इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रौद्योगिकी ने उत्पादकता के स्तर को बढ़ाया है, जिसके फलस्वरूप हमारे जीवन में काफी सुधार हुआ है और आई.एम.एफ. के अनुसार 2018 में भारत का आर्थिक विकास 7.4 फीसदी हुआ था। परंतु प्रौद्योगिकी और स्वचालन का विकास इतनी तेजी से हो रहा है कि आने वाले दिनों में प्रौद्योगिकी का उपयोग मानव द्वारा प्रतिपादित होने वाले कार्यों में भी किया जाएगा। जिसके कारण लोग अपनी नौकरीयां भी गवां सकते हैं। यहाँ तक कि भारत में भविष्य में आने वाले सालों के दौरान लाखों नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है।
ऐसा माना जा रहा है कि प्रौद्योगिकी (Technology) और स्वचालन (Automation) के अधिक उपयोग से पूरी दुनिया में नौकरियों पर काफी प्रभाव पड़ सकता है। परंतु प्रौद्योगिकी ने कई नौकरियों (विशेष रूप से इंटरनेट प्रौद्योगिकी (Internet technology) और वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web) के क्षेत्र में) को जन्म भी दिया है, जहां आने वाले समय में नौकरी के सबसे अधिक अवसर प्राप्त होंगे। आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं कि प्रौद्योगिकी और स्वचालन के आने से नौकरियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा और किन क्षेत्रों में नौकरीयों के सबसे अधिक अवसर प्राप्त होंगे।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि स्वचालन कंपनियों की क्षमता को बढ़ा रहा है, इससे काम करना आसान हुआ है। परन्तु इसका सबसे बड़ा असर नौकरियों पर देखने को मिलेगा क्योंकि स्वचालन से कई लोगों के हिस्से का काम आसानी से हो जाता है जिसके कारण नौकरियों में कमी आने लगेगी। परंतु प्रौद्योगिकी ने कई क्षेत्र में नई नौकरियों के विभिन्न अवसर भी प्रदान किये हैं। इसके लिये लोगों को नये कौशल सीखने की आवश्यकता है। आर्थिक पूर्वानुमानकर्ताओं का अनुमान है कि भारत की अर्थव्यवस्था अगले दशक में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो जाएगी। हालांकि, तेजी से होते आर्थिक विकास के बावजूद, बेरोजगारी भी बढ़ रही है क्योंकि देश की कौशल दक्षता का स्तर और आधुनिक शिक्षा प्रौद्योगिकी-संचालित अर्थव्यवस्था की मांगों के अनुरूप नहीं है।
आज आवश्यकता है कि हमारी शिक्षा प्रणाली और पाठ्यक्रम तेजी से बदलती व्यावसायिक जरूरतों के साथ तालमेल बिठा सके, विशेष रूप से व्यवहार कौशल और उन्नत प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में। 2022 तक कार्यबल में रचनात्मकता (Creativity ) को विकसित करने के लिये उन्नत कंप्यूटर साक्षरता एक मौलिक आवश्यकता है। इससे असंगठित क्षेत्र में कौशल के अवसरों का निर्माण होगा। भारत शिक्षा में प्रौद्योगिकी को एकीकृत कर सकता है, और अपनी युवावस्था में नवाचार (Innovation) को विकसित कर सकता है। इसके लिये आज हमें आवश्यकता है कि हम प्रारंभिक स्तर पर डिजिटल (Digital) और व्यवहार कौशल विकसित करें और इसके छात्रों को अलग तरह से सोचने का अवसर प्रदान करें। देश को आज अपनी शिक्षा प्रणाली पर पूरी तरह से पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
ये हम सब जानते हैं कि प्रौद्योगिकी ने बड़े रोजगार दिए हैं। इसलिये आज नए कौशल सीखने की आवश्यकता है, जिससे कि 2022 में कार्यबल की कमी को पूरा किया जा सके। इंटरनेट प्रौद्योगिकी और वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web) के क्षेत्र के साथ-साथ कुछ अन्य क्षेत्रों में भी नौकरियों में भारी वृद्धि देखी जाएगी क्योंकि ये नौकरियां प्रौद्योगिकी की ही देन हैं। इनकी सूची निम्न है:
