प्रत्‍येक नागरिक का अधिकार खाद्य सुरक्षा

जौनपुर

 02-02-2019 02:05 PM
स्वाद- खाद्य का इतिहास

भोजन प्रत्‍येक व्‍यक्ति की मूलभूत आवश्‍यकता है, जीवन रूपी वाहन को चलाने के लिए आवश्‍यक और पर्याप्‍त भोजन मिलना अनिवार्य है। एक राष्‍ट्र का नागरिक होने के नाते राष्‍ट्र का भी उत्‍तरदायित्‍व बनता है कि वह अपने नागरिकों को आवश्‍यक खाद्य सुरक्षा उपलब्ध करवाये। खाद्य सुरक्षा से तात्‍पर्य खाद्य पदार्थों की सुनिश्चित आपूर्ति एवं जनसामान्य के लिये भोज्य पदार्थों की उपलब्धता से है। खाद्य सुरक्षा के प्रति लोग आज से नहीं वरन् सदियों पूर्व या कहें सभ्‍यता के प्रारंभ होने के साथ ही जागरूक हो गये थे जिसका प्रत्‍यक्ष प्रमाण हैं विभिन्‍न सभ्‍यताओं के मिले भण्‍डारगृह।

वर्तमान समय में भी विश्‍व स्‍तर पर खाद्य सुरक्षा में बल दिया जा रहा है। 1974 के विश्व खाद्य सम्मेलन में "खाद्य सुरक्षा" आपूर्ति पर बल दिया गया। खाद्य सुरक्षा, से तात्‍पर्य था कि भोजन की खपत की निरंतर वृद्ध‍ि और उत्पादन तथा कीमतों में होते उतार-चढ़ाव को दूर किया जाए तथा आधारभूत खाद्य पदार्थों की पर्याप्त, पौष्टिक, विविध, संतुलित और संयमित विश्व खाद्य आपूर्ति हर समय उपलब्‍ध हो। 1996 में रोम में आयोजित विश्‍व खाद्य सुरक्षा सम्‍मेलन का उद्देश्य भूख के खिलाफ लड़ाई के लिए वैश्विक प्रतिबद्धता का नवीनीकरण करना था। रोम घोषणा में संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों से वर्ष 2015 तक पृथ्वी से कुपोषितों की संख्‍या को आधा करने हेतु कार्य करने का आह्वान किया गया। खाद्य योजना में खाद्य सुरक्षा हासिल करने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के लिए कई व्यक्तिगत, घरेलू, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर लक्ष्य निर्धारित किए गये। खाद्य सुरक्षा पर एक और विश्व शिखर सम्मेलन 16 से 18 नवंबर, 2009 के बीच रोम में एफएओ के मुख्यालय में हुआ। इस शिखर सम्मेलन में राज्य और सरकार के प्रमुखों ने भाग लिया। 2009 में, विश्‍व खाद्य सुरक्षा सम्‍मेलन में खाद्य सुरक्षा के चार स्‍तंभ निर्धारित किये - उपलब्धता, पहुंच, उपयोग और स्थिरता।

1. कृषि में अनियमितता खाद्य उपलब्‍धता को प्रभावित करती है, जिसका कुशल प्रबंधन अत्‍यंतावश्‍यक है।
2. गरीबी व्‍यक्ति की भोजन तक पहुंच को प्रभावित करती है, अतः खाद्य आपूर्ति इस प्रकार की जाए ताकि उस तक समाज के सभी वर्गों की पहुंच हो सके।
3. खाद्य सुरक्षा का अर्थ केवल व्‍यक्ति की भोजन तक पहुंच बनाना नहीं है वरन् उसका सदुपयोग करना भी अनिवार्य है।
4. खाद्यापूर्ती पर मौसम, आपदा तथा कीमत जैसे कारकों का प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए अर्थात इन सभी कारकों के प्रभावी होने पर भी खाद्यापूर्ती में स्थिरता बनी रहनी चा‍हिए।

खाद्य सूरक्षा को पूर्ण करने में आने वाली चुनौतियां:
1. वैश्विक जल संकट
2. भूमि अवक्रमण
3. जलवायु परिवर्तन
4. कृषि संबंधी रोग
5. भोजन की तुलना में ईंधन और अखाद्य फसलों का अधिक उत्पादन करना
6. राजनीति
7. खाद्य संप्रभुता
8. भोजन की बर्बादी

खाद्य सुरक्षा के जोखिम

1. जनसंख्या वृद्धि
2. जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता
3. वैश्विक खाद्य आपूर्ति में समरूपता
4. मूल्य निर्धारण
5. भूमि उपयोग परिवर्तन

