मातृ दिवस पर माँ की ममता को नमन

विचार II - दर्शन/गणित/चिकित्सा
12-05-2019 12:03 PM

आज मातृ दिवस या मदर्स डे (mother’s Day) है। मदर्स डे माँ के साथ-साथ मातृत्व, मातृत्व बंधन और समाज में माताओं के प्रभाव का सम्मान करने वाला उत्सव है। यह दुनिया के कई हिस्सों में विभिन्न दिनों में मनाया जाता है, आमतौर पर मई के महीने में। तो आइये मिलकर मातृ दिवस के दिन प्रत्येक माँ को समर्पित और विकल (भारतीय कवि) द्वारा लिखी गयी यह कविता और ऊपर दिए गये चल चित्र का (जिसमे रेत कला (Sand Art) के माध्यम से माँ को द्रश्यान्वित किया गया है।) आनंद लेते हैं,

मैं अपने छोटे मुख कैसे करूँ तेरा गुणगान,
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान..
माता कौशल्या के घर में जन्म राम ने पाया,
ठुमक-ठुमक आँगन में चलकर सबका हृदय जुड़ाया..
पुत्र प्रेम में थे निमग्न कौशल्या माँ के प्राण,
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान..
दे मातृत्व देवकी को यसुदा की गोद सुहाई..
ले लकुटी वन-वन भटके गोचारण कियो कन्हाई,
सारे ब्रजमंडल में गूँजी थी वंशी की तान..
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान..
तेरी समता में तू ही है मिले न उपमा कोई,
तू न कभी निज सुत से रूठी मृदुता अमित समोई..
लाड़-प्यार से सदा सिखाया तूने सच्चा ज्ञान,
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान…
कभी न विचलित हुई रही सेवा में भूखी प्यासी..
समझ पुत्र को रुग्ण मनौती मानी रही उपासी,
प्रेमामृत नित पिला पिलाकर किया सतत कल्याण..
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान…
‘विकल’ न होने दिया पुत्र को कभी न हिम्मत हारी,
सदय अदालत है सुत हित में सुख-दुख में महतारी..
काँटों पर चलकर भी तूने दिया अभय का दान,
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान…
– जगदीश प्रसाद सारस्वत ‘विकल’

सन्दर्भ:
1. https://bit.ly/2VYXgrJ
2. https://www.youtube.com/watch?v=gwmJN797Ino