विश्व में लगभग 18-35% लोगों को तीव्र प्रकाश (जैसे : सूर्य का प्रकाश, फ्लैश फोटाग्राफी) के संपर्क में आते ही छींक आने लगती है जिसे फोटिक स्नीज़ रिफ्लेक्स (Photic sneeze reflex or PSR) या ए.सी.एच.ओ.ओ. (ऑटोसोमल डोमिनेंट कम्पेलिंग हीलियो-ओफ्थाल्मिक आउटबरस्ट्स ऑफ स्नीजिंग (Autosomal dominant compelling helio-ophthalmic outbursts of sneezing)) सिंड्रोम कहा जाता है। इस तथ्य को सर्वप्रथम 1991 में एक चिकित्सक एमायर बेनबाओ द्वारा उजागर किया गया। जिसकी प्रत्यक्ष जांच (1950) फ्रेंच शोधकर्ताओं द्वारा की गयी। इसके पश्चात विभिन्न चिकित्सकों और शोधकर्ताओं द्वारा अनेक अध्ययन किये गये जिसमें अनेक कारण उभरकर सामने आये। वास्तव में सूरज की रौशनी कैसे कुछ लोगों के छींकने का कारण बनती है यह जानकारी अभी भी अज्ञात बनी हुई है।
वाशिंगटन विश्वविद्यालय में बाल चिकित्सा के प्रोफेसर रॉबर्टा ए. पैगॉन बताते हैं कि रिफ्लेक्सिव स्नीजिंग (Reflexive Sneezing) प्रकाश द्वारा प्रेरित होती। जब फोटिक स्नीज़ रिफ्लेक्स से ग्रस्त व्यक्ति मंद प्रकाश से तीव्र प्रकाश में जाता है या सूर्य के सामने अपना चहेरा करता है तो रिफ्लेक्स प्रतिक्रिया ट्रिगर होती है तथा शुरुआती लक्षण उत्तेजित हो जाते है और लगातार दो से तीन बार छींक आने लगती है। इस समस्या से ग्रस्त व्यक्ति पहली बार प्रकाश के संपर्क में आने पर छींकता है, निरंतर नहीं। यह समस्या आनुवांशिक भी होती है जो पिछले 25 वर्ष पूर्व ज्ञात हो गयी थी। सूर्य के ताप से नाक में एक द्रव स्त्रावित होता है जो छींक का कारण बनता है लेकिन आग की ऊष्मा में यह द्रव अवशोषित हो जाता है। जिस कारण छींक रूक जाती है।
हाल ही में, सैन्य चिकित्सा के लिए उन्मुख प्रकाशनों में, रिपोर्टों ने पी.एस.आर. का सामना करने वाले पायलटों के संभावित खतरे को स्पष्ट किया है। वास्तव में, सेना द्वारा किए गए अध्ययनों से पता चला कि पी.एस.आर. प्रकाश की विशिष्ट तरंग से संबंधित नहीं होता है और इसलिये फ़िल्टरिंग लेंस (Filtering Lens) के उपयोग से इसे कम नहीं किया जा सकता है; बल्कि जांचकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि पी.एस.आर. प्रकाश तीव्रता में बदलाव से प्रेरित होता है।
पी.एस.आर. का सामना करने वाले वाहन चालकों को भी संभावित खतरे का सामना करना पड़ता है। जैसे सड़क पर वाहन चलते समय सुरंग के अंधेरे से पूर्ण सूर्यप्रकाश में जाने से उन्हें छींक आने लगती है।
कुछ इंसानों को वातावरण में मौजूद नुकसानरहित पदार्थों के संपर्क में आने पर भी एलर्जी (Allergy) संबंधी समस्या हो जाती है। आजकल कई तरह की एलर्जी देखने में आती हैं। इनमें से जो एलर्जी सबसे ज्यादा परेशानी पैदा करती हैं, वे हैं आंख और नाक की एलर्जी। नाक की एलर्जी अक्सर धूल, धूप, शुष्क हवा, फूलों के पराग जैसे एलर्जी पैदा करने वाली चीजों के संपर्क में आने की वजह से होती है जिनमें से अधिकांश एलर्जी छींक का कारण बनती है।
संदर्भ:
1.https://www.scientificamerican.com/article/why-does-bright-light-cau/
2.https://www.healthline.com/symptom/sneezing
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Photic_sneeze_reflex
4.http://www.bbc.com/future/story/20150623-why-looking-at-the-light-makes-us-sneeze
5.https://www.sciencealert.com/here-s-why-the-sun-makes-some-people-sneeze-according-to-science
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.