कैसे किया जाता है राष्ट्रपति का चुनाव और क्या होते हैं उनके फ़र्ज़

जौनपुर

 26-01-2019 10:00 AM
सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

26 जनवरी, 1950 को संविधान के अस्तित्व में आने के साथ ही हमारे देश ने एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में अपनी नई यात्रा शुरू की। उसी समय से राष्ट्र का मुखिया निर्वाचित होने लगा, जिसको राष्ट्रपति कहा जाता है। भारत में राष्ट्रपति को प्रथम नागरिक माना जाता है। यह देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद है। ऐसे में संवैधानिक प्रक्रिया के तहत हर 5 सालों में राष्ट्रपति का चुनाव होता है। विश्व के सबसे बड़े लिखित संविधान वाले देश के तौर पर भारत में राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया भी बड़ी अनूठी है, तो चलिये जानते हैं कि देश के पहले व्यक्ति का चुनाव किस प्रकार से किया जाता है।

राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिये योग्यताएं

अनुच्छेद ‘58 के अनुसार राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए अर्हताएं इस प्रकार हैं-
कोई व्यक्ति राष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र तभी होगा जब वह-

a) वह भारत का नागरिक हो।
b) कम से कम 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
c) वह लोक सभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो।
d) वह किसी सरकारी लाभकारी पद पर कार्यरत न हो।
e) राष्ट्रपति के पद पर आसीन व्यक्ति संसद का सदस्य या राज्यों में विधायक नहीं हो सकता।
f) कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन अथवा उक्त सरकारों में से किसी के नियन्त्रण में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, राष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र नहीं होगा।

भारत में ऐसा होता है राष्ट्रपति का चुनाव

चरण 1: नामांकन: राष्ट्रपति का चुनाव 'अप्रत्यक्ष निर्वाचन' के द्वारा किया जाता है। राष्ट्रपति पद के निर्वाचन में उम्मीदवार होने के लिए आवश्यक है कि कोई व्यक्ति निर्वाचन के लिए अपना नामांकन करते समय 15,000 रुपये की धरोहर (ज़मानत धनराशि) निर्वाचन अधिकारी के समक्ष जमा करे और उसके नामांकन पत्र का प्रस्ताव कम से कम 50 मतदाताओं के द्वारा किया जाना चाहिए तथा कम से कम 50 मतदाताओं द्वारा उसके नामांकन पत्र का समर्थन भी किया जाना चाहिए। वर्ष 1974 से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नामांकन पत्रों पर सिर्फ एक प्रस्तावक और एक समर्थक के हस्ताक्षर अनिवार्य हो गये अर्थात एक प्रस्तावक द्वारा केवल एक उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रख सकता है। क्योंकि राष्ट्रपति पद के लिए 1952, 1957, 1962, 1967 और 1969 में हुए चुनावों में यह देखने में आया कि निर्वाचित होने की कोई आशा नहीं होने पर भी कुछ लोगों ने नामांकन पत्र भरे।

चरण 2: मतदान: भारत के राष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य करते हैं। निर्वाचित सदस्य को अपना वोट डालने के लिए मतपत्र (सांसदों के लिए हरे रंग का और विधायकों के लिए गुलाबी रंग का मतपत्र) दिये जाते है। उन्हें विशेष कलम भी दिया जाता है, जो एकमात्र साधन होता है जिसका उपयोग करके वे अपने वोटों को डाल सकते हैं। इस चुनाव में एक खास तरीके से मतदान होता है, इसमें एक मतदाता एक ही वोट देता है, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में शामिल सभी उम्मीदवारों में से अपनी प्राथमिकता तय करता है। साधारण शब्दों में कहा जाये तो यदि राष्ट्रपति चुनाव में तीन उम्मीदवार है तो मतदाता अपनी प्राथमिकता के अनुसार क्रमबद्ध तरीके से उम्मीदवारों का चुनाव करते है। मतदान देने वाले को बैलेट पेपर पर अपनी पसंद को पहले, दूसरे तथा तीसरे क्रमानुसार बताना होता है।

चरण 3: मतपत्रों को अलग करना: मतपत्रों को राज्यानुसार रखा जाता है और प्रत्येक उम्मीदवार की ट्रे में उस मतपत्र को डाला जाता है जिसमें उसका चयन पहले नंबर पर किया हो। उदाहरण के लिए, यदि उत्तर प्रदेश का कोई विधायक राम नाथ कोविंद को अपनी पहली पसंद के रूप में चिह्नित करता है, तो विधायक का मतपत्र कोविंद की ट्रे में जाएगा। फिर संसद सदस्यों के मतपत्र के लिये भी समान प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है।

चरण 4: वोटों की गिनती: राष्ट्रपति के चुनाव में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने से ही जीत तय नहीं होती है। राष्ट्रपति वही बनता है, जो वोटरों यानी सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल वेटेज का आधा से ज्यादा हिस्सा हासिल करें।

विधायकों का वोट वेल्यु: विधायक का वोट वेल्यु निकालने के लिए प्रदेश की जनसंख्या को चुने गए विधायकों की संख्या से बांटा जाता है। इस तरह जो भी संख्या मिलती है, उसे फिर 1000 से भाग दिया जाता है। अब जो आंकड़ा आता है, वही उस राज्य के एक विधायक के वोट वेल्यु होता है।

