जौनपुर से प्राप्त 1465 ई. का प्राचीन कल्पसूत्र

जौनपुर

 10-10-2018 04:09 PM
मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

हर धर्म के अपने ग्रंथ होते हैं, और आज हम ऐसे ही जैन धर्म के ग्रन्थ के बारे में आपको बताने जा रहे हैं। जैन ग्रंथों में तीर्थंकरों (पार्श्वनाथ, महावीर स्वामी आदि) का जीवनचरित ‘कल्पसूत्र’ में वर्णित है। पारंपरिक रूप से यह मान्यता है कि इस ग्रन्थ की रचना महावीर स्वामी के निर्वाण (मोक्ष) के 150 वर्ष बाद हुई। कल्पसूत्र पांडुलिपि का पाठ और पूजा बरसात के मौसम के दौरान किया जाता है। श्वेताम्बर (सफेद-पहनावा) जैन पेरीशुना नाम का एक वार्षिक उत्सव मनाते हैं और उसे इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा समझा जाता है।

कल्‍पसूत्र की अनेक पाण्‍डुलिपियां तैयार की गयी। जो विभिन्‍न भागों में पायी गयी हैं, जिनमें से एक पटना के जैन मंदिर में स्थित है। साथ ही एक आचार्य द्वारा 1432 ईस्‍वी के कालक्रमानुसार अनेक कल्‍पसूत्रों का संग्रह किया गया जिसमें 21 चित्र पाये गये थे। कुछ समय पश्‍चात इसका एक नया रूप सामने आया जो सोने की स्याही से तैयार किया गया था। इसमें 86 पेज की 8 पाण्‍डुलिपियां थीं जिन्हें 74 बॉर्डर (Border) से सजाया गया था।

15वीं शताब्दी में जैन पेटिंग को पहचानने की प्रमुख विशेषता उसमें सोने का अत्यधिक प्रयोग था। उत्तर प्रदेश के जौनपुर से मिली एक अनोखे रूप से व्याखित कल्पसूत्र पांडुलिपि (1465 ई.) में सोने का बड़े प्रभावी प्रयोग देखने को मिलता है। साथ ही लैपिस लज़ुली (1992.359) से लिया गया अत्यधिक नीले रंग को भी देखा जा सकता है।


इस पांडुलिपि में 86 फोलियो शामिल हैं और इस पाण्डुलिपि को बनवाने का श्रेय श्राविका हर्शिनी को जाता है जो सहसराज नामक व्यापारी की पुत्री तथा संघवी कालिदास की पत्नी को जाता है। यह पांडुलिपि उस वक़्त के जैन संरक्षण के बारे में बताती है जिनका फैलाव उस वक़्त गुजरात, राजस्थान और उत्तरी भारत में था। पश्चिमी भारतीय शैली के व्यापक सम्मेलनों को बनाए रखते हुए, यह रंग और समृद्ध आभूषण के लिए एक साहसिक दृष्टिकोण प्रदर्शित करती है जो उभरते हुए उत्तरी भारतीय स्कूलों के साथ पुरातन पश्चिमी शैली को इनसे जोड़ता है, जो पंद्रहवीं और सोलहवीं सदी के मालवा की अदालत शैली और उत्तरार्ध के अन्य स्कूलों में देखी जा सकती है।

जौनपुर से मिले इस कल्पसूत्र में जिना महावीर की मां के चौदह शुभ सपनों को दर्शाया है। जैन कला में जिना के जीवन की जश्न वाली घटनाएं एक आवर्ती विषय है, न केवल पांडुलिपि पेंटिंग में बल्कि मंदिरों के अंदरूनी हिस्सों में भी यह घटनाएं देखी जाती हैं।

1465 ईस्‍वी में शर्की शासक हुसैन शाह द्वारा कल्‍पसूत्र की सचित्र पांडुलिपि को बढ़ावा दिया गया। यह पांडुलिपि अब जैन भंडार, बड़ौदा संग्रह में स्थित है। उपरोक्त जौनपुर पांडुलिपि के अलावा, और दो अन्य कल्पसूत्र पांडुलिपियों को संरक्षित किया गया है, जो एक समान शैली की हैं, जिनकी भी जौनपुर में निष्पादित होने की संभावना है।

संदर्भ:
1.http://www.academia.edu/7978437/Aspects_of_Kalpasutra_Paintings
2.https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.128734/page/n65
3.https://www.metmuseum.org/toah/hd/jaim/hd_jaim.htm



RECENT POST

  • आइए, नज़र डालें, अमेरिकी ड्रामा फ़िल्म, ‘लॉलेस’ पर
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     24-11-2024 09:12 AM


  • बैरकपुर छावनी की ऐतिहासिक संपदा के भंडार का अध्ययन है ज़रूरी
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     23-11-2024 09:21 AM


  • आइए जानें, भारतीय शादियों में पगड़ी या सेहरा पहनने का रिवाज़, क्यों है इतना महत्वपूर्ण
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:18 AM


  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id