प्रकृति और उसमें उपस्थित खूबसूरत रचनाओं की ओर हर कोई आकर्षित होता है। रंग बिरंगे फूल, पेड़, पौधे, पशु, और पक्षी जो हमारी इस प्रकृति के महत्वपूर्ण व खूबसूरत अंग हैं, इनको करीब से देखने और जानने का सबका मन होता है। देश विदेश के जीव जन्तुओं, दुर्लभ पशु पक्षियों को प्रदर्शन के लिये चिड़ियाघर में रखा जाता है।
प्राचीन काल में सबसे पहले चिड़ियाघरों को लोगों के प्रदर्शन के लिए नहीं वरन शाही परिवारों के व्यक्तिगत मनोरंजन के लिए बनाया गया था। 1850 के दशक में लंदन में सबसे पहले सार्वजनिक चिड़ियाघर ‘रीजेंट्स पार्क’ (Regents Park) की स्थापना सार्वजनिक स्थान में शहर के नागरिकों के लिए की गयी और कार्ल हेगेनबेक (Carl Hegenbeck) (जिन्होंने भारत और श्रीलंका से जानवरों और लोगों को आयात करके दुनिया के पहले सर्कस का व्यावसायीकरण किया था) द्वारा 1907 में बर्लिन में किया गया था। लंदन के इस चिड़ियाघर को आज ‘मिनेजरी या ज़ूलोजिकल फ़ोरेस्ट’ (Menagerie or Zoological forest) के नाम से जानते हैं।
19वीं शताब्दी की शुरुआत तक, चिड़ियाघर की उपस्थिति शाही शक्ति का प्रतीक था, जैसे वर्साइल्स में लुईस (Louis) XIV का प्राणी-शाला। लेकिन 19वीं शताब्दी की शुरुआत में हैलिफ़ैक्स, लंदन, पेरिस और डबलिन में आधुनिक चिड़ियाघर को लोगों के मनोरंजन, प्रेरणा और शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से बनाया गया। लोगों के मनोरंजन और विद्वानों के शोध की आवश्यकताओं को देखते हुए आधुनिक चिड़ियाघर की स्थापना की गयी। हाल में, विश्व में कितने चिड़ियाघर हैं इसका अनुमान लगाना तो काफी मुश्किल है। वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ ज़ूस एंड एक्वेरियम (World Association of Zoos and Aquariums) में लगभग 300 सदस्य हैं, परंतु दुनिया भर में स्थित वास्तविक चिड़ियाघर की संख्या इससे 15-20 गुना अधिक है।
सबसे पुराने ज्ञात प्राणी संग्रह की खोज मिस्र में खुदाई के दौरान हुई थी। विश्व में अभी भी कई ऐसे बहुत पुराने चिड़ियाघर हैं, जो आज भी हमारे बीच मौजूद हैं।
टियरगार्टन शॉनब्रुन-
विश्व का सबसे पुराना चिड़ियाघर ऑस्ट्रिया के वियना में ‘टियरगार्टन शॉनब्रुन’ (Tiergarten Schönbrunn) है। इसको 1752 में एड्रियन वैन स्टेकहोवन द्वारा फ्रांसिस प्रथम, पवित्र रोमन सम्राट, के आदेश में शॉनब्रुन पैलेस में एक प्राणी-शाला के रूप में बनाया गया था। यह केवल सबसे पुराना चिड़ियाघर ही नहीं बल्कि विश्व के शीर्ष चिड़ियाघरों में से एक है।
मिनेजरी डु जार्डिन डेस प्लांटेस-
दूसरा सबसे पुराना चिड़ियाघर, ‘मिनेजरी डु जार्डिन डेस प्लांटेस’ (Menagerie du Jardin des Plantes) है, जिसे 1793-94 में खोला गया था। 1795 की शुरुआत में जब फ्रांसीसी सेना ने नीदरलैंड पर कब्जा कर लिया था तो उनके द्वारा वहाँ से दो हाथियों (एक नर और एक मादा) को लाया गया। वहीं आज वर्तमान समय में इस चिड़ियाघर में हाथी जैसे बड़े जानवर ही नहीं, वरन दुर्लभ पाए जाने वाले छोटे और मध्यम आकार के स्तनधारी, पक्षियों और सरीसृपों की विभिन्न प्रजातियाँ देखने को मिलती हैं। स्वाभाविक रूप से, वहां लगभग 1200 जानवर हैं: 200 स्तनधारी, 300 पक्षी, 200 कछुए, मगरमच्छ, छिपकली और सांप, 200 उभयचर और 300 कीड़े और मकड़ियाँ।
