काबुल से जौनपुर और अजमेर तक मुगल साम्राज्य का विस्तार बैरम खान द्वारा किया गया था, पर उन्हें अकबर द्वारा क्यों निकाल दिया गया? आइए जानते हैं इसके पीछे का इतिहास, जहाँ बैरम खान द्वारा मुगल साम्राज्य के शासन संबंधित कार्यों को कई वर्षों तक सज्जनता पूर्वक किया गया था, वहीं अकबर के परिपक्वता की आयु के करीब पहुंचने से पहले ही बैरम खान अहंकारी हो चुके थे। साथ ही उन्होंने कई प्रभावशाली व्यक्तियों और मुगल दरबार के सज्जनों को नाराज कर दिया था।
वहीं तभी कुछ सज्जनों द्वारा अकबर से शिकायत की गई कि बैरम खान एक शिया थे और वे उच्च कार्यालयों में समर्थकों और शियाओं को ही नियुक्त कर रहे थे और पूराने सज्जनों की अवहेलना करते थे। हालांकि बैरम खान के विरुद्ध लगाए गए आरोप बहुत गंभीर नहीं थे, पर अहंकार के कारण वे ये नहीं देख पाए कि अकबर अब बड़े हो गए थे। वहीं एक छोटी-सी बात में हो रहे मनमुटाव के कारण अकबर को यह एहसास हुआ कि वे अब राज्य के मामलों को किसी और के हाथों में नहीं छोड़ सकते हैं।
बैरम खान को नियंत्रित करने के लिए, अकबर ने एक चाल चली और वे शिकार करने के बहाने आगरा छोड़कर दिल्ली चले गए। वहीं दिल्ली से अकबर द्वारा एक फरमान जारी किया गया, जिसमें उन्होंने बैरम खान को उनके कार्यालय से बर्खास्त करने का आदेश दिया, उसके बाद उन्होंने सभी सज्जनों को व्यक्तिगत रूप से मिलने का आदेश दिया। फरमान से बैरम खान को यह एहसास हो गया कि अब अकबर सत्ता अपने हाथों में लेना चाहता है, तो इसलिए बैरम खान कार्यालय से हटने के लिए तैयार थे। परंतु बैरम खान के विरोधी उन्हें पूरी तरह से बर्बाद करना चाहते थे। इसलिए वे उन्हें तब तक अपमानित करते रहे जब तक वे विद्रोही नहीं बन गए।
इस विद्रोह ने लगभग छह महीने तक साम्राज्य के माहौल को विचलित करके रखा था। वहीं अंत में बैरम खान अकबर के दरबार चले गए और दरबार में अकबर ने उन्हें दरबार के लिए कार्य करने या सेवानिवृत्त होकर मक्का जाने का विकल्प दिया। बैरम खान ने सेवानिवृत्त होकर मक्का जाने का विकल्प चुना और मक्का जाते समय मार्ग में अहमदाबाद के पास पाटन में एक अफगान द्वारा उनकी हत्या कर दी गई थी। बैरम खान की पत्नी और उनके छोटे बच्चे को अकबर आगरा में ले आया और अकबर ने बैरम खान की पत्नी से शादी की और उनके बच्चे का अपने बेटे के रूप में पालन पोषण किया। बैरम खान का बेटा बाद में अब्दुल रहीम खान-ऐ-खाना के नाम से लोकप्रिय हो गए और मुगल साम्राज्य में सबसे महत्वपूर्ण कार्यालयों और आदेशों में से कुछ का आयोजन भी इनके द्वारा ही किया जाता था और अब्दुल रहीम खान-ए-खाना अकबर के नौ रत्नों में से एक थे।
संदर्भ :-
1. https://bit.ly/2HtspvD
2. https://www.quora.com/Why-did-Akbar-kill-Bairam-Khan
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