‘गोल गट्टम लकड़ बग्घम दे दना-दन’ खेल का प्रतिवर्ष विश्व स्तर पर लोगों का उत्साह अत्यंत तीव्रता से बढ़ता जा रहा है। नाम सुनकर आप थोड़ा असमंजस में पड़ गये होंगे कि यह कौन सा खेल है, हम बात कर रहे हैं क्रिकेट की जिसे हिन्दी में उपरोक्त नाम से जाना जाता है। क्रिकेट की शुरूआत वास्तव में 16वीं शताब्दी में यूरोप से मानी जाती है, जहां से यह संपूर्ण विश्व में फैला। क्रिकेट आज इतना लोकप्रिय हो गया है कि विश्व के शीर्ष खेलों में फुटबॉल और टेनिस के बाद यह तृतीय स्थान पर आता है। यदि बात करें इसके इतिहास की तो प्रारंभ (1885 तक) में यह गोरे लोगों द्वारा ही खेला जाता था।
1885 में सैमुअल मॉरिस ने इतिहास रचा पहले अश्वेत क्रिकेट खिलाड़ी होने का। इन्होंने ऑस्ट्रेलिया की टीम से इंग्लैंड के विरूद्ध पहला टेस्ट मैच खेला। इस ऑलराउंडर (All-rounder) खिलाड़ी का क्रिकेट सफर 1860 (17 वर्ष की अवस्था) में स्थानीय खेल से प्रारंभ होता है, इसके बाद इनके द्वारा दिये गये एक के बाद एक उम्दा प्रदर्शन ने इन्हें राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी बना दिया। 1884 में पहली बार एक ओवर में 6 बोल रखी गयी। इस मैच में भी सैमुअल मॉरिस का शानदार प्रदर्शन रहा।
क्रिकेट अंतर्राष्ट्रीय खेल तो बन रहा था किंतु अभी भी खिलाड़ियों के चयन में रंगभेद देखा जा रहा था। यहां तक कि दक्षिण की क्रिकेट टीम में भी 9 श्वेत तथा तीन अश्वेत खिलाडि़यों को जगह दी गयी थी। इंग्लैंड की टीम में भी इनकी संख्या में कुछ खास वृद्धि नहीं देखी गयी। इस विषय में जब प्रश्न उठाया गया तो अल्पसंख्या इसका प्रमुख कारण बता दिया गया। क्रिकेट में खुद को साबित करने के लिए श्वेतों को दूसरा अवसर दिया जाता था किंतु अश्वेतों के लिये यह विकल्प नहीं रखा गया यहां तक कि इन्हें टीम में तो चुना जाता था किंतु खेलने का अवसर नहीं दिया जाता था, जिस कारण वे स्वयं ही टीम छोड़ देते थे। इस प्रकार की अनेक समस्याओं का समना करते हुए अश्वेत खिलाड़ियों ने क्रिकेट जगत में अपना स्थान बनाया लेकिन उन्हें आज तक भी इस प्रकार की अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है।
भारत में क्रिकेट का आगमन 18वीं शताब्दी के शुरुआत में ब्रिटिशों द्वारा किया गया तथा 1721 में पहला क्रिकेट मैच खेला गया। लेकिन यहां भी यह 19वीं सदी तक गोरों का खेल या यूरापियों का खेल था। पहले भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी इंग्लैण्ड की ओर से खेले। भारत के रणजीत सिंह का क्रिकेट का सफर अत्यंत रोचक रहा। 1896 में ऑस्ट्रेलिया के विरूद्ध होने वाले मैच में रणजीत सिंह का इंग्लैण्ड में चयन किया गया, जिसमें इनका शानदार प्रदर्शन रहा जिस कारण इनका नाम श्रेष्ठ खिलाड़ियों में शामिल किया गया। तथा 1897 में इनके द्वारा इंग्लैण्ड के क्रिकेट के सफर पर ‘दी जुबली बुक ऑफ क्रिकेट’ (The Jubilee Book of Cricket) नामक पुस्तक लिखी गयी। 1904 में रणजीत सिंह भारत लौट आये तथा 1906 में इनके द्वारा नवनगर (गुजरात) सिंहासन ग्रहण किया गया। राजकुमार के पद में रहते हुऐ भी इनके द्वारा अनेक समाज सुधार किये गये तथा समय-समय पर ये खेलने के लिए इंग्लैण्ड जाया करते थे। 1920 में इन्होंने अपना अंतिम मैच खेला। भारत में क्रिकेट के क्षेत्र में दिया जाने वाला श्रेष्ठ पुरस्कार रणजी ट्रॉफी इन्हीं के नाम पर दिया जाता है। इनके प्रशंसक इन्हें रणजी के नाम से ही पुकारते थे।
1926 में इंपीरियल क्रिकेट काउंसिल (Imperial Cricket Council) या अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद में भारत को सदस्यता मिली तथा 1928 में भारतीय क्रिकेट नियंत्रण मंडल का गठन किया गया। भारत द्वारा अपना पहला टेस्ट मैच 1932 में इंग्लैंड में खेला गया तथा इस पहली भारतीय टेस्ट टीम का चित्र ऊपर दर्शाया गया है। 1954 में पहली बार भारत ने इंग्लैंड को हराया। 1971 में वन डे क्रिकेट के आगमन ने क्रिकेट की दुनिया में बड़ा परिवर्तन किया, जिसके प्रथम चरण में भारत का प्रदर्शन कुछ खास न रहा। 1983 में पहला विश्व कप तथा 2011 में दूसरा विश्व कप भारत की झोली में आया। 20वीं शताब्दी के अंत में भारतीय क्रिकेट टीम में आगमन हुआ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर का जिन्होंने भारतीय क्रिकेट को नई दिशा देने में अहम भूमिका निभाई। आज भारतीय क्रिकेट टीम विश्व की सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट टीमों में से एक है।
संदर्भ:
1.https://www.cricketcountry.com/articles/sam-morris-the-first-black-man-to-play-test-cricket-345315
2.http://www.open.ac.uk/researchprojects/makingbritain/content/kumar-shri-ranjitsinhji
3.https://en.wikipedia.org/wiki/India_national_cricket_team
4.https://www.thebetterindia.com/94513/ipl-first-international-cricket-match-1932-india-england/
5.https://thoughtleader.co.za/stevenfriedman/2007/09/20/anyone-hear-white-and-play-cricket/
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