शिवलिंग - अनंत वास्तविकता का प्रतीक है

जौनपुर

 04-03-2019 09:24 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

अधिकांश लोगों द्वारा भगवान के रूप में एक ‘प्रतीक’ की पूजा की जाती है, एक प्रतीक मन को विस्मय से भर देता है और यह निराकार को एक आकार देता है। वहीं शिव का प्रतीक शिवलिंग सबसे सरल, शक्तिशाली और बोधगम्य है। जहाँ शिवलिंग अनंत वास्तविकता का प्रतीक है, वहीं संस्कृत में 'लिंग’ का अर्थ ‘चिह्न’ होता है। उपनिषदों के अनुसार, परलौकिक आत्माओं (शक्तियों) को चित्रित नहीं किया जाता है, जैसा कि हम सब जानते हैं कि अधिकांश भगवानों को किसी ना किसी प्रतीक से संदर्भित किया जाता है।

वैसे ही शिवलिंग भगवान की रचनात्मक और विनाशकारी शक्ति का प्रतीक है। शिवलिंग में मौजूद तीन क्षैतिज रेखाएं हमें भगवान के तीन पहलुओं अर्थात् सृजन, संरक्षण और विनाश की याद दिलाती है। ये रेखाएं शुरुआत के साथ-साथ अंत का भी प्रतीक है।

द्रविड़ों द्वारा सर्वोच्च वास्तविकता के प्रतीक के रूप में शिवलिंग की उत्पत्ति की गयी थी। नर्मदा नदी में पाए जाने वाले संगमरमर जैसे पत्थर ने बहते हुए पानी में एक दीर्घवृत्त का आकार लिया था। एक दीर्घवृत्ताकार एक लम्बी आकृति के आकार का होता है, इसमें केंद्र बिंदु आम गोले के विपरित एक के बजाए दो होते हैं। और यह दीर्घवृत्त शिव-शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। दीर्घवृत्त के दो केंद्र बिंदु, वास्तविक में दो पहलुओं के अनुरूप होते हैं अर्थात शिव (सर्वव्‍यापी) और शक्ति (प्रकृति) को प्रदर्शित करते हैं।

शिवलिंग दीर्घवृत्त को इस तरह से स्थापित किया गया है कि इसका आधा हिस्सा पृथ्वी में निहित है जबकि दूसरा आधा सतह के बाहर है। सतह के ऊपर दिखाई देने वाला आधा भाग विश्व की दृश्यात्मक प्रकृति की अनेकता (शक्ति) का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं सतह के नीचे का आधा भाग अदृश्य बुनियाद है, (जो ऊपरी भाग को समर्थन प्रदान करता है) है।

लिंग के तीन भाग होते हैं, पहला चौकोर तल तीन पौराणिक लोकों को दर्शाता है; दूसरा आठ दिशाओं को दर्शाते हुए एक अष्टकोणीय गोल रूप है, जो विष्णु के स्थान के अस्तित्व या दृढ़ता का प्रतीक है; और तीसरा शीर्ष में गोलाकार छोर के साथ वेलनाकार रूप में ब्रह्मांडीय चक्र पर जटिलता या समाप्ति का प्रतीक है। वहीं शिवलिंग का संपूर्ण स्वरूप ब्रह्मांडीय मंडल का प्रतीक है। शिव के 'उग्र' शक्ति या स्वभाव को शांत करने के लिए शिवलिंग के ऊपर लटके हुए कलश से पानी टपकता है।

वहीं शिवलिंग के पास हमेशा एक धातु के सर्प को देखा जाता है। शिवलिंग पर कुंडलित सर्प छतरी के अनुरूप कार्य करता है। सर्प कुंडलित ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। शिव जी का वाहन नंदी (बैल) के शरीर पर हम लिंग के आकार का कूबड़ देखते हैं। पूजा के दौरान इसे स्पर्श करते समय लोगों द्वारा शक्ति और संयम दोनों की तलाश रहती है। नंदी का मुख हमेशा शिवलिंग की ओर होता है, जो मनुष्य की आत्मा का प्रतीक है। साथ ही हमें शिवलिंग और नंदी के बीच में कछुए की छवी भी देखने को मिलती है। कछुए को एक महान अकूपार के रूप में जाना जाता है, जिसकी पीठ में पूरा ब्रह्मांड स्थित है। अकूपार को विष्णु का कूर्म-अवतार भी कहा जाता है।

भगवान शिव विनाश की शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि भगवान ब्रह्मा और विष्णु क्रमशः सृजन और रखरखाव की शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये तीनों शक्तियाँ इस विश्व में सर्वोच्च वास्तविकता की अभिव्यक्ति हैं। वास्तव में ये शक्तियाँ अविभाज्य हैं। दूसरे शब्दों में वे एक ही शक्ति के केवल तीन पहलू हैं। क्योंकि विनाश के बिना कोई नई रचना नहीं हो सकती और ना ही रचना के बिना विनाश हो सकता है। उदाहरण के लिए, जब सुबह ढलती है तो दोपहर का आगमन होता है, वहीं जब दोपहर ढलती है तो शाम का आगमन होता है और जब शाम ढलती है तो रात का आगमन होता है। यह प्रक्रिया चलती रहती है। जन्म और मृत्यु, सृजन और विनाश की इस श्रृंखला में दिन नियत चलते रहते हैं। इस प्रकार तीसरी शक्ति अर्थात् रखरखाव की शक्ति भी अन्य दो शक्तियों (सृजन और विनाश) में उलझी रहती है।

संदर्भ :-
1.https://www.speakingtree.in/blog/shivalingam-the-symbol-of-infinity



RECENT POST

  • ज्ञान, साहस, न्याय और संयम जैसे गुणों पर ज़ोर देता है ग्रीक दर्शन - ‘स्टोइसिज़्म’
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:28 AM


  • इस क्रिसमस पर, भारत में सेंट थॉमस द्वारा ईसाई धर्म के प्रसार पर नज़र डालें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:23 AM


  • जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के गहरे अध्यात्मिक महत्व को जानिए
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:21 AM


  • आइए समझें, भवन निर्माण में, मृदा परिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:26 AM


  • आइए देखें, क्रिकेट से संबंधित कुछ मज़ेदार क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:19 AM


  • जौनपुर के पास स्थित सोनभद्र जीवाश्म पार्क, पृथ्वी के प्रागैतिहासिक जीवन काल का है गवाह
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:22 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के फूलों के बाज़ारों में बिखरी खुशबू और अद्भुत सुंदरता को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:15 AM


  • जानिए, भारत के रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में, कौन सी कंपनियां, गढ़ रही हैं नए कीर्तिमान
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:20 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के खेतों की सिंचाई में, नहरों की महत्वपूर्ण भूमिका
    नदियाँ

     18-12-2024 09:21 AM


  • विभिन्न प्रकार के पक्षी प्रजातियों का घर है हमारा शहर जौनपुर
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:23 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id