विश्व साहित्य में कुछ ही ऐसी कृतियां हैं, जिन्हें प्रत्येक भाषा में एक समान लोकप्रियता प्राप्त हुई है। ऐसी ही एक कृति है ‘पंचतंत्र’। पंचतंत्र का मुख्य उद्देश्य लोक-कथाओं और किंवदंतियों के माध्यम से लोगो को नैतिक ज्ञान प्रदान करना है। सभी को लोक-कथाओं और किंवदंतियों को सुनना और उनका संग्रह करना पसंद होता है। ऐसी ही लोकप्रिय जुम्मन मजदूर की लोक-कथा है जिसमें उसे लगता है कि जौनपुर का काजी वास्तव में उसका गधा है।
हालांकि यह कहानी उतनी पुरानी नहीं है, लेकिन इसे आज भी भारतीय कथाओं की कई गद्यावलीयों में प्रकाशित किया गया है, हाल ही में इस कहानी को लेखक प्रतिभा नाथ द्वारा संकलित किया गया है। यह कहानी आज भी गुजरात में बहुत ही लोकप्रिय है। इस कहानी में भारत के एक छोटे से गांव में एक घंमडी और अहंकारी शिक्षक था। कहा जाता था कि वह इतना बुद्धिमान था कि वह एक गधे को व्यक्ति में बदल सकता था। उसी गांव में जुम्मन नाम का व्यक्ति रहता था, वह बहुत गरीब था, और एक गाँव से दूसरे गाँव तक भोजन और सामान ले जाने में मदद के लिए अपने गधे पर निर्भर था। इस तरह जुम्मन सामान ढोकर थोड़े बहुत रूपये कमा लेता था।
लेकिन उसका गधा बाद में बहुत ही आलसी हो गया था, और जुम्मन इस कारण पर्याप्त रूपये भी नहीं कमा पा रहा था। एक दिन, जुम्मन शिक्षक के घर से अपने आलसी गधे के साथ गुजर रहा था। तभी उसने घमंडी शिक्षक को उसके पड़ोसी से गधे को व्यक्ति में बदलने की उसकी शक्ति के बारे में बताते हुए सुन लिया था। बस इतना सुनते ही जुम्मन शिक्षक के पास ये सोच कर पहुँच गया कि अब उसका भी एक बेटा होगा जो उसके काम में मदद करेगा तथा मेरी और मेरी पत्नी की बुढ़ापे में देखभाल करेगा। जब जुम्मन शिक्षक से मिला तो उसने पूछा क्या आप मेरे आलसी गधे को एक व्यक्ति में बदल देंगे, ताकि मेरे पास भी एक बेटा हो?
हालांकि ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जो वास्तव में गधे को आदमी में बदल सके। लेकिन वो शिक्षक काफी चतुर था, वो गरीब बूढ़े जुम्मन से कुछ पैसे कमाना चाहता था। शिक्षक ने उसको ठगने के लिये उससे झूठ बोल दिया कि वो ये काम कर देगा और उससे पचास रुपये मांगे और बोला कि मुझे ये काम करने में चौदह दिन और चौदह रातें लगेंगी। अगले ही दिन जुम्मन अपने आलसी गधे को पचास रुपए देकर शिक्षक को सौंप दिया। चौदह दिन बाद अपने नए बेटे से मिलने के लिए उत्सुक जुम्मन जब शिक्षक के पास गया तो शिक्षक ने उसे बताया कि मैंने बहुत प्रयास और एकाग्रता से आपके आलसी गधे को एक स्वस्थ आदमी में बदल दिया, वह इतना बुद्धिमान हो गया था, कि वो अब जौनपुर का काज़ी बन गया है। जुम्मन को नहीं पता था कि उसे शिक्षक द्वारा बरगलाया जा रहा है।
वो शिक्षक की बात सुनते ही जौनपुर गया और वहां के काजी से बोला मेरा बेटा अपने पिता की मदद करने के बजाय जौनपुर का काजी बन गया है! परंतु जौनपुर के काजी बुद्धिमान होने के साथ-साथ एक धैर्यवान और उदार चरित्र वाले व्यक्ति थे, उन्होंने जुम्मन से पूरी बात पूछी और जुम्मन ने उन्हें सब कुछ बताया। जौनपुर के काजी सब कुछ समझ गये उन्होंने वृद्ध जुम्मन से पूछा की यदि मैं सच में आपका गधा था जो अब आपका बेटा बन गया है तो आप मुझसे क्या चाहते हैं? जुम्मन ने जवाब दिया, आप मुझे सात सौ रुपये दे सकते हैं ताकि आपकी मां और मुझे फिर कभी काम न करना पड़े। काजी ने उन्हें सात सौ रुपये दिये और अपने गांव वापस जाने को कहा। जुम्मन बहुत खुश हुआ और अपने गांव आ कर अपने बेटे काजी के बारे में सबको बताने लगा।
धोखेबाज शिक्षक को छोड़कर गाँव का हर व्यक्ति जुम्मन के लिए खुश था क्योंकि वे सभी जानते थे कि वह बहुत गरीब था, भले ही उसने अपनी पूरी ज़िंदगी मेहनत की हो परंतु बूढ़ापे में उसे खुशी प्राप्त हो गई थी। धोखेबाज शिक्षक समझ नहीं पा रहा था कि यह क्या हुआ। यह कैसे हुआ कि जुम्मन अब अमीर बन गया था और कैसे जौनपुर के काजी ने खुद को जुम्मन का बेटा मान लिया? शिक्षक कुछ भी समझ नहीं पा रहा था परंतु उसने इतना तो निश्चित रूप से सोच लिया था कि मैं फिर कभी नहीं कहूंगा कि “मैं एक गधे को एक आदमी में बदल सकता हूं”।
संदर्भ:
1. http://worldstories.org.uk/stories/the-donkey-and-the-qazi-of-jaunpur/© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.