साहित्य जगत में एक पंक्ति काफी प्रसिद्ध है, ‘जहां न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि’। इस बात में कोई दो राय भी नहीं है, क्योंकि वास्तव में कवि अपनी कल्पना से जीवन और समाज के उन पहलुओं को छू लेते हैं, जहां सामान्य मनुष्य की पहुंच संभव नहीं है। आज हम उर्दू कविता जगत के एक प्रख्यात कवि डॉ. अहमद अली बरकी आज़मी जी द्वारा लिखी कविताओं में से एक कविता चुनकर लाए हैं, जिसका केंद्र बिंदु जौनपुर है। अहमद जी इस कविता के माध्यम से जौनपुर के भव्य इतिहास और वर्तमान स्थिति दोनों को ही बड़ी खूबसूरती से पेश करते हैं।
कवि अहमद, मानव की अमूक भावनाओं को अपनी कविता के माध्यम से अभिव्यक्त करने में निपुण हैं, साथ ही वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी अपनी लेखनी चलाते हैं। अहमद जी मूलतः उत्तर प्रदेश से संबंधित हैं। उर्दू और फ़ारसी में स्नातकोत्तर की शिक्षा हासिल कर चुके अहमद जी ने अपनी शिक्षा के दौरान ईरान, अफगानिस्तान सहित कई देशों में अध्ययन हेतु दौरा किया। वर्तमान में यह ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio), नई दिल्ली के बाहरी सेवा प्रभाग की फारसी सेवा में अनुवादक-सह-उद्घोषक के रूप में सेवारत हैं। इन्हें 2004 की सुनामी, 2011 का जापान भूकंप, वैज्ञानिक अभियान, पोलियो और एड्स जैसे स्वास्थ्य विषयों, प्राकृतिक आपदाओं, प्रदूषण जैसे पर्यावरणीय मुद्दों, ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) और संयुक्त राष्ट्र जैसे मुद्दों पर लिखने के लिए भी जाना जाता है।
डॉ. अहमद अली बरकी आज़मी
ऊपर दिए गये चित्र के पार्श्व में जौनपुर और केंद्र में कवि डॉ. अहमद अली बरकी आज़मी की पहली उर्दू कविता संग्रह "रूह -ए- सुखन" का मुखपृष्ठ है।
सदर्भ:
1. https://www.jaunpurcity.in/2013/10/a-poetic-tribute-to-jaunpur-city-by-dr.html
2. https://www.hamarajaunpur.com/2015/04/barqi.html
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Ahmad_Ali_Barqi_Azmi
4. https://www.youtube.com/watch?v=KBPtah3hw9Y
चित्र सन्दर्भ :-
1. https://issuu.com/ahmadalibarqiazmi/docs/rooh__e_sukhan_final_book_-_01__3__
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