बिजली उत्पादन में कोयले और थर्मल पावर प्लांट की भूमिका

जौनपुर

 18-01-2019 12:38 PM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

संपूर्ण विश्व में बिजली बनाने का सबसे मुख्य स्त्रोत कोयला है। कोयले से बिजली बनाने वाले प्लांट को थर्मल पावर प्लांट (thermal power plant) जिसे हम हिंदी भाषा में ताप विद्युत संयंत्र भी कहते हैं। थर्मल पावर प्लांट में ऊष्मीय ऊर्जा का उपयोग करके विद्युत उत्पादन किया जाता है। इसमें कोयले, गैस या ईंधन तेल को जलाकर उत्पन्न ऊष्मा द्वारा पानी की भाप उत्पन्न की जाती है, और भाप द्वारा टरबाइन को चलाया जाता है। टरबाइन के विद्युत जनरेटर से जुड़े होने के कारण ये विद्युत जनरेटर को चलाती है और जनरेटर द्वारा विद्युत उत्पन्न की जाती है। इस संयंत्र में शक्ति का परिवर्तन रैंकाइन चक्र (Rankine cycle) के आधार पर काम करता है।

जौनपुर से 180 किमी दूर रिहंद थर्मल पावर प्लांट, भारत के सबसे बड़े थर्मल पावर प्लांट्स में से एक है, यह उत्तर प्रदेश में सोनभद्र जिले के रेणुकुट में स्थित है। यह पावर प्लांट एनटीपीसी लिमिटेड (NTPC Limited) के कोयला आधारित बिजली उत्पादन संयंत्रों में से एक है तथा इसकी विद्युत उत्पादन की क्षमता 3000 मेगावाट (MW) है। भारत में 64.1% बिजली (2,21,768 मेगावाट) के स्त्रोत थर्मल पावर प्लांट है। इसमें से 56.6% बिजली (1,95,993 मेगावाट) कोयले पर आधारित थर्मल पावर प्लांट से उत्पादित की जाती है तथा 7.2% गैसे (24,937 मेगावाट) से और 0.2% तेल (838 मेगावाट) उत्पन्न की जाती है। भारत में कुल 18,452 ऐसे गाँव थे जहां पहले बिजली नही थी परंतु सरकार ने अब तक 14,955 गैर-विद्युतीकृत गाँवों का विद्युतीकरण किया है और 2019 तक सभी गाँवों के विद्युतीकरण को लक्षित किया है।

इस उद्देश्य को पूरा करने के लिये मार्च 2014 में 5.3 लाख मेगावाट एम्पीयर विद्युत का उत्पादन हुआ था और 2017 में इसमें लगभग 40% की वृद्धि (7.4 लाख मेगावाट एम्पीयर) देखी गई। ऊर्जा मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में बिजली उत्पादन के लिए 1,229.4 बिलियन यूनिट (1 बिलियन = 100 करोड़) का लक्ष्य रखा था, जो 2016-17 के लिए निर्धारित लक्ष्य से 50 बिलियन यूनिट अधिक था। हाल के वर्ष 2018-19 के लिए पारंपरिक स्रोतों का विद्युत उत्पादन लक्ष्य 1265.400 बिलियन यूनिट निर्धारित किया गया था, जिसमें 1091.500 बिलियन यूनिट थर्मल स्रोत द्वारा, 130.000 बिलियन यूनिट जल विद्युत द्वारा, तथा 38.500 बिलियन यूनिट न्यूक्लियर पावर प्लांट द्वारा उत्पन्न किया जाएगा और शेष 5 बिलियन यूनिट को भूटान से आयात किया जाएगा। एक अनुमान के अनुसार माना जाता है कि भारत में 2022 तक बिजली की खपत बढ़कर 1,894.7 टेरावाट आवर (TWh) तक हो जाएगी।

कुछ थर्मल पावर स्टेशनों को विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के अलावा औद्योगिक उद्देश्यों, या डिस्ट्रिक्ट हीटिंग (district heating) या पानी के विलवणीकरण के लिए ऊर्जा उत्पादन के लिए बनाया जाता है। परंतु कोयला आधारित विद्युत संयंत्र में विद्युत उत्पादन किस प्रकार किया जाता है? आइये समझते है थर्मल पावर प्लांट के विशिष्ट लेआउट और कार्य को:

जब बिजली के उत्पादन के लिए कोयले का प्रयोग किया जाता है तो आम तौर पर पहले इसका चूरा बनाया जाता है और तब बॉयलर युक्त फर्नेस (Boiler Furnace) में जलाया जाता है। इस प्रकार चूरा किया हुआ कोयला बॉयलर की दक्षता में सुधार करता है। कोयले के दहन के बाद उत्पन्न होने वाली राख को बॉयलर की भट्टी से बाहर निकाल दिया जाता है। ईंधन के प्रज्वलन से बॉयलर के केंद्र में एक बड़ी आग का गोला सा बन जाता है और इससे उच्च मात्रा में तप्त ऊर्जा निकलती है। उच्च तापमान और दबाव में पानी को भाप में बदलने के लिए तप्त ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। बॉयलर की दीवारों के साथ स्टील ट्यूब (steel tube) जुड़ी रहती हैं जिसमें पानी भाप में परिवर्तित होता है। बॉयलर से निकलने वाली फ्लू (flue) गैसे सुपरहीटर (superheater), इकोनॉमाईज़र (Economizer), एयर प्रीहीटर (Air pre-heater) के माध्यम से अपना रास्ता बनाती हुई चिमनी से वायुमंडल में निकल जाती हैं।

