जौनपुर गोमती नदी के तट पर बसा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक ऐतिहासिक शहर है। मध्यकालीन भारत में शर्की शासकों की राजधानी रहा जौनपुर 14वीं शताब्दी में फिरोज शाह तुगलक ने अपने चचेरे भाई सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक (जौना खां) की याद में बसाया था। गोमती नदी जौनपुर की प्रमुख नदी है और गंगा की एक सहायक नदी है। हिन्दु पुराणों के अनुसार गोमती को ब्रह्मर्षि वशिष्ठ की पुत्री माना गया है। कहा जाता है कि एकादशी पर गोमती नदी में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं। श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक कार्यों को संपन्न करने के लिए गोमती नदी भारत की अनुकरणीय नदियों में से एक है। साथ-साथ इसमें दुर्लभ गोमती चक्र भी पाए जाते हैं।
यह नदी जौनपुर शहर एवं सुल्तानपुर जिले को लगभग दो बराबर भागों में बांटती है और जौनपुर में व्यापक हो जाती है। लखनऊ, लखीमपुर खीरी, सुल्तानपुर और जौनपुर गोमती के किनारे पर स्थित हैं और ये इसके जल को ग्रहण करने वाले 15 सबसे प्रमुख शहर क्षेत्रों में से एक हैं। यह 960 कि.मी. का सफर तय करते हुए उत्तर प्रदेश से वाराणसी जिले से 27 किलोमीटर दूर सैयदपुर, कैठी के पास गंगा से मिलती है, गोमती और गंगा के संगम में प्रसिद्ध मार्कण्डेय महादेव मंदिर स्थित है। इसका उद्गम पीलीभीत जनपद के माधोटान्डा कस्बे में होता है। कस्बे के मध्य में फुलहर झील है जिसे "फुल्हर ताल" या "गोमत ताल" कहते हैं, वही इस नदी का स्रोत्र है। जौनपुर के पास गोमती में एक प्रमुख सहायक साई नदी शामिल हो जाती है।
अब गोमती चक्र की बात की जाये तो गोमती चक्र एक ऐसा नाम है जो अधिकतम हिन्दुओं में प्रसिद्ध है। वास्तव में गोमती चक्र दुर्लभ समुद्री घोंघे का कवच है जो प्राकृतिक रूप से गुजरात के द्वारका में गोमती नदी में पाए जाते हैं। इसका आकार शंख पत्थर की तरह होता है और ये भगवान कृष्ण के सुदर्शन चक्र या चक्र जैसा दिखता है। गोमती चक्र वे कार्बनिक रत्न हैं जिनकी संरचना प्राकृतिक मोती के सीपी के जैसी दिखाई देती है। ये आमतौर पर सफेद या हल्के पीले, हल्के भूरे, त्वचीय रंग और हल्के गुलाबी रंगों में पाया जाता है। इसे हिंदुओं द्वारा पवित्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह बच्चों के लिए सुरक्षा प्रदान करता है। इससे धन, समृद्धि, सुख, स्वास्थ्य, व्यवसाय विकास, मन की शांति, समाज में प्रतिष्ठाह और सफलता मिलती है। पूजा के दौरान इसे चंदन का लेप और गंगाजल अर्पित किया जाता है और इसे विष्णु मंत्रों से सिद्ध किया जाता है। माना जाता है कि ये भगवान कृष्ण के महल का हिस्सा थे। इन्हें महल के कई दीवारों को सजाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
इनका उपयोग हिंदू पूजा और अनुष्ठानों में यंत्र के रूप में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह अपने साथ सौभाग्य लाता है और जिन लोगों के पास गोमती चक्र होता है उन्हें धन, अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि से भरपूर जीवन मिलता है। कुछ लोग इमारतों की नींव में गोमती चक्र को दबा कर रखते हैं, कहा जाता है कि ऐसा करने से घर के लोगों को दीर्घायु और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। कुछ लोग इसे शांति और समृद्धि के लिए घरों, दुकानों और इमारतों के सामने लटकाते हैं। कुछ क्षेत्रों में, ग्यारह गोमती चक्र लाल कपड़े में लपेटकर चावल या गेहूं के बर्तन में रखे जाते हैं। कही कही तो दीवाली के त्यौहार में देवी लक्ष्मी के साथ गोमती चक्र की पूजा की जाती है। कुछ लोग इसे माला की तरह पहनते हैं। इसका इस्तेमाल प्राचीन सेल्टिक और यूनानियों द्वारा भी किया जाता था।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Gomti_River
2.http://www.astrogyangranth.com/shiva-gomati-chakra/6/74#.XBI_VmgzaUk
3.https://www.occulttreasures.com/gomati_chakra.html
4.https://en.wikipedia.org/wiki/Jaunpur,_Uttar_Pradesh
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