खाद्य सुरक्षा पर विशेष कदम तो उठाये गये किंतु धरातलीय स्‍तर पर कई देशों में यह इतने प्रभावी रूप में कार्य नहीं कर पाये। कुपोषण (पीओयू) संकेतक और संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2010-2012 में का वैश्विक जनसंख्या का 12.5% हिस्‍सा कुपोषित था। भारत में खाद्य सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। 1990 के दशक में भारत के लगभग तीन करोड़ लोगों को भूखमरी की श्रेणी में तथा 46% बच्चों को कम वजन की श्रेणी में रखा गया था। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार - भारत में लगभग 19.5 करोड़ कुपोषित लोग हैं, जो कि वैश्विक भुखमरी का एक चौथाई हिस्सा है। साथ ही भारत में लगभग 43% बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। भारत 2018 में विश्‍व खाद्य सुरक्षा सूचकांक के 113 प्रमुख देशों में से 76 वें स्थान पर रहा। इस सूचकांक के शीर्ष बीस देश इस प्रकार हैं:

देश के प्रत्येक नागरिक को भोजन का अधिकार प्रदान करने के लिए, संसद द्वारा 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (एनएफएसए २०१३) नामक एक कानून पारित किया। इस अधिनियम के तहत भारत की कुल आबादी के लगभग दो तिहाई हिस्‍से को कम दाम पर अनाज प्रदान करने का प्रावधान रखा गया है। यह खाद्य अधिकार कानून 12 सितंबर 2013 को पारित हुआ। खाद्य सुरक्षा को ध्‍यान में रखते हुए केंद्र और राज्‍य सरकारों द्वारा विभिन्‍न योजनाएं चलाई गयी:

केंद्रीय योजना
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (NFSA 2013) भारत सरकार के मौजूदा खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए कानूनी अधिकारों में परिवर्तित हो जाता है। इसमें मध्याह्न भोजन योजना, एकीकृत बाल विकास सेवा योजना और सार्वजनिक वितरण प्रणाली शामिल हैं। 2017-18 में, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के तहत खाद्य सब्सिडी प्रदान करने के लिए 1500 बिलियन रुपय से अधिक (सरकार के कुल व्यय का 7.6%) आवंटित किये गये। इस अधिनियम के तहत गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों के दैनिक आहार की भी व्‍यवस्‍था की जाती है।

राज्‍य योजना
1. तमिलनाडु सरकार ने 'अम्मा उनवागम' (अम्‍मा की कैंटीन) लॉन्च की है।
2. 2013 में यूपी राज्य ने एक खाद्य विधेयक पारित किया। पार्टियों से बर्बाद होने वाला भोजन संरक्षित किया जाएगा और गरीब और जरूरतमंद लोगों को वितरित किया जाएगा।
3. छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2012 (21 दिसंबर 2012 को) कानून बनाया गया था। राज्य विधानसभा द्वारा "राज्य के लोगों द्वारा हर समय गरिमा का जीवन जीने के लिए सस्ती कीमत पर पर्याप्त मात्रा में भोजन और अच्छे पोषण की अन्य आवश्यकताओं तक पहुँच बनाना है।"

भारत में बढ़ती आबादी और घटती कृषि भूमि एक खाद्य संकट की ओर अग्रसर है। वर्तमान समय में 60% से अधिक भारतीय आबादी अपने दैनिक भोजन के लिए कृषि पर निर्भर है। भारत के सभी परिवारों के लिए भोजन उपलब्‍ध हो सकता है, किंतु ग‍रीबी के कारण सभी परिवार उस तक नहीं पहुंच पाते हैं। इस समस्‍या से निजात दिलाने हेतु सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली जिसे अंग्रेजी में पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (Public distribution system) कहते है जोकि एक भारतीय खाद्य सुरक्षा प्रणाली है, लागू की गयी। इसके तहत भारत के गरीब परिवारों को सस्ती कीमतों पर अनाज उपलब्‍ध कराया जाएगा। पीडीएस केंद्रीय और राज्य सरकारों की संयुक्त जिम्मेदारी के तहत संचालित होती है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के माध्यम से केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को खरीद, भंडारण, परिवहन और अनाज के थोक आवंटन की ज़िम्मेदारी दी है।

भारत सरकार द्वारा भारत के प्रत्‍येक परिवार को राशनकार्ड वितरित किया जाता है, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत इसी कार्ड के माध्‍यम से राशन वितरित किया जाता है। यह कार्ड कई भारतीयों के लिए एक सामान्य पहचान के रूप में भी कार्य करता है साथ ही यह व्‍यक्ति की आर्थिक स्थिति को भी दर्शाता है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत, मुख्‍यतः दो प्रकार के राशन कार्ड आते हैं :