सांसदो का वोट वेल्यु: सांसदों के मतों का वोट वेल्यु निकालने के लिए सबसे पहले सभी राज्यों की विधानसभाओं से चुने गए सदस्य का वोट वेल्यु जोड़ा जाता है। अब इस सामूहिक वोट वेल्यु का राज्यसभा और लोकसभा के चुने गए सदस्य की कुल संख्या से भाग दिया जाता है। इस तरह जो संख्या आती है, वह एक सांसद का वोट वेल्यु होता है।

चरण 5: विजेता का निर्णय करना: राष्ट्रपति चुनाव का विजेता वह व्यक्ति होता है जिसे सभी विधायकों और सांसदो के कुल वोटों के आधे से 1 अधिक वोट मिला हो।

चरण 6: शपथ लेना: चुनाव के परिणाम की घोषणा के बाद नवनिर्वाचित राष्ट्रपति अपने पद की शपथ भारत के मुख्य न्यायाधीश के सामने लेते हैं।

राष्ट्रपति की शक्तियां

संविधान के द्वारा राष्ट्रपति को निम्नलिखित प्रमुख शक्तियां प्रदान की गई है:
1. कार्यकारी संबंधी शक्तियां
2. वित्तीय संबंधी शक्तियां
3. न्याय संबंधी शक्तियां
4. संकट कालीन शक्तियां
5. विधायी संबंधी शक्तियां
6. कूटनीतिक शक्तियां
7. सैन्य शक्तियां
8. आपातकालीन शक्तियां

इनके आलावा राष्ट्रपति को विवेकाधीन शक्तियां, वीटो शक्ति तथा अध्यादेश जारी करने की शक्ति आदि जैसे कई अन्य शक्तियां और अधिकार प्राप्त है। समय के अनुसार में भारत के राष्ट्रपतियों के नाम और कार्यकाल की सूची निम्नलिखित है:

राष्ट्रपति पर महाभियोग शुरू करने की प्रक्रिया क्या है

भारत की संसद द्वारा भारत के संविधान का उल्लंघन करने के लिए महाभियोग के माध्यम से कार्यकाल समाप्त होने से पहले राष्ट्रपति को भी हटाया जा सकता है। अनुच्छेद 61 के अनुसार राष्ट्रपति को महाभियोग प्रस्ताव के जरिए अपने पद से हटाया जा सकता है। राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग चलाने का संकल्प संसद के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है, लेकिन जिस सदन में महाभियोग का संकल्प पेश किया जाना हो, उसके एक चौथाई सदस्यों के द्वारा हस्ताक्षरित आरोप पत्र राष्ट्रपति को 14 दिन पूर्व दिया जाना आवश्यक है। जिस सदन में संकल्प पेश किया गया है, उसके द्वारा पारित किये जाने के बाद संकल्प दूसरे सदन को भेजा जाएगा और दूसरा सदन राष्ट्रपति पर लगाये गये आरोपों की जाँच करेगा। जब दूसरा सदन राष्ट्रपति पर लगाये गये आरोपों की जाँच कर रहा हो, तब राष्ट्रपति या तो स्वयं या तो अपने वकील के माध्यम से लगाये गये आरोपों के सम्बन्ध में अपना पक्ष प्रस्तुत करेगा और स्पष्टीकरण देगा। यदि दूसरा सदन राष्ट्रपति पर लगाये गये आरोपों को सही पाता है तथा अपनी संख्या के बहुमत से तथा उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत पहले सदन द्वारा पारित संकल्प का अनुमोदन कर देता है, तो महाभियोग की कार्रवाई पूर्ण हो जाती है। इस प्रकार राष्ट्रपति अपना पद त्याग करने के लिए बाध्य हो जाता है। अभी तक भारत में किसी भी राष्ट्रपति ने महाभियोग की कार्यवाही का सामना नहीं किया है, इसलिए उपरोक्त प्रावधानों का कभी उपयोग नहीं किया गया है।

राष्ट्रपति बनाम प्रधानमंत्री

देश का सारा प्रशासन राष्ट्रपति के नाम से चलाया जाता है। वह किसी भी मंत्री से कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकता है। मंत्री- परिषद द्वारा लिए नए सभी निर्णयों की सूचना राष्ट्रपति को भेजी जाती है। उसे प्रशासन से संबंधित सभी जानकारी भी दी जाती हैं। राष्ट्रपति पद की उपयोगिता का पता इसी बात से लग जाता है कि उसे सरकार को परामर्श, प्रेरणा अथवा प्रोत्साहन तथा चेतावनी देने का अधिकार है। देश के लिये राष्ट्रपति एक परामर्शदाता, संरक्षक तथा मित्र के रूप में उभर कर सामने आता है।

संदर्भ:
1.https://www.indiatoday.in/fyi/story/how-india-elects-its-president-1021847-2017-07-01
2.https://en.wikipedia.org/wiki/President_of_India
3.https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_Presidents_of_India



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