9वें सिख गुरु तेग बहादुर का जौनपुर से सम्बन्ध

जौनपुर

 23-11-2018 09:00 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

मात्र 13 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में जिन्होंने अपनी वीरता का परिचय दिया था, वे थे गुरु तेग बहादुर सिंह। उन्होंने धर्म की रक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिये और सही मायनों में 'सृष्ट दी चादर' (मानवता के संरक्षक) कहलाए। वे आठवें गुरु और इनके पोते 'हर कृष्ण' जी के पद चिह्नों पर चले थे और उनकी अकाल मृत्यु हो जाने के बाद 16 अप्रैल, 1664 को सिखों के गुरु नियुक्त हुए थे।

गुरु तेग बहादुर (जन्म: 18 अप्रैल, 1621 ई.; मृत्यु: 24 नवम्बर, 1675 ई.) सिखों के नौवें गुरु थे। उनका जन्म पंजाब के अमृतसर में हुआ था। उनके बचपन का नाम त्यागमल था, वे बाल्य काल से ही संत स्वरूप गहन विचारवान, उदार चित्त, बहादुर थे। करतारपुर की लड़ाई में विजयी होकर आने के बाद उनकी वीरता से प्रभावित होकर उनका नाम तेगबहादुर यानी तलवार के धनी रख दिया गया।

देश में जब मुगल सम्राट औरंगजेब का शासनकाल था और धार्मिक, सामाजिक दृष्टि से परिस्थितियां प्रतिकूल थीं, इस माहौल में गुरू तेग बहादुर सिंह धार्मिक प्रचार के लिये देश भ्रमण पर निकले। 1670 में पंजाब की ओर लौटने की यात्रा के दौरान वे जौनपुर आए थे और यहां आकर उन्होंने तीन माह तक विश्राम व चाचकपुर में सई नदी तट पर तप किया था। इसलिये यह जनपद गुरू तेग बहादुर सिंह की तपस्थली के कारण देश में अहम स्थान रखता है। यहां से जाते समय वे अपनी अनेक बहुमूल्य वस्तुएं यहीं पर बतौर यादगार छोड़ गए थे, जिनमें गुरू तेग बहादुर सिंह का लोहे का तीर और गुरू ग्रंथ साहिब की हस्तलिखित प्रति भी सम्मिलित थी। शहर के पूर्व में नदी के बाएं किनारे पर एक स्मारक मंदिर, गुरुद्वारा तप अस्थान हैं जो उस स्थान का स्मरण दिलाते हैं जहाँ गुरुजी ने तप किया था।

जब भारत में औरंगजेब धर्म परिवर्तन करवाकर लोगों को इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर कर रहा था तो उसके अत्याचार के सामने गुरु तेग बहादुर आ खड़े हुए थे और उन्होंने कश्मीरी पंडितों तथा अन्य हिंदुओं के धर्मांतरण का विरोध किया। औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को भी इस्लाम स्वीकार करने के लिये कहा था लेकिन जब वे उसके आगे झुके नहीं तो औरंगजेब ने उनका सर कलम करा दिया। गुरु तेग बहादुर जी के साथ, तीन अन्य सिख, भाई मति दास, भाई सती दास और भाई दयाल दास की भी हत्या कर दी गयी थी। दिल्ली में गुरुद्वारा शीश गंज साहिब तथा गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब वे स्थान हैं जहां गुरु तेग बहादुर की हत्या हुई थी। उनके बाद सिखों के दसवें और आखिरी गुरु, गुरु गोविंद सिंह बने। श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने गुरु जी की शहीदी के बारे में इस तरह लिखा है,

“ठीकर फोर दिलीस सिर, प्रभु पुर किआ पयान॥
तेग बहादर सी क्रिया करी न किनहूं आन॥
तेग बहादर के चलत भयो जगत को सोक॥
है है है सब जग भयो जय जय जय सुरलोक॥”

उनके जीवन का प्रथम उद्देश यही था कि वे धर्म के मार्ग पर चल कर शांति, क्षमा, सहनशीलता, प्रेम, एकता व भाईचारे का संदेश दे सकें। उनके द्वारा दी गई शिक्षा आज भी हमें सहनशीलता और एकता की राह दिखाती है:

