साहस, एकता, दृढ़ता, निरंतरता, धैर्य, मेहनत जैसे शब्दों की जब बात की जाती है, तो हमारे ज़हन में चींटी का नाम आना स्वभाविक है। चींटियां समूह में रहकर जीवन-यापन करती हैं, जो समाज के लिए सामुहिकता का एक प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। विश्व में चींटियों की 1000 से भी अधिक प्रजातियां मौजूद हैं। जिनमें से कुछ ही मानव के लिए हानिकारक होती हैं। सामान्यतः चीटियों को तीन समूह में बांटा गया है, जिनमें प्रमुखतः मादाएं ही होती हैं:
रानी चींटी:
रानी चींटी का एकमात्र कार्य अण्डे देना है। ये नये समूह का निर्माण करती हैं। वे अपने साथी को अपने पंखों के माध्यम से ढूंढती हैं। ये सन्तानोत्पत्ति तथा उनकी देखरेख के अतिरिक्त अन्य कोई कार्य नहीं करती। इनके लार्वा (Larvae) होने के समय पर अधिक खिलाया जाता है, जिस कारण यह कार्य करने वाली चींटियों से अधिक बड़ी होती हैं। तथा यह समूह के मुखिया की भूमिका निभाती हैं।
श्रमिक चींटी:
पंख रहित ये मादा चींटियां सन्तानोत्पत्ति के अतिरिक्त अन्य सभी कार्य करती हैं जैसे- सम्पूर्ण समूह के लिए भोजन एकत्रित करना, घर बनाना तथा बच्चों की देखरेख करना आदि। इन चींटियों के लार्वा होने के समय पर रानी चींटी की अपेक्षा इन्हें कम भोजन दिया जाता है। ये चींटियां कठोर परिश्रम का प्रत्यक्ष उदाहरण होती हैं।
नर चींटी:
रानी चींटी को ढूंढने के लिए इनके पास पंख होते हैं। इनका एकमात्र कार्य रानी चींटी से मिलना होता है। इनसे मिलने के पश्चात इनकी मृत्यु हो जाती है। इन्हें ड्रोन (Drone) कहा जाता है।
चींटिंयो का समूह तीस वर्ष तक बना रह सकता है, यह उनकी रानी चींटी की उम्र पर निर्भर करता है। चींटिंयों की आबादी इनकी प्रजातियों पर निर्भर करती है। फायर एन्ट (Fire ant) चींटिंयों की आबादी बढ़ई चींटियों (Carpenter ants) की अपेक्षा अधिक होती है। फायर एंट बढ़ई चींटियों की तुलना में अधिक नुकसानदेह भी होती हैं।
चीटियों के शरीर से फेरोमोन (Pheromone) नामक हार्मोन (Harmone) स्त्रावित होता है, जो इनको एक दूसरे से जोड़ने तथा भोजन एकत्रित करने में सहायता करता है। इसी हार्मोन की सुगंध इनके लिए संकेत का कार्य करती है, जिसकी सहायता से ये भोजन की तलाश में कई दूर निकलने के बाद भी वापस अपने घर तक पहुंच जाती हैं।
चींटियों के शरीर में फेफड़े नहीं होते हैं। ये अपने शरीर में स्थित छिद्रों के माध्यम से सांस लेती हैं, जो इन्हें पानी में भी सांस लेने में सहायता करते हैं। सबसे रोचक बात यह है कि चींटियां अपने शरीर के वज़न से 10-50 गुना अधिक वज़न उठा सकती हैं। साथ ही कुछ चींटियां क्षतिग्रस्त होने पर भी जीवित रह सकती हैं तथा कुछ भोजन पानी के बिना सप्ताह तक जीवित रह सकती हैं।
युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए, हरिवंश राय बच्चन जी ने चींटी को संकेत बनाकर बहुत खूबसूरत कविता लिखी है:
संदर्भ:
1.https://www.terminix.com/pest-control/ants/behavior/
2.https://www.terminix.com/blog/education/what-is-an-ant-colony/
3.https://www.rentokil-steritech.com/blog/5-interesting-facts-ants/
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