प्राथमिकता राशन कार्ड – प्राथमिकता वाले राशन कार्ड ऐसे परिवारों को प्रदान किए जाते हैं जो उनकी राज्य सरकार द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं। प्रत्येक प्राथमिकता वाले परिवार के प्रति सदस्य को 5 किलोग्राम खाद्यान्न प्रदान किया जाता है।

अंत्योदय (AAY) राशन कार्ड - यह भारत के सबसे गरीब परिवारों को दिये जाते हैं। इसके अंतर्गत प्रत्‍येक परिवार को 35 किलोग्राम अनाज का वि‍तरित किया जाता है।

राशनकार्ड प्राप्‍त करने के लिए प्रत्‍येक राज्‍य सरकार द्वारा अलग अलग आवेदन पत्र निर्धारित किए गए हैं, जिन्‍हें आप व्‍यक्तिगत रूप से या ऑनलाइन जमा करा सकते हैं। अधिकांश राज्यों में अपनाई जाने वाली सामान्य प्रक्रियाएँ इस प्रकार हैं:

पात्रता नीचे सूचीबद्ध में राज्य सरकार से राशन कार्ड प्राप्त करने के लिए पात्रता मानदंड हैं:

1. भारतीय नागरिक होना चाहिए
2. अन्य राज्यों में राशन कार्ड नहीं होना चाहिए
3. अलग-अलग रहते और पकाते हैं
4. आवेदक और परिवार के सदस्य करीबी रिश्तेदार होने चाहिए
5. उसी राज्य में किसी भी अन्य परिवार के पास नहीं होना चाहिए

आवश्यक दस्तावेज़
1. पूर्ण और हस्ताक्षरित आवेदन पत्र
2. आवेदक का पहचान प्रमाण निम्नलिखित में से कोई भी:
3. चुनाव फोटो पहचान पत्र
4. ड्राइविंग लाइसेंस (driving license)
5. पासपोर्ट (passport)
6. अन्‍य कोई भी सरकारी पहचान पत्र
7. आवेदक का वर्तमान निवास प्रमाण प्रस्तुत किया जाना चाहिए जो निम्नलिखित दस्तावेजों में से कोई भी हो सकता है:
8. बिजली का बिल
9. टेलीफ़ोन बिल

आवेदक को आवेदन पत्र के साथ मूल न्यूनतम शुल्क का भुगतान करना होता है। आवेदन जमा होने के बाद, फ़ाइल को सत्यापन (verification) के लिए भेजा जाता है। सत्यापन के प्रभारी अधिकारी को आगे की प्रक्रिया के लिए आवेदक द्वारा प्रस्तुत विवरण का निरीक्षण करना और प्रमाणित करना होता है। यह निरीक्षण आवेदन जमा करने की तारीख से 30 दिनों के भीतर किया जाता है। एक बार अधिकारी द्वारा सभी विवरण सत्यापित और पुष्टि कर लिए जाने के बाद, राशन कार्ड बनाया जाता है और आवेदक को उनकी वार्षिक आय के आधार पर जारी किया जाता है। यदि आवेदन खारिज कर दिया जाता है, तो आवेदक को उसी के कारणों के साथ एक अस्वीकृति पत्र जारी किया जाता है। किसी भी गलत/ भ्रामक जानकारी के मामले में, आवेदक कानून के तहत आपराधिक अभियोजन और परिणामस्वरूप सजा के लिए उत्तरदायी होगा। कुछ राज्‍य सरकारें ने ईपीडीएस (इलेक्ट्रॉनिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली(Electronic Public Distribution System)) के माध्यम से ई-राशन कार्ड पेश किए हैं।

सरकार द्वारा योजनाएं तो लागू की जाती हैं, किंतु कई स्‍थानों पर यह वास्‍तविक पात्रों को नहीं मिल पाती है। ऐसी ही स्थिति जौनपुर में देखने को मिली है, लाभार्थीपरक एवं कल्‍याणकारी योजनाओं के लाभ से छूटे हुए/वंचित पात्र लाभार्थियों के सर्वेक्षण (2018) कार्य की प्रगति की सूची जारी की गयी है जिसे आप इस लिंक (https://bit.ly/2RunKes) में देख सकते हैं। या आप इस सूचि को https://jaunpur.nic.in/ पे जाके भी देख सकते है।

संदर्भ :
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Food_security
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Food_security_in_India
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Public_distribution_system
4.https://foodsecurityindex.eiu.com/Index
5.https://en.wikipedia.org/wiki/Ration_card_(India)
6.https://www.indiafilings.com/learn/uttar-pradesh-ration-card/
7.https://cleartax.in/s/ration-card
8.https://bit.ly/2RunKes



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