हाइबरनेशन (Hibernation) यानी की शीत निष्क्रियता (जिसे सर्दियों की नींद भी कहते है) के बारे में तो हम सभी ने सुना ही होगा, इसमें समतापी प्राणी शरद ऋतु में सुप्तावस्था में चले जाते है। इस अवस्था में इनकी शारीरिक क्रियाएँ रुक जाती हैं या बहुत क्षीण हो जाती है। परंतु क्या आपको ये पता है कि कई असमतापी प्राणी गर्मियों के महीनों में गर्मी के कुप्रभाव से बचने के लिये कुछ अवधि के लिये छायादार और नम जगह पर सुप्तावस्था में चले जाते है, इस स्थिति को ग्रीष्म निष्क्रियता या एस्टीवेशन (Estivation) कहते है।
ग्रीष्म निष्क्रियता शीत निष्क्रियता के समान ही होता है या हम ये भी कह सकते है कि ग्रीष्म निष्क्रियता, शीत निष्क्रियता का ग्रीष्म संस्करण है जिसमे जानवर उच्च तापमान और सूखे के प्रभाव को कम करने के लिए निष्क्रियता की स्थिति में चले जाते हैं। ग्रीष्म निष्क्रियता में भी शीत निष्क्रियता के समान ही प्राणियों की उपापचयी दर धीमी हो जाती है और शारीरिक तापमान कम हो जाता है और हृदय स्पंदन भी कम हो जाता है। परंतु ग्रीष्म निष्क्रियता कम समय के लिये होती है और ये पूर्णता सुप्तावस्था में नहीं जाते है, इसका मतलब है कि वे तेज़ी से जाग कर स्थितियों के प्रति प्रतिक्रिया करने में सक्षम होते हैं। हालांकि इस अवस्था में मस्तिष्क की विद्युत गतिविधि रुक जाती है, लेकिन फिर भी, ये जानवर आवाज, प्रकाश और तापमान पर प्रतिक्रिया करते हैं।
ग्रीष्म निष्क्रियता अधिकांशतः रेगिस्तान या उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रहने वाले जानवरों में देखी जाती है। इन जानवरों में निष्क्रिय अवस्था में ऊर्जा का उपयोग सक्रिय अवस्था की तुलना में 70-100 गुना तक कम हो जाता है। जो जानवर ग्रीष्म निष्क्रियता की अवस्था में जाते हैं, उनमें मोटी-पूंछ वाले लीमर (जिनमें सबसे पहले ग्रीष्म निष्क्रियता की प्रक्रिया ज्ञात हुई थी), कई सरीसृप और उभयचर जिनमें उत्तरी अमेरिकी रेगिस्तानी कछुएं, चित्तीदार कछुएं, कैलिफ़ोर्निया टाइगर सैलामैंडर, मेंढक, मगरमच्छ, कुछ घोंघे एंव मछलियां (जैसे लंगफिश) तथा कुछ कीड़े जैसे मधुमक्खी, मच्छर, चींटियाँ, और लेडीबग आदि शामिल हैं। ये सभी जानवर ग्रीष्म निष्क्रियता में गर्म तथा शुष्क जलवायु और भोजन तथा पानी की कमी के कारण जाते हैं। ये अवस्था इन्हें गर्मी के मौसम में जीवित रहने में सक्षम बनाती है।
ग्रीष्म निष्क्रियता में भी जानवर पूर्व तैयारी के चरण से गुजरते हैं, जिसमें ये भोजन और पानी का पर्याप्त मात्रा में भंडारण करते हैं, जो लंबे समय तक चल सकता है, ये भोजन वसा के रूप में संग्रहीत होता है, जो जीवित रहने के लिये इन्हें ऊर्जा प्रदान करता है। जैसे ही मौसम में बदलाव आता है ये धीरे-धीरे सक्रिय होने लगते है और पूरी तरह से सक्रिय होने में इन्हें कुछ घंटे लग जाते हैं।
ग्रीष्म निष्क्रियता और शीत निष्क्रियता के बीच अंतर
संदर्भ:
1. http://sciencenetlinks.com/daily-content/6/27/
2. https://www.worldatlas.com/articles/what-is-estivation-animals-that-estivate.html
3. https://www.quora.com/What-kind-of-animals-hibernate-in-the-summer
4. https://biodifferences.com/difference-between-hibernation-and-aestivation-estivation.html
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