हमारे जीवन में रंगों का विशेष महत्व होता है। रंगों में तीन रंग सबसे प्रमुख हैं- लाल, पीला और नीला। इस जगत में मौजूद बाकी सारे रंग इन्हीं तीन रंगों से उत्पन्न हुये हैं। इनमें से नीले रंग का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। यहां तक कि हमारे जीवन के दो सबसे बड़े तत्व आकाश और महासागर भी नीले रंग के ही दिखाई देते हैं। दरअसल इनका ये नीला रंग प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण दिखाई देता है। इसे आसान भाषा में समझें तो यह सब सूर्य के प्रकाश की किरणों के कारण होता है, इस प्रकाश में सातों रंग होते हैं जिनमें नीले रंग की तरंग दैर्ध्य छोटी होती है जिस कारण यह वायुमंडल में मौजूद कणों द्वारा बिखेर दिया जाता है और इसलिये आकाश और महासागर नीले दिखाई देते हैं।
नीला रंग प्रकृति में इतना दुर्लभ है कि दुनिया में 64,000 कशेरुकी में से केवल दो ही (मेंडेरिन (Mandarin) और साइकेडेलिक (Psychedelic) मछली) ऐसे है जिनमें नीले वर्णक होते हैं। अन्य कशेरुक जो नीले दिखाई देते हैं उनमें क्रिस्टल (Crystal) की परतें होती हैं जो इस रंग को बनाने के लिए कम तरंग दैर्ध्य पर प्रकाश को प्रतिबिंबित करती हैं। इसके अलावा एक नीला रंग ही है जिसे हम अंधेरे में किसी भी अन्य रंग से बेहतर देख सकते हैं। दरअसल ऐसा इसलिये होता है क्योंकि हमारी आँखें उच्च तरंग दैर्ध्य के साथ प्रकाश के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं और नीले रंग की तरंग दैर्ध्य कम होती है इसलिये हम इसे अंधेरे में किसी भी अन्य रंग से बेहतर देख सकते हैं।
परंतु क्या आप जानते हैं कि प्राचीन काल में नीले की पहचान शुरुआती मानव को नहीं थी। वे केवल काले, सफेद, लाल, पीले और हरे रंग को ही पहचान सकते थे। यहां तक कि कुछ प्राचीन भाषाओं में नीले रंग के लिए कोई शब्द ही नहीं है। ग्रीक (Greek), जापानी (Japanesse)और हिब्रू (Hibru) जैसी कुछ प्राचीन भाषाओं ने पहले कभी भी नीले शब्द का इस्तेमाल नहीं किया था, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या वे इस रंग को देख पाते थे? प्राचीन मिस्र पहली सभ्यता थी जिसमें नीले रंग का उपयोग किया गया था। नीले रंग का निर्माण सबसे पहले प्राचीन मिस्र के लोगों द्वारा किया गया था, जिन्हें पता चला था कि वे एक स्थायी वर्णक कैसे बना सकते हैं, जिसका इस्तेमाल उन्होंने सजावटी कलाओं के लिए किया था। इसके बाद 6,000 वर्षों तक नीले रंग को अलग-अलग रूपों में विकसित किया गया और आज भी होता आ रहा है। तो चलिये जानते है इस रंग के आकर्षक इतिहास के बारे में।
मिस्र का नीला रंग
नीले रंग के आविष्कार का श्रेय प्राचीन मिस्रवासियों को जाता है। माना जाता है कि पहली बार कृत्रिम रूप से निर्मित ये नीला वर्णक लगभग 2,200 ईसा पूर्व में बनाया गया था। इसे चूना पत्थर से बनाया गया था जिसमें रेत और तांबा युक्त खनिज जैसे कि मैलाकाइट (Malachite) या एज़्यूराइट (Azurite) थे, और इसे 1470 से 1650 फारेनहाइट (Farhenheit) के बीच गर्म किया गया था। इस रंग का उपयोग वे मिट्टी के पात्र, मूर्तियों और यहां तक कि कब्रों को भी सजाने के लिए किया करते थे।
समुद्री नीला
समुद्री नीले रंग का इतिहास लगभग 6,000 साल पहले शुरू हुआ था जब व्यवसायिक और कीमती रत्न से ‘लापिस लाज़ुली’ बनाया गया था, जो कि अफ़गानिस्तान के पहाड़ों से मिस्र में आयात किया जाने लगा था। हालांकि, मिस्र वासियों ने कोशिश की इसे एक पेंट (Paint) में बदला जा सके परंतु वे विफल रहे। इसके बाद, उन्होंने इसका उपयोग गहने और शिरोवस्त्र बनाने के लिए किया। लापिस लाज़ुली पहली बार छठवीं शताब्दी में वर्णक के रूप में दिखाई दिया और इसका उपयोग अफगानिस्तान के बामियान में बौद्ध चित्रों में किया गया था। बाद में इसका नाम बदलकर समुद्री नीला रखा गया और 14वीं और 15वीं शताब्दी के दौरान इस वर्णक को इटली के व्यापारियों द्वारा यूरोप में आयात किया गया था।
