क्या सच में थे पौराणिक कथाओं के दो अद्भूत पक्षी गंडबेरुंड और सिमुर्ग़?

जौनपुर

 24-04-2019 07:30 AM
पंछीयाँ

वर्षों से ही भारत में प्रकृति और समाज का इतिहास बहुत रोमांचक और रहस्यमयी रहा है, जिनमें से कुछ तथ्यों पर हम सहजता से विश्‍वास कर सकते हैं, क्‍योंकि वैज्ञानिक विभिन्‍न खोजों के माध्‍यम से इनकी सत्‍यता की पुष्टि कर चुके हैं। किंतु कुछ तथ्‍य ऐसे हैं जिन पर विश्‍वास कर पाना असंभव सा प्रतीत होता है, क्‍योंकि पौराणिक कथाएं ही उनका एकमात्र आधार होती हैं। ये तथ्य काल्पनिकता पर ही आधारित होते हैं। गंडभेरुंड और सिमुर्ग़ भी दो ऐसे पक्षी हैं जो पौराणिक कथाओं का ही एक काल्‍पनिक हिस्सा हैं।

पौराणिक कथाओं में गंडबेरुंड या बेरुंड दो सिर वाला एक काल्‍पनिक पक्षी है, जिसे संस्‍कृत में भेरुंड कहा जाता है। कहा जाता है कि इसके पास अपार जादुई शक्ति है। यह वोडेयार राजाओं के मैसूर राज्य का प्रतीक था, और भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, इसे मैसूर राज्य ने अपने प्रतीक के रूप में बनाए रखा। 1956 में इस राज्य का विस्तार किया गया तथा 1973 में इसका नाम बदलकर कर्नाटक रख दिया गया। इसके बाद भी गंडबेरुंड कर्नाटक राज्य का प्रतीक बना रहा, क्‍योंकि वे इसे शक्ति का प्रतीक मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह विध्‍वंशकारी शक्तियों से लड़ने में सक्षम है। कई हिंदू मंदिरों में इसकी जटिल नक्काशीदार मूर्तिकला आसानी से देखी जा सकती है। मदुरई में पाए जाने वाले एक सिक्के में इसकी चोंच में एक सांप को पकड़े हुए दिखाया गया है। अधिकतर जगह इसका चित्रण दो सिर वाले ईगल के रूप में किया गया है। जबकि कुछ अन्य चित्रों को देखने से पता चलता है कि इस पक्षी के मोर के समान लम्बे पंख भी थे।

कर्नाटक में बेलूर के चेन्नाकेशव मंदिर में गंडबेरुंड को भगवान विष्णु के साथ दिखाया गया है। इस चित्र में एक बड़ा अजगर हिरण का शिकार करता है, इस अजगर को हाथी द्वारा मारा जाता है। फिर एक शेर इस हाथी पर हमला करता है किन्तु उसके बाद गंडबेरुंड उस शेर को मार देता है। गंडबेरुंड को नरसिंघ का ही रूप माना जाता है। शिमोगा जिले में केलाडी के रामेश्वर मंदिर की छत पर भी गंडबेरुंड की एक मूर्ति स्थापित की गयी है। इस पक्षी के चित्र को कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम द्वारा जारी किए गए बस टर्मिनलों और टिकटों पर भी अंकित किया गया है। माना जाता है कि इस पक्षी के चित्र का उपयोग सबसे पहले अच्युत देव राय के शासन काल के दौरान चलने वाली मुद्राओं में किया गया था। भारतीय नौसेना मैसूर के जहाज के शिखर पर भी यह पक्षी दिखाई पड़ता है। पांच शताब्दियों के बाद भी, यह पक्षी कर्नाटक की सत्ता के प्रतीक के रूप में उड़ान भर रहा है। इतिहासकार प्रोफेसर पी वी नांजराजे जिन्होंने मैसूर राज्य पर व्यापक शोध किया है, बताते हैं कि यह पक्षी पहली बार विजयनगर टकसालों में सिक्कों पर एक चिन्ह के रूप में उपयोग किया गया था, तब से यह परंपरा पीढ़ियों तक चलती गयी। बेंगलुरु एफसी, एक फुटबॉल क्लब है जो कि बेंगलुरु में स्थित है, इस क्लब में भी इस पक्षी को दर्शाया गया है।


पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप को हराने के लिए नरसिंह अवतार लिया। भगवान विष्णु के इस अवतार में इतनी शक्ति थी कि, इससे देवताओं के बीच विनाश का भय पैदा हो गया। देवताओं के पास भगवान शिव की मदद लेने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था और तब भगवान शिव ने शरभा अवतार धारण किया जिससे भगवान नरसिंह और भी नाराज हो गए। इस कारण वे दो सिर वाले पक्षी गंडबेरुंड में बदल गये। स्टार ऑफ मैसूर(Star of Mysore )के एक लेख में कहा गया है कि चालुक्यन, होयसलास, केलड़ी नायक, कदंब और वाडियार जैसे राज्यों ने अपनी कलग़ियों और मुहरों में प्रतीक के रूप में इसका इस्तेमाल किया।

इसी प्रकार सिमुर्ग़ भी ईरानी पौराणिक कथाओं और साहित्य का एक दयालु, पौराणिक पक्षी है। यह पौराणिक पक्षी "फ़ीनिक्स"( phoenix) के समान ही है। इस पक्षी को एक पंख वाले प्राणी के रूप में चित्रित किया गया है, जो एक हाथी या व्हेल को उठाने तक में सक्षम है। पुराणों के अनुसार इसका सिर कुत्ते के समान, पंजे शेर के समान और शरीर मोर जैसा दिखाई देता है। कहा जाता है कि इसका चेहरा मानव के चहरे से ही मेल खाता है जो स्वभाव से परोपकारी है। किवदंतियों के अनुसार यह पक्षी तीस पक्षियों जितना विशाल था, जिसके पंखो का रंग तांबे के रंग के जैसा ही था। ईरानी किंवदंतियों के अनुसार यह पक्षी इतना प्राचीन है कि इसने दुनिया के विनाश को तीन बार देखा। इतना लम्बा जीवन व्यतीत करके इस पक्षी ने सभी युगों का ज्ञान अर्जित किया था। यह धरती और आकाश के बीच संदेशवाहक का कार्य करता था। यह पक्षी गॉसेरेना(Gaokerena) वृक्ष में रहता था, यह वृक्ष बहुत गुणकारी और औषधियुक्त था और इस पर सभी पौधों के बीज जमा होते थे।

जब इस पक्षी ने उड़ान भरी, तो इस पेड़ के सभी पत्ते हिलने लगे, जिससे सभी बीज बाहर गिर गए। ये बीज दुनिया भर में फैल गये और नये पेड़ों का रूप लेकर मानव जाति की सभी बीमारियों का इलाज करने में उपयोग किये गये। इस पक्षी ने फिरदौसी (Ferdowsi) के महाकाव्य शाहनाम (बुक ऑफ किंग्स) में अपनी सबसे प्रसिद्ध उपस्थिति बनाई, जहां प्रिंस ज़ाल(Prince Zal) के साथ इसकी भागीदारी का वर्णन किया गया है। शास्त्रीय और आधुनिक फारसी साहित्य में इसका अक्सर उल्लेख किया जाता है, विशेष रूप से सूफी रहस्यवाद में इसे भगवान का रूप माना जाता है।


संदर्भ :
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Gandaberunda
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Simurgh
3.https://kgorman.ca/monster-monday-phoenix/
4.https://www.thenewsminute.com/article/pride-mysuru-history-behind-two-headed-bird-bengaluru-fc-s-logo-80837



RECENT POST

  • आइए देखें, हिंदी फ़िल्मों के कुछ मज़ेदार अंतिम दृश्यों को
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     29-12-2024 09:16 AM


  • पूर्वांचल का गौरवपूर्ण प्रतिनिधित्व करती है, जौनपुर में बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:22 AM


  • जानिए, भारत में मोती पालन उद्योग और इससे जुड़े व्यावसायिक अवसरों के बारे में
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:24 AM


  • ज्ञान, साहस, न्याय और संयम जैसे गुणों पर ज़ोर देता है ग्रीक दर्शन - ‘स्टोइसिज़्म’
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:28 AM


  • इस क्रिसमस पर, भारत में सेंट थॉमस द्वारा ईसाई धर्म के प्रसार पर नज़र डालें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:23 AM


  • जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के गहरे अध्यात्मिक महत्व को जानिए
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:21 AM


  • आइए समझें, भवन निर्माण में, मृदा परिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:26 AM


  • आइए देखें, क्रिकेट से संबंधित कुछ मज़ेदार क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:19 AM


  • जौनपुर के पास स्थित सोनभद्र जीवाश्म पार्क, पृथ्वी के प्रागैतिहासिक जीवन काल का है गवाह
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:22 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के फूलों के बाज़ारों में बिखरी खुशबू और अद्भुत सुंदरता को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:15 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id