर (Flycatchers), वॉरब्लर (Warblers), वीरियोस (Vireos), ओरियोल्स (Orioles), स्पैरो (Sparrows), थ्रश (Thrush) और सॉन्गबर्ड (Songbird) रात में अपनी उड़ान भरते हैं। ये पक्षी ज्यादा फुर्तीले नहीं होते हैं इसलिए शिकारियों से बचने के लिए ये रात में प्रवास करते हैं।
रात में प्रवास करने के कम से कम तीन फायदे होते हैं। सर्वप्रथम पक्षियों को बाज़ के हमला करने का डर नहीं होता है। दूसरा, वातावरण में हवा आमतौर पर दिन के मुकाबले रात में शांत होती है। अंतः रात में हवा ठंडी होती है। एक प्रवासी पक्षी काफी अधिक मात्रा में गर्मी उत्पन्न करता है, जिससे उसे बाहर भी निकालना आवश्यक होता है। अधिकांश गर्मी पंखहीन पैरों से निकल जाती है और बाकी ठंडी हवा की मदद से निकाल दी जाती है।
शरद ऋतु में उत्तरी अमेरिका में पक्षियों की कुछ प्रजातियां रात को प्रवास करते समय अपनी ध्वनि में एक असाधारण विविधता उत्पन्न करती हैं। इस ध्वनि का बायोअकौस्टिक (Bioacoustics) उपकरणों का उपयोग करके पता लगाया जा सकता है। इन छोटी और सरल ध्वनियों को फ्लाईट कॉल्स (Flight calls) कहते हैं। यह ध्वनियाँ प्रवासी पक्षियों के झुंड के बीच संवाद और संचार करने में मदद करती हैं। हालांकि वैज्ञानिक इस बात पर निश्चित नहीं हैं कि रात में प्रवास करने वाले पक्षी ध्वनि निकालते हैं, लेकिन व्यापक रूप से कुछ सिद्धांतों को स्वीकारा किया गया है। कुछ अनुसंधान से यह पता चलता है कि पक्षी ध्वनि खराब मौसम या अन्य किसी समस्या के दौरान झुंड को एक साथ रखने के लिए निकालते हैं। इसलिए संभव है कि वे रात में संचार घातक दुर्घटनाओं को रोकने के लिए करते होंगे। क्योंकि मानव निर्मित कई चीज़ें इनके रास्ते मे आती हैं और इन चीज़ों से पक्षियों के टकराने की संभावना बढ़ जाती है।
रात में प्रवास करने वाले पक्षी अपनी यात्रा को उन्मुख करने के लिए सितारों का उपयोग करते हैं। वहीं मनुष्यों द्वारा बनायी गयी कृत्रिम रोशनी पक्षियों की इन उड़ानों को बाधित करती है जिसके परिणाम बहुत घातक होते हैं। कृत्रिम रोशनी पक्षियों के हवाई क्षेत्र को घेर लेती है जिस कारण प्रकाश की असामान्य उपस्थिति से उनके दिशा सूचक यंत्र में विचलन उत्पन्न हो जाता है। एक रोशनी वाली ऊंची इमारत एक ही रात में सैकड़ों प्रवासी पक्षियों को मार सकती है।
फ्लाईट कॉल्स का सम्बंध इन प्रवासी पक्षियों की मृत्यु से भी है। कई प्रवासी पक्षी कृत्रिम रोशनी के कारण अपने मार्ग की पहचान नहीं कर पाते और फलस्वरूप कृत्रिम रोशनी वाले खम्बों या मीनारों से टकराकर मर जाते हैं। शोधों में पाया गया है कि जो पक्षी फ्लाईट कॉल्स कर पाने में सक्षम होते हैं वे अपने मार्ग से बाधित नहीं होते किंतु जो पक्षी फ्लाईट कॉल्स का उपयोग नहीं करते वे इन कृत्रिम रोशनी के कारण मीनारों आदि से टकराकर मर जाते हैं।
एक स्पष्ट और बढ़ती वैज्ञानिक सहमति हमें सिखाती है कि कृत्रिम रोशनी का प्रवासी पक्षियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वर्तमान जैव विविधता संकट के दौरान पक्षियों के सामने आने वाले कई अन्य खतरों के बीच, कृत्रिम रोशनी के प्रभाव को हमारे स्वयं के व्यवहार में आसान बदलावों के द्वारा कम किया जा सकता है। वसंत और पतझड़ में हमें रात के समय में अपने घर के बाहर की रोशनी बंद कर देनी चाहिए।
संदर्भ :-
1. https://www.quora.com/Do-migrating-birds-fly-at-night
2. https://web.colby.edu/mainebirds/2011/11/09/nocturnal-migration/
3. https://bit.ly/2XTjM2X
4. https://www.sciencedaily.com/releases/2008/07/080707132313.htm
5. https://on.natgeo.com/2qHgyRB
6. https://bit.ly/2XbaHFN
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