कठोर परिश्रम ही सफलता की कुंजी है

जौनपुर

 01-11-2018 03:11 PM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः ।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥

(अर्थात् परिश्रम से कार्यों की सिद्धी होती है मन की इच्‍छा से नहीं, सोए हुए शेर के मुंह में मृग स्‍वयं प्रवेश नहीं करता)

आपने हृदय दर मापक में हृदय गति रेखा को चलते हुए देखा होगा, यदि इसमें उतार चढ़ाव आते हैं तो इसका अर्थ है कि व्‍यक्ति जीवित है और यदि सीधी रेखा आ जाए तो जीवन समाप्‍त। यही स्थिति हमारे सांसारिक जीवन की भी है यदि हमारे जीवन में संघर्ष आ रहे हैं और इन्‍हें हम अपने कठोर परिश्रम और दृढ़ इच्‍छा शक्ति से पार कर रहे हैं तो समझो जीवन सही मार्ग पर चल रहा है तथा सफलता आपकी प्रतीक्षा कर रही है। किंतु यदि स्थिति इसके विपरीत है तो समझिये कि आपके जीवन की गति रूक गयी है अर्थात आप अपनी मंजिल से दूर हो गये हैं। सफलता का कोई सरल मार्ग नहीं होता है।

एक अंडे पर बाहर से दिया गया दबाव जीवन की समाप्ति का संकेत है, किंतु अंदर से दिया गया दबाव एक नये जीवन की शुरूआत को दर्शाता है। अर्थात कठोर परिश्रम के लिए स्‍व-प्रेरित होना अत्‍यंत आवश्‍यक है। कहा जाता है कि सफलता के लिए 1 प्रतिशत प्रेरणा तथा 99 प्रतिशत कठोर परिश्रम आवश्यक होता है। लेकिन ये दोनों एक दूसरे के बिना अपूर्ण हैं। सभी मनुष्‍य के जीवन में अनेक मोड़ आते हैं। जिसमें कोई इन्‍हें पार कर जाता है, तो कोई मार्ग में ही हार मानकर किस्‍मत को कोसने लगता है। हम बचपन से यह सुनते हुऐ आ रहे हैं कि ‘No pain, no gain’ अर्थात ‘यदि दर्द नहीं सहा, तो कुछ नहीं पाया’ और यह वास्‍तविकता भी है। कभी भी किसी भी रूप में की गयी कड़ी मेहनत बरबाद नहीं जाती। वह किसी ना किसी रूप में अपना फल ज़रूर देती है। आपका भाग्‍य कितना भी शक्तिशाली क्‍यों ना हो लेकिन बिना परिश्रम के आपको कुछ नहीं मिल सकता। अनेक लोगों के कठोर परिश्रम और दृढ़ इच्‍छाशक्ति का ही परिणाम है कि आज हम आधु‍निक युग को जी पा रहे हैं। एक बल्‍ब बनाने के लिए एडिसन द्वारा किये गये 1000 प्रयोग इसका एक अच्‍छा उदाहरण कह सकते हैं।

जैसे जैसे हम जीवन के नये नये पड़ावों पर कदम रखते हैं तो अपना एक नया लक्ष्‍य निर्धारित करते हैं तथा इसे हासिल करने में जुट जाते हैं। किंतु कड़ी मेहनत के साथ अनुशासन का होना अत्‍यंत आवश्‍यक है। कठोर परिश्रम एक मैराथन की दौड़ है। इसमें आपको बहुत लंबा दौड़ना होता है। इसके लिए आपके अंदर धैर्य होना अत्‍यंत आवश्‍यक है।

1. शरीर के माध्यम से आत्मानुशासन:
जीवन में अनुशासन महत्वपूर्ण है और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है आत्मानुशासन। यह सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है जिसको हमें शुरुआती उम्र में ही सीख लेना चाहिए। इसका अर्थ यह है कि हमें अनेक कार्यों को सुचारू रूप से पूर्ण करने के लिए अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में सकारात्मक सोच के साथ विवेक और धैर्य से अपने कर्तव्यों को सतत रूप से पूरा करते रहना चाहिए।

2. आराम त्याग दें:
ज्यादातर लोग परिश्रम से बचने के लिये बाहरी कारकों पर निर्भर हो जाते हैं। परंतु थोड़े से आराम के लीये अन्य कारको की सहयता लेना आपको आपके लक्ष्य प्राप्ति की ओर नहीं ले जाता है, तो आलस्य छोड़िये और अपने सर्वोत्तम प्रयासों से कठिनाइयों पर काबू पाकर अपनी योजनाओं को निष्पादित कीजिए।
आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः|

