"हंगर" एक मूक भारतीय फिल्म है जो खाद्य बर्बादी पर आधारित है। जैसा कि इसके शीर्षक से ही प्रस्तुत हो रहा है की ये भूख (Hunger) पर आधारित है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, हर दिन लगभग 21,000 लोग भूख या भूख से संबंधित कारणों से मरते हैं, यह हर चार सेकंड में एक व्यक्ति है। जबकि हम अपने रोज़ की ज़िन्दगी में ना जाने कितना खाना बर्बाद कर देते हैं। फिल्म में दिखाये गये दृश्य अन्दर से झकझोर के रख देते हैं। यह फिल्म एक संवेदनशील मुद्दे पर बनी है जो दर्सक के अन्दर तक प्रहार करते हैं। हम प्रतिदिन हमारे घरों, दुकानों और दफ्तरों के आसपास और सड़कों पर ना जाने इसे कितने ही विचलित कर देने वाले दृश्य देखते होंगे किन्तु इस भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में अनदेखा करते हुए लग जाते है। इस फिल्म में भूख से बेहाल एक अनाथ और गरीब बच्चे को भूख से तड़पते दिखाया हुआ है। वो भीख मांग रहा है और होटलों के सामने खड़ा है परन्तु खी से भी मदद ना मिलने पर वह मज़बूरी में कंकड़ और मिटटी खा रहा है। फिल्म शुरू से अंत तक भावशील सन्देश देने में तो कामयाब होती ही है साथ ही अंत में एक भावविभोर कसक दे जाती है जो दर्शक के दिमाग में एक प्रभावशील बदलाव की कोशिश करती है। ये कोशिश करती है इस विषय पर गंभीरता और बदलाव लाने का, तो आइये देखते हैं इस फिल्म को और इसके द्वारा दिए गये सन्देश को समझने की कोशिश करते हैं जिससे इस समस्या का कोई सामाजिक हल निकल सके।
फिल्म को प्रदर्शित किया है एपी फ्रेम्स (AP Frames) ने।
फिल्म को लिखा है और निर्देशित किया है अखिल प्रसाद ने।
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.