दुर्घटना कभी किसी को बोल के नहीं आती परन्तु अगर हम सतर्क रहें तो हम उन दुर्घटनाओं से बच सकते हैं। हमारे देश में लोग कितने लापरवाह हैं यह तो हम सब जानते हैं पर कुछ चंद लोगों की लापरवाही के वजह से हमारी ज़िन्दगी खतरे में पड़ जाती है और हमें उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। आज हम बात करेंगे उन लोगों की जो कि नियमों का उल्लंघन करके रेलवे क्रॉसिंग (Railway Crossing) को पार करते हैं और अपने साथ दूसरों की ज़िन्दगी को भी खतरे में डाल देते हैं।
भारत में मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग की संख्या 9000 है जिसमें से 2000 गुजरात में हैं और 1500 क्रॉसिंग उत्तर प्रदेश में हैं और पिछले एक वर्ष में इन क्रॉसिंग पर 1000 लोगों की मौत हो चुकी है। आपको बता दें कि मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग उसे कहते हैं जिस पर पुलिस जनता को आगाह करने के लिए तैनात नहीं रहती है और फिर दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है। इन रेलवे क्रॉसिंग पर सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं हमारे देश में होती हैं जबकि जापान जैसे देशों में जहाँ बुलेट ट्रेन जैसी ट्रेन चलती है वहाँ भी हमारे देश से कम दुर्घटनाएं होती हैं जिसका एक कारण हमारी लापरवाही भी है।
ऐसी ही एक रेलवे क्रॉसिंग पंजाब में मैसरखाना और भाई बख्तौर गाँव के बीच है जहाँ आए दिन ऐसी दुर्घटनाएं होती रहती हैं। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, भटिंडा-सहारनपुर रेल ट्रैक में 40 मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग हैं जबकि 60 से अधिक मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग अंबाला डिवीजन के अंतर्गत आती हैं। पिछले साल, भारतीय रेलवे ने ‘शून्य दुर्घटना’ लक्ष्य हासिल करने के लिए, तीन से चार वर्षों में 6,000 से अधिक मानव रहित क्रॉसिंग को खत्म करने के लिए एक कार्य योजना शुरू की। रेलवे के मुताबिक, गेट मित्र की तैनाती से दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आई है। 2014-15 में मानव रहित क्रॉसिंग पर 50 दुर्घटनाएं हुईं, जो 2015-16 में गिरकर 29 तक पहुंच गईं।
रेलवे अधिनियम, 1989 में धारा 161 के मुताबिक, अगर कोई वाहन चालक मानव रहित क्रॉसिंग पार करने में लापरवाह है, तो उसे कारावास के साथ दण्डित किया जाएगा, जो एक वर्ष तक बढ़ सकता है। ऊपर दी गयी वीडियो में इस विषय पर और अधिक जानकारी प्रदान की गयी है। कृपया वीडियो देखने के लिए उसपर क्लिक करें।
संदर्भ:
1.https://www.tribuneindia.com/news/bathinda/risk-prevails-on-unmanned-crossing/368716.html
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