क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले आनुवांशिक रूप से संशोधित टमाटर को मानव उपभोग के लिए 05,1994 लाइसेंस प्रदान कर दिया गया था। इस टमाटर को ‘फ्लेवर सेवर’ के नाम से जाना जाता था। लेकिन बाज़ार में आने के कुछ साल बाद ही ज्यादा उत्कृष्ट प्रदर्शन नहीं दिखा पाने के कारण इसका उत्पादन बंद कर दिया गया। इसे कैलिफ़ोर्निया की कैलगेन कंपनी द्वारा उत्पादित किया गया और 1992 में अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन के समक्ष इसे प्रस्तुत किया गया था।
जेनेटिक इंजीनियरिंग के माध्यम से, कैलगेन द्वारा टमाटर के प्राकृतिक रंग और स्वाद में अंतर लाए बिना उसके जल्दी से पकने की प्रक्रिया को धीमा करने के बारे में सोचा गया था। उन्होंने टमाटर के एंजाइम पॉलीगैलेक्टुरोनेज़ के उत्पादन में हस्तक्षेप करने के लिए टमाटर में एंटीसेन्स जीन जोड़ा, जो टमाटर को जल्दी पकने से रोकता था। टमाटर में मौजूद ये एंजाइम आमतौर पर कोशिकाओं की दीवारों में मौजूद पेक्टिन को कम करता है, जिससे वे फंगल संक्रमण से क्षतिग्रस्त होने के लिए अधिक संवेदनशील बन जाते हैं और इस कारण टमाटर जल्द ही पक जाता है। कुछ उपउपांतरित टमाटरों को पूरी तरह से पकने से पहले काट दिया जाता है और फिर एथिलीन गैस का उपयोग करके कृत्रिम रूप से उन्हें पकाया जाता है। इससे फलों की शैल्फ-लाइफ बढ़ जाती है। वहीं दूसरी ओर, फ्लेवर सेवर टमाटर को बेल में पूरी तरह पकने की आकांक्षाएं जताई गयी थी।
फ्लेवर सेवर टमाटरों को बेल में पकने की प्रक्रिया में नुकसान किए बिना उसकी जल्द पकने की प्रक्रिया को धीरे किया गया था और साथ ही इसको अन्य हरे टमाटर की तरह ही काटे जाने की उम्मीद थी। परंतु फ्लेवर सेवर ने शोधकर्ताओं को इस संबंध में निराश कर दिया था, क्योंकि एंटी-पीजी जीन का शैल्फ-लाइफ पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा परंतु ये टमाटरों को स्थिर नहीं रख सका था, इसलिए उपउपांतरित टमाटरों की तरह ही इसे पूरी तरह पकने से पहले काट दिया जाता था।
कैलिफ़ोर्निया एग्रीकल्चर के अनुसार, कैलगेन द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों से यह पता चलता है कि फ़्लेवर सेवर टमाटर और आम टमाटर में लगभग कोई अंतर नहीं देखा गया था। बस ये टमाटर एक दूसरे से केवल दो तरीकों में भिन्न थे। पहला अंतर यह था कि फ़्लेवर सेवर टमाटर की कोशिका की दीवार की पेक्टिन धीरे-धीरे कम होती थी। दूसरा अंतर यह था कि नए टमाटर से बने टमाटर के पेस्ट में चिपचिपापन अधिक था। ऐसा माना जाता है कि नए टमाटर में इन अंतरों के आलावा दूसरा कोई ओर अंतर नहीं था, साथ ही इसके सेवन से किसी भी प्रकार का जोखिम नहीं हो सकता था, बस इसके स्वाद में थोड़ा अंतर आ गया था।
अब आप सोच रहे होंगे कि यह टमाटर बाजार में बिकना क्यों बंद हुआ, वैसे तो इस टमाटर की बाजार में मांग काफी थी। लेकिन कई लोगों ने आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य पदार्थों का विरोध किया था। वहीं इसका ज्यादा लंबे समय तक सेवन करते रहने से होने वाले प्रभावों के बारे में भी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी। वहीं फ्लैवर सेवर की विफलता के लिए व्यापार में कैलगेन की अनुभव में कमी को जिम्मेदार ठहराया गया था।
संदर्भ :-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Flavr_Savr
2. https://biotechnologysociety.wordpress.com/2015/02/16/flavr-savr-tomato/
3. http://calag.ucanr.edu/Archive/?article=ca.v054n04p6
4. https://www.slideshare.net/sakthivelRamar/flavr-savr-tomatoppt
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