(1) "जो दु:ख में दुखी नहीं होता है और प्रसन्नता में प्रसन्न नहीं होता है, जो डर और लगाव से मुक्त होता है, और जिसके लिए सोना और धूल समान होते हैं तथा जिन्होंने प्रशंसा और दोष (चापलूसी और निंदा) दोनों को त्याग दिया है तथा लालच, सांसारिक बंधन और गर्व से मुक्त है, उसी के अन्दर ईश्वर समाये हुए हैं। जब सभी गुरु दया के साथ एक शिष्य को आशीर्वाद देते हैं, केवल तब ही शिष्य इस आध्यात्मिक अवस्था को प्राप्त करता है और भगवान के साथ विलय हो जाता है, जैसे पानी के साथ पानी मिश्रित हो जाता है।"

(2) "हे संत, अहंकार को छोड़ दो, और हमेशा वासना, क्रोध और बुरी संगति से दूर हो जाओ। प्रत्येक को दर्द और खुशी, सम्मान और अपमान को एक समान समझना चाहिए। प्रत्येक को दोनों प्रशंसा-दोष और यहां तक कि मोक्ष की खोज को छोड़ देना चाहिए। यह एक बहुत मुश्किल और दुर्लभ रास्ता है, जिसपर केवल एक पवित्र व्यक्ति ही चल सकता है।

(3) नानक कहते हैं कि "वह जो अपने अहंकार पर विजय प्राप्त कर लेता है और सभी चीजों के एकमात्र कर्ता के रूप में भगवान को देखता है, उस व्यक्ति ने जीवन मुक्ति को प्राप्त कर लिया है, इसे वास्तविक सत्य के रूप में जाना जाता है।"

(4) "इस भौतिक संसार की वास्तविक प्रकृति का सही अहसास उस व्यक्ति को होता है जिसने इसके विनाशकारी, अल्पकालिक और भ्रमित पहलुओं को सहन किया हो।"

(5) "अपने मस्तक का बलिदान दे दें, लेकिन उनको कभी ना त्यागें जन्हें संरक्षित करने की जिम्मेदारी आपने ली हो। अपना जीवन न्योछावर कर दें, लेकिन अपने विश्वास को कभी ना त्यागें।"

(6) "जंगलों की खोज में क्यों जाना (भगवान को खोजने के लिए)। वो सबके दिलों में रहता है, लेकिन हमेशा पवित्र रहता है, और आपके दिल में व्याप्त होता है। जैसे गुलाब में सुगंध और दर्पण में प्रतिबिंब समाते हैं, वैसे ही भगवान बिना किसी रूकावट के व्याप्त होते हैं; उन्हें अपने अंदर खोजो।"

संदर्भ:
1.https://www.indiatoday.in/lifestyle/culture/story/guru-teg-bahadur-matryrdom-day-guru-nanak-dev-teachings-khalsa-quotes-adigranth-lifest-1092420-2017-11-23
2.http://www.sikhiwiki.org/index.php/Gurdwara_Tap_Asthan_Sri_Guru_Tegh_Bahadur_Ji-_(Jaunpur)
3.https://www.jagran.com/lifestyle/travel-tourism-amazing-travel-destination-jaunpur-18613488.html
4.http://www.sikhiwiki.org/index.php/Guru_Tegh_Bahadur



RECENT POST

  • पूर्वांचल का गौरवपूर्ण प्रतिनिधित्व करती है, जौनपुर में बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:22 AM


  • जानिए, भारत में मोती पालन उद्योग और इससे जुड़े व्यावसायिक अवसरों के बारे में
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:24 AM


  • ज्ञान, साहस, न्याय और संयम जैसे गुणों पर ज़ोर देता है ग्रीक दर्शन - ‘स्टोइसिज़्म’
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:28 AM


  • इस क्रिसमस पर, भारत में सेंट थॉमस द्वारा ईसाई धर्म के प्रसार पर नज़र डालें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:23 AM


  • जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के गहरे अध्यात्मिक महत्व को जानिए
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:21 AM


  • आइए समझें, भवन निर्माण में, मृदा परिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:26 AM


  • आइए देखें, क्रिकेट से संबंधित कुछ मज़ेदार क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:19 AM


  • जौनपुर के पास स्थित सोनभद्र जीवाश्म पार्क, पृथ्वी के प्रागैतिहासिक जीवन काल का है गवाह
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:22 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के फूलों के बाज़ारों में बिखरी खुशबू और अद्भुत सुंदरता को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:15 AM


  • जानिए, भारत के रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में, कौन सी कंपनियां, गढ़ रही हैं नए कीर्तिमान
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:20 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id