जौनपुर में स्थित गुजर ताल बहुत प्रसिद्ध है, जिसमें इन दिनों मछली पालन किया जा रहा है। इनसे कई परिवारों की रोजी-रोटी भी चल रही है। खेता सराय क्षेत्र के इर्द-गिर्द यू तो अनगिनत ताल-तलैया हैं लेकिन अपनी अलग पहचान रखने वाले गुजर ताल क्षेत्र की पानी से समृद्ध अपनी एक अलग महत्वपूर्ण भूमिका है। यह ताल प्राकृतिक परिवेश के नज़दीक है और टी. डी. कॉलेज रोड पर स्थित वन विहार भी पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है। गुजर ताल पर शोध कर चुके डा.एमपी सिंह, डा.मयंक सिंह आदि अपनी एक रिपोर्ट ‘एक्सप्लोरेशन ऑफ़ फ्लोरेस्टिक कम्पोज़ीशन एण्ड मैनेजमेंट ऑफ़ गुजर ताल इन डिस्ट्रिक्ट जौनपुर’ (Exploration of Floristic Composition and Management of Gujar Tal in District Jaunpur) में बताया कि इन तालों में कई दुर्लभ प्रजाति के पौधे भी पाये जाते हैं जो मानव जीवन के लिए बहुत उपयोगी होते हैं।
वर्तमान का शोध पूर्वी यूपी के उष्णकटिबंधीय अर्ध-शुष्क क्षेत्र जौनपुर में गुजर ताल के प्रबंधन के लिए वानस्पतिक रचना और पारिस्थितिक रणनीतियों में मौसमी भिन्नता पर प्रकाश डालता है। निश्चित अवधि के अंतराल पर अप्रैल 2012 से मार्च, 2013 तक दर्ज की गई बृहत् जलीय पादप की कुल संख्या 47 रिकॉर्ड (record) की गई थी। जिसमें 26 कुलों के साथ साइपरेसी (Cyperaceae) की अधिकतम 6 पौधों की प्रजातियां थीं। इस क्षेत्र में सर्दियों के दौरान पौधों की अधिकतम संख्या (39) मौजूद थी, बरसात में इनकी संख्या (37) और ग्रीष्म ऋतु में (27) थी।
गुजर ताल के बृहत् जलीय पादप आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र की सामान्य विशेषताएं हैं। इस तरह की वनस्पति ताल, हमारे पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना को समझने के लिए आवश्यक है और इसे संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। साथ ही साथ यह ताल मानव उपयोग के लिए भी महत्वपूर्ण है। यहाँ पर मत्स्य पालन, घोंघे, केकड़ों और पौधों की विविधता देखने को मिलती है। परंतु यह देखा गया है कि कुछ जलीय पौधे मानव हित को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं और मछली पालन में बाधा पैदा करते हैं। इसलिये जलीय पौधो का प्रबंधन बेहद आवश्यक है। जलीय खरपतवार विभिन्न प्रकार की समस्याएं पैदा करते हैं। जलीय खरपतवारों की अत्यधिक वृद्धि गुजर ताल के प्रबंधन को प्रभावित करती है।
तैरने वाले हो या गहरी जड़ वाले जलमग्न (डूबे हुए) खरपतवार दोनों ही जल में एक घने पदार्थ का निर्माण करते हैं और नावों की आवाजाही को रोकते हैं। जलकुम्भी की कई प्रजातियां है जो अधिकांश उपलब्ध प्रकाश और पोषक तत्वों को जल से ग्रहण कर लेते हैं। ये पौधे जल को अधिक मात्रा में शोख लेते है और सतह में प्रकाश की तीव्रता को कम कर देते हैं जिससे कुछ पौधों और मछलियों की मृत्यु हो जाती है। गुजर ताल में जलीय खरपतवारों (जंगली पौधे/ शैवाल) को हटाने की आवश्यकता है, इसके लिये निम्न उपायों और प्रबंधन के माध्यम से इन पर नियंत्रण किया जा सकता है। साथ ही साथ इन उपायों से आप लाभांवित भी हो सकते है।
1. जलीय खरपतवारें निकाल कर इनका उपयोग चारा, ईंधन और खाद आदि के रूप में किया जा सकता है। अध्ययन के दौरान यह देखा गया कि तैरते हुए खरपतवारों को किसानों द्वारा खेतों की सूखी भूमि पर विघटित होना छोड़ दिया गया जिससे वे खाद में बदल गये।
2. गुजर ताल के क्षेत्र में ज्यादातर स्व-विकसित जंगली चावल ओराय्ज़ा रफिपोगों (Oryza rufipogon) उग जाते है। जिन्हे आमतौर पर "तिन्नी चावल" के रूप में जाना जाता है। इसकी उपज 85 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर देखी गई। बाजार में यह चावल 100 से 150 रुपये प्रति किलो बिक जाता है। यह स्थानीय निवासियों की आय का एक अच्छा स्रोत है और सर्दियों के मौसम के दौरान बतख, क्रेन, राजहंस आदि जैसे बड़े पक्षियों के झुंडों के लिये निवास स्थान भी प्रदान करता है।
3. यह देखा गया कि कुछ स्थानीय लोगों ने एक बाड़ा (बाँस की रेखा) बना कर ताल के किनारे बत्तख को पालना शुरू कर दिया है, जो आमतौर पर जंगली चावल कीड़े, मेंढक और अनाज खाते हैं। ये एक अच्छा आय का स्रोत हैं।
4. कानूनी प्रतिबंधों के बावजूद भी यहां प्रवासी पक्षियों के शिकार हो रहे है, इस प्रथा को आज खत्म करने की जरूरत है। इसके अलावा यहां पर पाये जाने वाले कमल के फूल, पत्ते और प्रकंद आय के अच्छे स्रोत हैं। ये कमल के फूल 25 से 30 रुपये में बिकते है।
5. आज गुजर ताल के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है। वर्तमान में ताल पर गंभीर खतरा बना हुआ है। मानव गतिविधियों के कारण ताल का क्षेत्र सिकुड़ता जा रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर खरपतवारों में वृद्धि हो रही है। इस प्रकार पानी की गहराई भी कम होती जा रही है।
6. इस ताल को शुद्ध रखने के लिये किनारो को साफ रखना चाहिए और पाइप के माध्यम से झील में उपचारित जल पारित किया जाना चाहिये।
7. यदि गुजर ताल को यूपी सरकार द्वारा पारित प्रस्तावों के अनुसार पक्षी अभयारण्य के अधीन किया जाता है। तो भारत सरकार, इसे मछली पालन के अलावा नौका विहार आदि के लिए एक अच्छे पिकनिक स्थल के रूप में विकसित कर सकती है।
इस तरह का अध्ययन निस्संदेह गुजर ताल के विकास को प्रोत्साहित करेगा। इन जलीय जैवस्थानिक क्षेत्र को अगर सही तरीके से प्रबंधित किया जाए तो यह मानव जाति को लाभांवित कर सकता है और इससे राष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। गुजर ताल आय का अच्छा स्रोत भी है और लोग इस अवसर का फायदा भी उठाते है।
संदर्भ:
1.https://jaunpur.nic.in/places-of-interest/
2.https://waset.org/publications/10003471/exploration-of-floristic-composition-and-management-of-gujar-tal-in-district-jaunpur
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