इतिहास को किताबों में तो ईसा पूर्व से ही संजोया जा रहा था किंतु कैमरे के आगमन ने इसकी प्रमाणिकता को और अधिक बढ़ा दिया। साथ ही कैमरे ने इसकी रोचकता को भी बढ़ा दिया। कैमरे से इतिहास को समेटने का दौर 19वीं सदी में प्रारंभ हुआ। भारत में कैमरे का आगमन 19वीं सदी में ही ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा कर दिया गया था। इसके आगमन के पश्चात ही भारत को तस्वीरों में समेटने का दौर प्रारंभ हुआ। जिसमें भारत की वास्तुकला, प्राकृतिक दृश्य और संस्कृति इत्यादि शामिल थे। इन्हीं ऐतिहासिक तस्वीरों में जौनपुर की भी तस्वीरें शामिल हैं।
जौनपुर को सर्वप्रथम (1870 में) कैमरे में बेग्लार, जोसेफ डेविड (Beglar, Joseph David) द्वारा कैद किया गया। जिसमें इन्होंने जामा मस्जिद (http://jaunpur.prarang.in/posts/1654/postname) और लाल दरवाजा मस्जिद को शामिल किया, जो सल्तनत काल की वास्तुकला का एक खूबसूरत उदाहरण है, जिसे शर्की शासकों द्वारा 15वीं शताब्दी के मध्य में तैयार किया गया। यह तस्वीर लाल दरवाज़ा मस्जिद को दर्शाती है तथा इसे इन्होंने भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए खींचा था। इस तस्वीर में मुख्य द्वार से मस्जिद को आवृत्त करते हुए दर्शाया गया है जिसके एक छोर से मस्जिद का गुम्बद दिखाई दे रहा है तथा दीवार पर की गयी नक्काशी एक उत्कृष्ट वास्तुकला को दर्शा रही है।
जोसेफ बेग्लार सार्वजनिक कार्य विभाग में कार्यकारी अभियंता और पुरातात्विक सर्वेक्षणकर्ता थे। इनका जन्म 1845 में ढाका में हुआ था। इन्होंने ढाका में अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और जब उनके पिता चिन्सुराह में रहने के लिए अपने परिवार के साथ गए, तो वहाँ बैग्लर ने हुगली कॉलेज में दाखिला लिया और उसके बाद सिबपुर इंजीनियरिंग कॉलेज गए, जहां उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की योग्यता प्राप्त की। उनके भारतीय पुरातत्त्व का ज्ञान बंगाल सरकार से छुप नहीं सका और उन्हें बोध-गया में प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर में पुरातात्विक उत्खनन अधीक्षक के रूप में रखा गया। साथ ही उन्होंने नैहाटी के पास जयंती पुल के निर्माण को अधिसूचित किया, जिसे 1887 में खोला गया था।
जोसफ बेग्लार ने कुछ समय भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के निर्देशक रहे एलेग्जेंडर कनिंघम के दिशा निर्देशों पर भी कार्य किया था। असल में जोसेफ बेग्लार के पिता टिफलिस (कौकेसस) प्रांत में कारबाख (करबाख वर्तमान में पूर्वी अर्मेनिआ और दक्षिण पश्चिम अजरबैजान का एक भौगोलिक क्षेत्र है, जो कि कौकेसस के ऊंचे इलाकों से लेकर कुरा और अरस नदियों के बीच के निचले इलाकों तक फैला हुआ है) के अंतिम स्वतंत्र राजकुमार के बेटे थे। जोसेफ की मृत्यु 24 अप्रैल 1907 में हुई और इनका स्मारक चिन्सुराह में इनके पिता ‘डेविड फ्रीडोन मेलिक बेग्लर’ के स्मारक के पास स्थित है।
संदर्भ:
1.http://jaunpur.prarang.in/posts/1654/postname
2.https://books.google.co.in/books?id=BlreO8bmK30C&pg=PA309&redir_esc=y#v=onepage&q&f=false
3.http://www.bl.uk/onlinegallery/onlineex/apac/photocoll/m/019pho000001003u00709000.html
4.https://en.wikipedia.org/wiki/Karabakh
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