सुपरहीटर: सुपरहीटर ट्यूब को बॉयलर के सबसे गर्म हिस्से पर लगाया जाता है। बॉयलर ट्यूबों में उत्पादित संतृप्त भाप सुपरहीटर में लगभग 540 °C तक तप्त होती है। इसके बाद तप्त हुई उच्च दाब भाप को टरबाइन तक पहुंचाया जाता है।

इकोनॉमाईज़र: इकोनॉमाईज़र अनिवार्य रूप से एक पानी गरम करने यंत्र है जो पानी को बॉयलर में जाने से पहले गर्म करता है।

एयर प्रीहीटर: एक पंखे के जैसा यंत्र जिसे हम प्राइमरी एयर फैन (primary air fan) कहते है वायुमंडल से हवा लेता है और फिर इसे एयर-हीटर में गर्म किया जाता है। इस गरम हवा को बॉयलर में कोयले के साथ इंजेक्ट किया जाता है। इससे कोयला दहन में सुधार होता है।

स्टीम टरबाइन (steam turbine): उच्च दाब वाली भाप की ऊर्जा से टर्बाइन घूमती है, टर्बाइन एक बड़ी सी चकरी होती है जिसमें ब्लेड लगे होते है और भाप के दाब से यह जोर से घूमने लगते है। टरबाइन पर भाप को बहुत ऊँचे दबाव और ऊंचे तापमान से लाया जाता है। इस प्रकार स्टीम टरबाइन से भाप की ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। भाप का दाब और तापमान कम मान पर गिरता है, और यह टरबाइन के माध्यम से गुजरने के साथ आयतन में फैलती है। विस्तारित कम दाब वाली इस भाप को कंडेनसर (condenser) में पहुंचा दिया जाता है। कंडेनसर में भाप को पानी में बदल दिया जाता है। इसमें में एकत्र संघनित पानी को फिर से पानी के पम्प द्वारा बॉयलर तक पहुंचाया जाता है। इस चक्र के दौरान कुछ पानी नष्ट हो जाता है, जिसकी आपूर्ति बाहरी जल स्रोत से की जाती है।

आवर्तित्र (Alternator): स्टीम टर्बाइन को आवर्तित्र से जोड़ा जाता है। जब टरबाइन, आवर्तित्र को घुमाती है, तो विद्युत ऊर्जा उत्पन्न होती है। इस उत्पन्न विद्युत ऊर्जा को एक ट्रांसफार्मर (Transformer) की मदद से आगे बढ़ाया जाता है और फिर इसे जहां इसका उपयोग किया जाना है वहां स्थानांतरित कर दिया जाता है। यह था एक थर्मल पावर प्लांट और इसके विशिष्ट घटकों का मूल कार्य सिद्धांत।

संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Thermal_power_station
2.https://www.electricaleasy.com/2015/08/thermal-power-plant.html
3.https://www.investindia.gov.in/sector/thermal-power
4.https://powermin.nic.in/en/content/power-sector-glance-all-india
5.https://en.wikipedia.org/wiki/Rihand_Thermal_Power_Station



RECENT POST

  • पूर्वांचल का गौरवपूर्ण प्रतिनिधित्व करती है, जौनपुर में बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:22 AM


  • जानिए, भारत में मोती पालन उद्योग और इससे जुड़े व्यावसायिक अवसरों के बारे में
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:24 AM


  • ज्ञान, साहस, न्याय और संयम जैसे गुणों पर ज़ोर देता है ग्रीक दर्शन - ‘स्टोइसिज़्म’
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:28 AM


  • इस क्रिसमस पर, भारत में सेंट थॉमस द्वारा ईसाई धर्म के प्रसार पर नज़र डालें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:23 AM


  • जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के गहरे अध्यात्मिक महत्व को जानिए
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:21 AM


  • आइए समझें, भवन निर्माण में, मृदा परिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:26 AM


  • आइए देखें, क्रिकेट से संबंधित कुछ मज़ेदार क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:19 AM


  • जौनपुर के पास स्थित सोनभद्र जीवाश्म पार्क, पृथ्वी के प्रागैतिहासिक जीवन काल का है गवाह
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:22 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के फूलों के बाज़ारों में बिखरी खुशबू और अद्भुत सुंदरता को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:15 AM


  • जानिए, भारत के रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में, कौन सी कंपनियां, गढ़ रही हैं नए कीर्तिमान
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:20 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id