कोबाल्ट नीला
इस रंग की उत्पत्ति 8वीं और 9वीं शताब्दी पहले हुई थी, और फिर इसे मिट्टी के पात्र और गहने रंगने के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा। यह विशेष रूप से चीन में उपयोग किया जाता था, जहां इसका उपयोग विशिष्ट नीले और सफेद पैटर्न (Pattern) वाले चीनी मिट्टी के बरतन में किया जाता था। इसके एक शुद्ध एल्यूमिना-आधारित (Alumina-based) संस्करण को बाद में 1802 में फ्रांसीसी रसायनज्ञ लुई जैक्स थेनार्ड द्वारा खोजा गया था, और 1807 में फ्रांस में इसका व्यवसायिक उत्पादन शुरू हुआ।
आसमानी नीला
यह मूल रूप से कोबाल्ट मैग्नीशियम स्टैनेट (Cobalt Magnesium Stannate) से बना हुआ है। इस रंग को जर्मनी में एंड्रियास होप्फनर द्वारा 1805 में कोबाल्ट और टिन ऑक्साइड (Tin Oxide) को भूनकर और शुद्ध करके किया गया था। हालाँकि, यह रंग 1860 तक एक कलात्मक वर्णक के रूप में उपलब्ध नहीं था।
इंडिगो
लापिस लाज़ुली की दुर्लभता के विपरीत, ‘इंडिगो’ नामक इस रंग का उद्भव एक अत्यधिक विकसित फसल से हुआ, जिसे इंडिगोफेरा टिन्क्टोरिया (Indigofera tinctoria) कहा जाता है। जिसे दुनिया भर में उत्पादित किया गया था। इसके आयात ने 16 वीं शताब्दी में यूरोपीय कपड़ा व्यापार को हिला दिया, और यूरोप और अमेरिका के बीच व्यापार युद्धों को उत्प्रेरित किया। कपड़ों की रंगाई के लिए इंडिगो का उपयोग इंग्लैंड में सबसे लोकप्रिय था।
नेवी नीला
औपचारिक रूप से इसे समुद्री नीले रंग के रूप में भी जाना जाता है। इस रंग को ब्रिटिश शाही नौसेना की वर्दी के लिए आधिकारिक रंग के रूप में अपनाया गया था, और 1748 से अधिकारियों और नाविकों द्वारा पहना जाता आ रहा है। हालांकि आधुनिक नौसेनाओं ने अब अपनी वर्दी का रंग और भी गहरा कर लिया है।
प्रशियाई नीला (Prussian Blue)
प्रशियाई नीले रंग को जर्मन डाई-निर्माता जोहान जैकब डाइसबाक द्वारा गलती से खोजा गया था। वास्तव में, डाइसबाक एक नये लाल रंग बनाने पर काम कर रहे थे और उसकी सामग्री में से पोटाश (Potash) पशु के रक्त के संपर्क में आया था। और पशु के रक्त ने एक आश्चर्यजनक रासायनिक प्रतिक्रिया उत्पन्न की, जिसके परिणामस्वरूप प्रशियाई नीले की उत्पत्ति हुई।
अंतर्राष्ट्रीय क्लाइन नीला
इस रंग को फ्रांसीसी कलाकार यवेस क्लाइन ने समुद्री नीले के एक मैट संस्करण के रूप में विकसित किया था। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्लाइन ब्लू (International Klein Blue- IKB) को एक ट्रेडमार्क के रूप में पंजीकृत किया। उन्होंने 200 से अधिक मोनोक्रोम कैनवास (Monochrome canvas), मूर्तियां और यहां तक कि मानव मॉडल को IKB रंग में चित्रित किया।
नवीनतम खोज: YInMn नीला
2009 में, ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर मास सुब्रमण्यम और उनके तत्कालीन स्नातक छात्र एंड्रयू ई. स्मिथ द्वारा गलती से YInMn नीले रंग की खोज की गई थी। इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronics) बनाने के लिए नई सामग्री की खोज करते हुए, स्मिथ ने पाया कि गर्म होने पर उनका एक नमूना चमकीला नीला हो गया है। इसका नाम असल में इसमें मिश्रित चीज़ों की रासायनिक बनावट से लिया गया है: Y - इट्रियम (Yttrium), In - इण्डियम (Indium) और Mn - मैंगनीज (Manganese)। उन्होंने जून 2016 में इसे व्यावसायिक उपयोग के लिए जारी किया।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2vrKFyp
2. https://bit.ly/2UOdbEO
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