3. हमेशा अपने आप से सच्चे रहिये:
‘जो आपको लगता है कि आपको होना चाहिए’ और ‘जो आप हैं’ के बीच अंतर होता है। हमारे लिए हमारी धारणाओं को छोड़कर हमारे बारे में दूसरों के द्वारा बोली गयी बातें मानना मुश्किल होता है। कुछ लोग तो ऐसे होते हैं जो अपने अहंकार के कारण दूसरों के सच को मानते ही नहीं हैं और अपनी ही मिथ्या धारणाओं को सच समझते हैं और कुछ ऐसे भी होते हैं जो दूसरों की बातों से अपना मनोबल खो देते हैं और निराश हो जाते हैं। ऐसे में हमें खुद से सच्चे रहना चाहिये, जिसका अर्थ है कि आपको स्वयं को समायोजित करना होगा। यह नहीं भूलना चाहिये कि आपका रास्ता आपके हाथों में है, आप अपने भाग्य के लिए स्वंय ज़िम्मेदार हैं। हमेशा अपनी आंतरिक आवाज़ सुनें।

4. विभिन्‍न स्‍त्रोतों से सदैव सीखने का प्रयास करें:
अकादमिक शिक्षा प्राप्‍त कर लेना पर्याप्‍त नहीं होता है। इससे आप डिग्री तो हासिल कर सकते हैं, किंतु अपने लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए आपको भिन्‍न-भिन्‍न तरीकों से निरंतर सीखते रहना आवश्‍यक होगा। जिससे आप अपने लक्ष्‍य की प्राप्ति के लिए सही सामाग्री का चयन कर इसके साथ उचित प्रयोगों से एक व्‍यवस्थित ढांचे का निर्माण कर सकें।

5. मन के भ्रम में ना उलझें, योजना बनाऐं और प्रतिक्रिया करें:
किसी भी कार्य को प्रारंभ करने से पूर्व मन में अनेक सकारात्‍मक और नकारात्मक विचार आना स्‍वभाविक है। इसके लिए सही योजना बनाएं, योजना भी दो प्रकार की होती हैं- भावनात्‍मक और क्रियात्‍मक। यह आप पर निर्भर करता है कि आपके लक्ष्‍य के लिए क्‍या आवश्‍यक है, उसी के अनुसार सही योजना बनाएं। लेकिन भावनात्‍मक विचारों के कारण योजना बनाने में ही उलझ जाना घातक हो सकता है। प्राथमिकताओं की सूची तैयार करें तथा एक के बाद एक चरण को पूरा करते हुए आगे बढ़ि‍ये।

6. धैर्य के बिना सफलता असंभव है:
रातों रात मिलने वाली सफलता के पीछे कई सालों की मेहनत और धैर्य का हाथ होता है। यदि आप ये सोचकर बैठेंगें कि आप रातों रात सफल हो जाएंगें तो इस भ्रम में न रहें। जब आप दीर्घकालिक लक्ष्‍य की प्राप्ति के लिए निकलें तो अपने दिमाग को इसके लिए पूरी तरह से तैय्यारी कर लें। आपके भीतर दृढ़ इच्‍छा शक्ति का होना अत्‍यंत आवश्‍यक है।

कड़ी मेहनत का एक साक्षात उदाहरण पेश किया जौनपुर के सूरज ने। इनके जीवन में जो परिस्थिति आयी, ऐसे अवसर पर अधिकांश व्‍यक्ति प्रशासन को कोसते रह जाते हैं। किंतु इन्‍होंने इन सब से अलग एक नया मार्ग चुना और स्‍वयं हिस्‍सा बन गये प्रशासन का । इनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ इच्‍छा शक्ति ने वर्ष 2017 में इन्‍हें विश्‍व की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में सफलता दिलवायी। आज यह भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में कार्यरत हैं तथा इनका स्‍वयं मानना है कि यदि इनके जीवन में संघर्ष न आते तो शायद इनके लिए यह मुकाम पाना थोड़ा कठिन होता। प्रस्तुत वीडियो में देखें इनकी कहानी:


अक्‍सर लोग कहते हैं कि मेहनत करने से कुछ नहीं होता, जो किस्‍मत में लिखा होगा वही मिलेगा। किंतु भाग्‍य में ही लिखा हो कि आपको जो भी मिलेगा मेहनत करने से मिलेगा, तो आप आजीवन प्रतिक्षा ही करते रह जाएंगे।

संदर्भ:
1.
https://www.linkedin.com/pulse/hard-work-key-success-prakash-mehta/
2.https://www.linkedin.com/pulse/20140320173615-177805372-success-is-hard-work-the-6-golden-rules-for-life-goals-achievements-in-life/
3.https://hindi.news18.com/news/uttar-pradesh/jaunpur-suraj-kumar-rai-of-jaunpur-selected-in-ias-1359181.html



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