बाजार में वर्ष भर गेंदे के फूलों की मांग रहती है। त्योहार, प्रतिष्ठान, घरों की सजावट, वैवाहिक कार्यक्रम, या फिर मंदिरों में पूजन, बिना गेंदे के फूलों के पूरे नहीं हो सकते। सभी कार्यक्रमों में भी गेंदे के फूलों की मांग बनी रहती है। ऐसे में गेंदे की खेती करना काफी फायदेमंद होता है। यदि देखा जाए तो गेंदे के फूल जौनपुर में अधिक पाए जाते है। इन फूलो की यहाँ खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है। जौनपुर शहर से लेकर गावों तक इस फूल को बोया जाता है तथा यह फूल यहाँ से अन्य जिलों में भेजा जाता है। जौनपुर की मिट्टी भी गेंदे की खेती के लिये बहुत उपयुक्त है।
इस खेती में लागत काफी कम लगती है, वहीं आमदनी काफी अधिक होती है। इसके अलावा गेंदा यदि आलू की खेती के साथ लगाया जाये तो ये काफी फायदेमंद साबित होता है, क्योंकि ये प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में कार्य करता है। गेंदे के पौधे अपने आस पास की मिट्टी में नेमैटोड(Nematodes) को मार देता है। साथ ही साथ यह आलू को वायरल(Viral) और बैक्टीरिया(bacterial) के संक्रमण से भी बचाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि जौनपुर भारत के सबसे बड़े आलू उत्पादक शहरो में से एक है, इसलिए गेंदे की खेती जौनपुर में आलू पैदा करने वाले किसानों के लिए भी सबसे उपयुक्त है क्योंकि इससे आप कम लागत लगा कर अधिक लाभ कमा सकते हैं। तो चलिये जानते है गेंदे की खेती कैसे की जाती है।
गेंदे की उन्नत किस्में:- गेंदे की मुख्यतः दो प्रजातियां अफ्रीकन गेंदा (African Marigold) और फ्रांसीसी गेंदा (French Marigold) होती है।
जलवायु और भूमि:- गेंदे का फूल विभिन्न प्रकार की मिट्टी और जलवायु में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। हालांकि हम ग्रीष्म और शीत दोनों ऋतु या संभवतः सभी तरह के जलवायु में इसकी खेती कर सकते है परन्तु अधिक ठंड में गेंदे के फूल की खेती नहीं की जानी चाहिये। क्योंकि ये ठंड के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। इनको बढ़ने के लिये मध्यम जलवायु की आवश्यकता होती है। गेंदा की खेती के लिये हल्की गहरी, उपजाऊ और नम मिट्टी उत्तम मानी जाती है जिसमें उचित जल धारण क्षमता हो। जिस भूमि का पी.एच.(pH) मान 7.0 से 7.5 के बीच होता है वह भूमि खेती के लिए अच्छी मानी जाती है। बीजों के अंकुरण के लिए अधिकतम तापमान 18 से 30 डिग्री सेल्सियस(Celsius) होना चाहिये।
खेत की तैयारी:- गेंदे का दो सामान्य तरीको से रोपण किया जा सकता है: बीज द्वारा और पौध रोपाई के द्वारा।
1. बीज बुआई: सामान्य किस्मों का बीज 1.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है।
2. पौध रोपाई: गेंदे के पौधों की रोपाई समतल क्यारियों में की जाती है, गेंदे के पौधों की रोपाई में 3x1मी आकार की लाइन बनायी जाती है जिसमें 10 किलोग्राम खाद प्रति वर्गमीटर मिलाया जाता है।
खाद एवं उर्वरक:- अच्छी फसल के लिए 100:75:75 एनपीके(NPK) किलोग्राम प्रति हेक्टेयर देना चाहिए। इससे गेंदे के फूलों की गुणवत्ता हमे अच्छी मिलती रहे।