1. डेटा प्रबंधक :- दुनिया भर को करोड़ो डेटा (Data) प्रबंधकों की आवश्यकता है जो अधिक डेटा को भी आसानी से समझ सकते हैं। आने वाले समय में एल्गोरिदम (Algorithms) और विज़ुअलाइज़ेशन (Visualisation) तकनीकों में महारत हासिल किये हुए व्यक्तियों की आवश्यकता होगी। अमेरिका को 2018 में लगभग 1,90,000 डेटा वैज्ञानिकों की कमी का सामना करना पड़ा था और आगे, 15 लाख प्रबंधकों और विश्लेषकों की कमी होगी जो डेटा का उपयोग करने की समझ रखते हैं।
2. अंतरिक्ष के क्षेत्र में :- समय के साथ उपग्रह इंजीनियरों की मांग बढ़ रही है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) नियमित रूप से विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण कर रहा है और इसे घरेलू उपग्रहों का निर्माण करने के लिये कई इंजीनियरों की आवश्यकता है। केरल में इसरो (ISRO) द्वारा स्थापित भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विद्यालय, अंतरिक्ष विज्ञान के लिए भारत में शीर्ष विद्यालय है।
3. रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर :- आने वाले समय में रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर मांग में होंगे। इस क्षेत्र का वैश्विक बाजार 2008 में 107.8 बिलियन डॉलर था और अनुमान है कि ये आगे बढ़कर 2022 तक लगभग 137 बिलियन डॉलर हो जायेगा। इस क्षेत्र में लड़ाकू वाहन, पनडुब्बी, विमान आदि के इंजीनियरों की आवश्यकता आने वाले समय में अधिक होगी।
4. मानवरहित हवाई वाहन के इंजीनियर :- मानवरहित हवाई वाहन, जिन्हें आमतौर पर ड्रोन (Drone) के रूप में जाना जाता है, भारत में अभी भी मुख्य रूप से रक्षा और कानून प्रवर्तन के लिए प्रयोग किये जाते हैं। परंतु नगर विमानन महानिदेशालय जल्द ही ड्रोन के व्यावसायिक उपयोग की अनुमति दे सकता है, जिससे कई नौकरियों के अवसर प्राप्त होंगे।
5. प्रिंटर के क्षेत्र में हार्डवेयर इंजीनियर :- 3D प्रिंटिंग का क्षेत्र बढ़ता ही जा रहा है, उद्योग विश्लेषक वॉहलर्स एसोसिएट्स (Wohlers Associates) की 2014 की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 3 डी प्रिंटिंग उद्योग 2013 में 3 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2018 तक लगभग 13 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया था और इसकी 2020 तक 21 बिलियन से अधिक होने की उम्मीद है।
6. रोबोटिक इंजीनियर :- हालांकि भारत में यह क्षेत्र अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है, लेकिन भविष्य में इसमें रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।
7. साइबरस्पेस (Cyberspace) के क्षेत्र में :- डेटा चोरी को रोकना भी महत्वपूर्ण काम है। साइबर अपराध बढ़ने के साथ, डेटा चोरी को रोकने वाले विशेषज्ञों के लिए इन दिनों नौकरी की भरमार है।
8. जीन आनुवांशिकी के क्षेत्र में :- चिकित्सा विज्ञान में जन्म दोष और आनुवांशिक बीमारियों से निपटने के लिए डीएनए के माध्यम से उपचार खोजे जाते है, इस क्षेत्र में भी रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।
9. सौर ऊर्जा के क्षेत्र में :- सौर ऊर्जा के प्रति भारत में काफी जागरूकता है। सरकार ने 2022 तक 20 गीगावॉट से 100 गीगावॉट तक सौर ऊर्जा उत्पन्न करने का अपना लक्ष्य रखा है और वर्तमान 22.4 गीगावॉट से 60 मेगावाट पवन ऊर्जा का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है। देश का पहला भू-तापीय ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं, जिससे 1,000 मेगावाट बिजली पैदा होगी। इस लिये इस क्षेत्र में भी रोजगार की आपार संभावनाएं हैं।
10. चिकित्सा यांत्रिकी :- देश के चिकित्सा उपकरण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए, सरकार एक स्वायत्त राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण प्राधिकरण की स्थापना करने की योजना बना रही है जो स्थानीय उद्योग को बढ़ावा देगा, नौकरियां पैदा करेगा, और सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करेगा।
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