प्राचीन भारत में चमड़ा श्रमिकों और मोची की सामाजिक स्थिति

जौनपुर

 19-03-2019 07:06 AM
सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

भारतीय जीवन और संस्कृति के प्रारंभिक साहित्यिक संदर्भों से यह स्पष्ट होता है कि जानवरों की खाल का उपयोग विभिन्न चीजों में होता आ रहा है, जैसे कि जूतों, कपड़ों, पुस्तकों की बाइण्डिंग, फर्नीचर एवं शस्त्र आदि में। जूते आमतौर पर न केवल चमड़े के बने होते थे, बल्कि पक्षियों और अन्य प्राणियों के पंख और खाल से भी बनते थे।

वैदिक काल में चमड़े और खाल का इस्तेमाल आमतौर पर पोशाक की सामग्री बनाने लिए किया जाता था। ऋग्वेद में भी हिरणों की खाल पहने हुए मरुत का उल्लेख मिलता है। वहीं व्रात्य के प्रमुखों और उनके अनुयायियों द्वारा दो परत की खाल (काली और सफेद) पहनने का भी उल्लेख किया गया है। चर्मशोधक के कार्य के लिए चर्मम्न शब्द का उपयोग किया जाता है। वैदिक समाज में चर्मशोधक और ऊर्णजिन कर्ता का पेशा काफी प्रमुख और महत्वपूर्ण था और साथ ही समाज में इनकी काफी आवश्यकता भी थी। मोची को संस्कृत में पादुकाकृत (जूते का निर्माता) के रूप में जाना जाता है। बौद्ध काल में समाज में मोची के पेशे को काफी महत्वपूर्ण माना जाता था क्योंकि बौद्ध की संपूर्ण जातक कथा एक मोची “काम-जातक” को समर्पित है।

अधिकांश विवरण में चमड़े के कार्यकर्ता चाहे वे चर्मकार या मोची को हमेशा भारतीय समाज में सबसे निचले स्थान पर रखा जाता है, क्योंकि ये समाज की जाति प्रथा से परे थे, इसलिए इन्हें अछूत माना जाता था। सिर्फ इतना ही नहीं, 7 वीं शताब्दी के चीनी बौद्ध तीर्थयात्री हिसियन-त्सांग जब भारत में आए तो उन्होंने आश्चर्य के साथ टिप्पणी कि, “भारत की एक प्रथा में अछूतों के साथ संयोगवश संपर्क में आने पर महा अपवित्रीकरण माना जाता था और धार्मिक स्नान करना अनिवार्य होता था।” उनके द्वारा अपने यात्रा वृत्तांत में उत्तरी भारत के लोगों के जीवन के बारे में रोचक अवलोकन किया था। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि अछूत लोग कस्बों और गांवों के बाहरी इलाके में रहते थे। उनका कार्य सबसे छोटा होता था, जैसे साफ-सफाई, श्मशान की भूमि को साफ करना और चमड़े की सामग्री का निर्माण करना।

प्राचीन काल में भारतीय गावों में चमड़े के श्रमिक और मोची, कुम्हार और तेल निकालने वालों की तरह इतने आम नहीं थे, क्योंकि पानी के लिए बर्तन और खाना पकाने के लिए तेल की मांग जूतों से अधिक थी। साथ ही जो समुदाय जानवरों की खाल को एकत्रित करते थे, उन्हें गांवों और कस्बों के बाहर रहना होता था। वहीं मोची प्राचीन भारत में सामाजिक और अनुष्ठानिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। इतावली यात्री मानुची के विवरण से यह पता चलता है कि व्यापारियों और दुकानदारों की जातियों में विवाह उस स्थान के मोची के आशीर्वाद के साथ ही किए जा सकते थे, उन्हें समाज के सबसे निचले और सबसे तिरस्कृत भाग के रूप में देखे जाने के बावजूद।

मध्य भारत के मोची को दो शाखाओं में विभाजित किया गया था: निचली जाति – जो जूते बनाते थे और दूसरे जो जीन या साज्ज-सजा की समाग्री बनाते थे। जीन या साज्ज-सजा की समाग्री बनाने वाले को जीनगर और जो किताबों को बांधने वाले को जील्दगर के रूप में जाना जाता था। हिंदू मोचियों को चार उप-समूहों में बांटा गया है, मियंगर (जो चमड़े के बक्से बनाते हैं), पनिगर (जो चमड़े पर चांदी और सोने का काम करते हैं), जिंगर (जो घोड़ा गाड़ी और घोड़ों के लिए श्रृंगार का निर्माण करते हैं), और जोदिगर (जो जूते बनाते हैं)।

संदर्भ :-


RECENT POST

  • प्राचीन समय में यात्रियों का मार्गदर्शन करती थी, कोस मीनारें , इसलिए है हमारी धरोहर
    वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली

     18-04-2024 09:28 AM


  • राम नवमी विशेष: जानें महाकाव्य रामायण की विविधताओं और अंतर्राष्ट्रीय संस्करणों का मेल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     17-04-2024 09:28 AM


  • टहनियों के ताने-बाने से लेकर, जौनपुर की सुंदर दरियों तक, कैसा रहा बुनाई का सफर?
    स्पर्शः रचना व कपड़े

     16-04-2024 09:15 AM


  • विश्व कला दिवस पर जानें, कला का समाज से क्या है संबंध? एवं कलाकार की भूमिका
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     15-04-2024 09:26 AM


  • ये सभी जीव-जानवर हो चुके हैं भारत से विलुप्त, करते थे कभी दुनिया पर राज
    शारीरिक

     14-04-2024 08:33 AM


  • अंबेडकर जयंती पर जानिए आजकल उपयोग होने वाले जातिसूचक शब्दों का सही अर्थ, संदर्भ व् इतिहास
    सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

     13-04-2024 08:48 AM


  • सरदार उधम सिंह ने बैसाखी के दिन घटे जलियांवाला बाग नरसंहार का अध्याय कुछ ऐसे किया समाप्त
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     12-04-2024 09:20 AM


  • ईद के मौके पर जानें रमज़ान में चाँद का है क्या महत्व?
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     11-04-2024 09:06 AM


  • क्या कहता है विज्ञान होम्योपैथी के विषय में फैले कुछ मिथकों के बारे में
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     10-04-2024 09:38 AM


  • फिल्मों को उनकी आत्मा यानी आवाज मिलने का सफ़र कितना मुश्किल रहा?
    द्रिश्य 1 लेंस/तस्वीर उतारना

     09-04-2024 09:30 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id