सिंचाई:- गेंदे के पौधे का पूर्ण विकास होने में लगभग 55-60 दिन लगते हैं। इस अवधि में इसके लिये मिट्टी में नमी की पर्याप्त मात्रा होना आवश्यक होता है। यद्यपि पौधे सिंचाई के बिना 10 दिनों तक शुष्क मौसम को सहन कर सकते हैं परंतु इससे विकास और फूलों का उत्पादन प्रतिकूल रूप से प्रभावित होता है। इसे अप्रैल से जून तक, 4-5 दिनों के अंतराल पर लगातार सिंचाई की आवश्यकता होती है।
रोग और किट नियंत्रण:- वैसे तो गेंदे का पौधा बड़ा सहनशील होता है, परंतु इन पर भी रोगों और कीटों का आक्रमण हो ही जाता है और उचित समय पर इनकी सही तरीके से पहचान करके नियंत्रित नहीं किया जाये तो कई बार नुकसान बहुत ज्यादा हो जाता है। गेंदे में लगने वाले कुछ प्रमुख कीट एवं बीमारियां निम्नालिखित हैं-
1. रोग: आर्द्र गलन, पत्ती धब्बा रोग, पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew) आदि।
2. कीट: लाल मकडी़, हेरी कैटरपिलर (Hairy Caterpillar) आदि।
तुड़ाई और कटाई:- पूरी तरह खिले फूलों को दिन के ठण्डे मौसम में यानि कि सुबह जल्दी या शाम के समय सिंचाई के बाद तोड़े ताकि फूल ताज़ा रहें।
गेंदे की पैकिंग:- ताज़ा तोड़े हुए फूलों को पॉलीथिन के लिफाफों, बांस की टोकरियों या थैलों में अच्छी तरह से पैक करके तुरंत मण्डी भेजें।
गेंदे की उपज:- बारिश के मौसम में औसतन 200-225 क्विंटल प्रति हैक्टेयर औसत उपज प्राप्त होती है। वहीं सर्दियों में 150 से 175 क्विंटल प्रति हैक्टेयर और गर्मियों में 100-120 क्विंटल प्रति हेक्टेयर औसत उपज प्राप्त होती है।
गेंदा केवल सजावट के लिये ही उपयोग नहीं होता है इसके कई सारे औषधीय लाभ भी हैं। यदि इसके उत्पादन की बात की जाये तो भारत के विभिन्न भागों में, विशेषकर मैदानों में गेंदा व्यापक स्तर पर उगाया जा रहा है। सिर्फ उत्तर प्रदेश में 7.20 टन गेंदा के फूलों का उत्पादन होता है। वर्ष 2009-10 के दौरान उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में गेंदे के फूल के व्यापार में शामिल विभिन्न मध्यस्थ खेतों में गेंदे के फूल की खेती की लागत, विवरणियां और विपणन सीमाओं का अनुमान लगाने के लिए अध्ययन किया गया था। यह अध्ययन 60 गेंदे के फूल उगाने वाले किसानों, थोक व्यापारी और खुदरा विक्रेताओं से एकत्रित जानकारी पर आधारित था। गेंदे के फूल की खेती की कुल लागत 7365 रुपये प्रति हेक्टेयर आंकी गई थी। गेंदे की फसल से कुल सकल आय और कुल औसत आय क्रमशः 121792 रुपये और 48141 रुपये प्रति हेक्टेयर होने का अनुमान लगाया गया था। ऐसे में जौनपुर वासियों के लिये गेंदे की खेती करना काफी फायदे का सौदा हो सकता है। गेंदे का फूल बाजार में अच्छी किमत पर बिक जाता है तथा त्योहारों और वैवाहिक कार्यक्रमों में जब इसकी मांग बढ़ जाती है तो इसके दाम भी बढ़ जाते हैं।
संदर्भ:
1. https://jaunpur.prarang.in/posts/1360/postname
2. https://www.indiaagronet.com/indiaagronet/crop%20info/Marigold.htm
3. https://www.startupbizhub.com/how-to-start-a-marigold-farm.htm
4. https://www.cabdirect.org/cabdirect/abstract/20143066891
5.http://agriexchange.apeda.gov.in/India%20Production/India_Productions.aspx?hscode=1033
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