ज़ेड.एस.एल. लन्दन ज़ू-
तीसरा सबसे पुराना चिड़ियाघर ‘ज़ेड.एस.एल.’ लंदन में स्थित है, जिसे 27 अप्रैल 1828 में खोला गया था। साथ ही पहला वैज्ञानिक चिड़ियाघर होने के नाते, इसने अपना पहला सरीसृप घर (1849), पहला सार्वजनिक एक्वैरियम (1853), पहला कीट घर (1881) और पहला बच्चों का चिड़ियाघर (1938) में खोला। वर्तमान में यह चिड़ियाघर ज़ूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ़ लंदन (Zoological society of London) के संरक्षण में काम कर रहा है।
ज़ूलॉजिकल गार्डन डबलिन-
चौथा सबसे पुराना चिड़ियाघर 1831 में लंदन चिड़ियाघर के तीन साल बाद खोला गया आयरलैंड में स्थित डबलिन चिड़ियाघर है। रॉयल ज़ूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ़ डबलिन (Royal Zoological Society of Dublin) की स्थापना 10 मई 1830 को हुई थी, लेकिन सार्वजनिक रूप से इसका इस्तेमाल 1 सितंबर 1831 को इसको जूलॉजिकल गार्डन्स डबलिन (Zoological Gardens Dublin) के नाम से खोल कर किया गया था। लंदन के चिड़ियाघर द्वारा दान के रूप में यहाँ पर सबसे पहले जानवरों को लाया गया था।
भारत में सैकड़ों चिड़ियाघर है, जिनमें से सबसे पुराना और अद्भुत चिड़ियाघर है श्री चामाराजेन्द्र ज़ूलॉजिकल गार्डन। चामाराजेन्द्र जूलॉजिकल गार्डन को 1892 में मैसूर में बनाया गया था।
वहीं वर्तमान में कई चिड़ियाघरों के संस्थापकों द्वारा चिड़ियाघर को बंद करके जानवरों को अभयारण्य में दिया जा रहा है। सीवर्ल्ड नामक अमरीका के एक समुद्री पशु पार्क द्वारा भी यह घोषणा की गयी कि वे अब ओरका (Orca, एक तरह की व्हेल) का प्रजनन बंद कर देंगे और साथ ही उनके नाटकीय प्रदर्शन को भी बंद करना शुरू कर देंगे। यह खबर जानवरों की आज़ादी के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है।
वर्तमान में भारत के 53 शहरों में चिड़ियाघर मौजूद हैं, तथा इस सूची में जौनपुर का नाम नहीं आता। जौनपुर में कोई चिड़ियाघर ना होना एक प्रकार से अच्छी बात है, क्योंकि चिड़ियाघर एक प्रकार की औपनिवेशिक विरासत है और जानवर अपने स्वयं के आवास जंगलों या अभयारण्य में आज़ादी से रहना ज्यादा पसंद करते हैं। जैसे मनुष्यों को अपनी आजादी पसंद होती है, वैसे ही जानवरों को भी आज़ादी से रहना पसंद होता है।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Zoo
2.https://www.zoomoments.com/index.php/articles/categories/history/97-the-world-s-oldest-zoos
3.https://www.tripadvisor.in/ShowUserReviews-g304553-d500203-r152060362-Sri_Chamarajendra_Zoological_Gardens-Mysuru_Mysore_Mysore_District_Karnataka.html
4.https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_zoos_in_India
5.http://theconversation.com/will-the-end-of-breeding-orcas-at-seaworld-change-much-for-animals-in-captivity-56527
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.