जौनपुर के पड़ोसी आज़मगढ़ के काली मिट्टी के बर्तन

जौनपुर

 19-12-2018 09:38 AM
म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

मुगल काल की समृद्ध काली मिट्टी के बर्तन बनाने की कला को निजामाबाद के लोगों द्वारा आज भी जीवित रखा गया है। यह भारत की विशिष्‍ट कलाओं में गिनी जाती है। यह व्‍यवसाय निजामाबाद, आजमगढ़ के लोगों के आय का मुख्‍य स्‍त्रोत भी है।

काली मिट्टी के बर्तन बनाने की कला का मूल गुजरात में था, जो सत्रहवीं शताब्‍दी में मुगलों के हनुमंतगढ़ में हमले के बाद यहां आयी तथा इन्‍होंने ही इस क्षेत्र का नाम बदलकर निजामाबाद रख दिया। शहर चारों ओर से झील से घिरा होने के कारण यहां मुस्लिम महिलाओं के स्‍नान के लिए भूमिगत मार्ग बनाया गया था तथा इनके स्‍नान हेतु मिट्टी के बर्तनों के निर्माण का जिम्‍मा गुजराती कुम्‍हारों को सौंपा गया। धीरे-धीरे इनकी कला में मुगल स्‍वरूप भी देखने को मिलने लगा। काली मिट्टी के बर्तनों में प्रयोग होने वाला चांदी का पैटर्न (Pattern) से सजाया जाने लगा जो मुख्‍यतः हैदराबाद की बिड्रिवेयर (Bidriware) कला से प्रेरित था।

निजामाबाद के काली मिट्टी के बर्तन प्रायः स्‍थानीय महीन चिकनी मिट्टी से तैयार किये जाते हैं। जिसमें मिट्टी को विभिन्‍न आकृतियों (घरेलू उपयोग के बर्तन, धार्मिक मूर्तियां, सुराही, सजावटी सामग्री इत्‍यादि) में डालकर भट्टी में पकाया जाता है, चावल के भूसे की भट्टी का धुआं इन्‍हें एक विशिष्‍ट चमक प्रदान करता है। मिट्टी के उत्‍पादों को वनस्‍पति की सामग्री से धोकर सरसों के तेल से रगड़ा जाता है। इन मृद्भाण्‍डों को फूल पत्तियों के डिजाइन, ज्‍यामितीय आकृति, चांदी के समान जिंक (Zinc) और मर्करी (Mercury) के पाउडर के डिजाइन से सजाया जाता है। कभी कभी इन्‍हें लाह से भी सजाया जाता है, जो गर्म करने पर इन्‍हें चमक प्रदान करती है। इन मृद्भाण्‍डों पर अर्द्ध-शुष्‍कावस्‍था में बांस की टहनियों से डिजाइन बनाये जाते हैं। वर्तमान समय में निजामाबाद के लगभग 200 शिल्‍प परिवार इस कार्य में संलग्‍न हैं। वर्ष 2014 में काली मिट्टी के बर्तनों को बढ़ावा देने के लिए ‘ग्रामीण धरोहर विकास के लिए भारतीय ट्रस्ट’ (‘Indian Trust for Rural Heritage Development’) द्वारा निजामाबाद में ब्‍लैक पोटरी (Black Pottery) उत्‍सव का आयोजन किया गया। निजामाबाद के यह मृद्भाण्‍ड विश्‍व स्‍तर पर निर्यात भी किये जाते हैं।

निजमाबाद के इस कला को बढ़ाने में दिये गये अपने अप्रतिम प्रयास के लिए भारत सरकार द्वारा 2015 में भौगोलिक चिन्‍ह (Geographical Indication) प्रदान किया गया। किसी भी विरासत, कला, संस्‍कृति या वस्‍तु के निर्माण और विकास में पारंगत होने में कई दशक या सदियों का समय लग जाता है। इतनी मेहनत के बाद उस कला पर उस क्षेत्र का विशेष एकाधिकार होना भी स्‍वभाविक है। इसी अधिकार को प्रदान करने के लिए भौगोलिक चिन्‍ह या ज्‍योग्राफिकल इंडिकेशन (Geographical Indication) की शुरुआत की गयी। यह भारत में ही नहीं विश्‍व स्‍तर पर प्रदान किया जाता है, पहली जीआई प्रणाली को बीसवीं शताब्‍दी में फ्रांस में उपयोग की गयी थी, जो प्रारंभ में खाद्य वस्‍तुओं से जुड़ा था। भारत में यह “भौगोलिक संकेतों के रूप में उत्‍पादों का (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999” (अनुच्‍छेद 22(1)) के तहत प्रदान किया जाता है। जीआई टैग स्‍थानीय पारंपरिक उत्‍पादों के उत्‍पादन को बढ़ावा देने तथा इसकी गुणवत्ता, प्रतिष्ठा या विशेषता को भौगोलिक संरक्षण प्रदान करने का कार्य करता है। भारत में सर्वप्रथम दार्जिलिंग (2004-05) की चाय को जीआई का टैग दिया गया था। भौगोलिक संकेतक ग्रामीण विकास, पर्यावरण संरक्षण, आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण को भी संदर्भित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि उत्‍पाद का वास्‍तविक लाभ उसके प्रमुख निर्माता या संरक्षक को पहुंचे।

संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Nizamabad_black_clay_pottery
2.https://bit.ly/2Evf6cD
3.http://delhi.afindia.org/black-pottery-from-nizamabad/
4.https://bit.ly/2PPcgkS
5.https://en.wikipedia.org/wiki/Geographical_indication



RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id