हमारे देश में साल भर अनेकों त्यौहार मनाये जाते हैं और शायद ही कोई ऐसा महीना होगा जो त्यौहारों के बैगर गुजरता होगा। इन त्यौहारों को कई रीति-रिवाज़ और पारंपरिक तरीकों से मनाया जाता है जिनके मनाने के पीछे कोई न कोई खास वजह ज़रूर होती है। आज हम ऐसी ही एक परम्परा के बारे में बता रहे हैं जिसे नवरात्री के दौरान किया जाता है। एक साल में नवरात्री का पर्व 4 बार मनाया जाता है। सामान्य तौर पर नवरात्री के दौरान माता दुर्गा के नौ रूपों की नौ दिन पूजा की जाती है।
साल के पहले महीने यानि जनवरी और फरवरी में माघ नवरात्री मनायी जाती है। उसके बाद मार्च और अप्रैल के महीने में चैत्र नवरात्री को मनाया जाता है। जून और जुलाई के महीने में आषाढ़ नवरात्री और अंत में शरद नवरात्री को मनाया जाता है। इन सब में सबसे ज़्यादा प्रसिद्ध चैत्र और शरद की नवरात्री है। हर नवरात्री को मानाने के पीछे कई धार्मिक कारण हैं। मार्च और अप्रैल के महीने में जब चैत्र की नवरात्री को मनाया जाता है तो हम सभी देखते हैं कि कलश में जौ को उगाया गया होता है। ऐसा माना जाता है कि जौ का सम्बन्ध सृष्टि रचना से है।
चैत्र की नवरात्री हिन्दू धर्म के नववर्ष प्रारम्भ होते ही शुरू हो जाती है। माता की पूजा आराधना के लिये जौ या जवार का प्रयोग किया जाता है। इस दौरान हमारे घर में जौ बोई जाती है। ऐसा माना जाता है जब सृष्टि की शुरुआत हुई थी तब जौ सबसे पहली फसल के तौर पर मौजूद थी। इस फसल को पूर्ण फसल माना जाता है। जौ को हवन और देवी देवताओं को चढ़ाने के पीछे यही कारण है। बसंत की पहली फसल को हिन्दू धर्म के लोग माता रानी को अर्पित करते हैं। जौ उगाने के पीछे एक और मान्यता यह है कि जब जौ को उगाया जाता है तो इससे भविष्य सम्बंधित जानकारी और संकेत मिलते हैं। यह माना जाता है यदि जौ उगाने के बाद तेजी से बढ़ती है तो घर में सुख-समृद्धि आती है लेकिन यदि जौ उगाने के बाद मुर्झा जाती है या बहुत धीरे-धीरे बढ़ती है तो भविष्य के लिये अशुभ माना जाता है।
संदर्भ:
1.https://khabar.ndtv.com/news/faith/navratri-2018-importance-of-jau-or-jwara-pujan-1930872
2.https://www.patrika.com/lucknow-news/navratri-vrat-and-jau-pujan-vidhi-1264907/
3.https://www.quora.com/How-many-Navratri-comes-in-a-year
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