पिछले 60 वर्षों में, भारत की कृषि नीति ने मुख्य रूप से चावल और गेहूं पर अपना ध्यान केंद्रित किया हुआ था, और बाजरा (Millets) को उपेक्षित कर दिया था। लेकिन अब इस अनाज ने दुबारा अपनी सफलता से वापसी कर ली है।
यह तो हम जानते हैं कि बाजरा भारत की प्रमुख फसलों मे से एक है, जिसका प्रयोग लोग बहुत लंबे समय से करते आ रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि भारत में बाजरे का कई सौ वर्ष पूर्व से उत्पादन किया जा रहा है। लेकिन चावल और गेहूं के उत्पादन के आगमन के बाद से इसमें काफी गिरावट देखी गयी। परन्तु आज इसे सूखा प्रभावित क्षेत्र में भी आसानी से उगाया जा सकता है; उच्च तापमान को भी सह लेने और अपने उच्च पौष्टिक मूल्य के कारण यह पूरे भारत के लोगों का अपनी ओर ध्यान आकर्षित कर रहा है। वहीं ओडिशा (Odisha), तेलंगाना (Telangana) और आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) जैसे राज्यों ने इन पोषक अनाज को बढ़ावा देने के लिए बाजरा के राष्ट्रीय वर्ष (National Year Of Millets) में विशेष कार्यक्रम शुरू किए हैं।
नागालैंड (Nagaland) के फेक (Phek) जिले के चिज़ामी गांव में चावल के साथ बाजरा परंपरागत आहार का हिस्सा रहा। लेकिन गेहूं ने इसका स्थान ले लिया और इसका उत्पादन काफी कम हो गया। अब इसकी वापसी हो गयी है, जिसका मुख्य कारण बाजरे का मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा सेवन करना है। इसकी खेती के लिए बीज का चयन, ज्यादातर महिलाओं द्वारा किया जाता है। वहाँ महिलाएं बाजरे के सेवन के अलावा इसे बेचती भी हैं। बाजरा परियोजनाओं के प्रभारी स्टीफन गंगमेई (Stephen Gangmei) नें कहा, कि " बाजरा के लिए बाज़ार आउटलेट का विकास किया जा रहा है, और एक बार सही तरीके से चैनलिंग (Channeling) किए जाने पर, इसके उत्पादन से महिला किसानों की आजीविका में वृद्धि होगी”। वहीं चिज़ामी के समुदाय के जीवन में तीन दशकों से ना मनाया जाने वाला “पांच दिवसीय बाजरा त्यौहार” (five-days millet festival) नें एक बार फिर अपनी जगह बना ली है। इस त्यौहार में फेक जिले के सुमी गांव परिषद द्वारा समुदाय के सर्वश्रेष्ठ बाजरा उत्पादक को पुरस्कार देने का भी फैसला किया गया है।
वहीं आंध्र बाजरा मिशन में, ग्रामीण क्षेत्रों में बाजरा के सेवन को बढ़ावा देने के संबंध में महिलाओं के स्व-सहायता समूहों द्वारा सभी प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं। महिलाओं की मदद के लिए मिशन के तहत छोटे बाजरा की प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जा रही हैं।
ऐसे ही और भी कई जगहों में बाजरा उत्पादन और सेवन को बढावा देने के लिए कई उत्सवों का आयोजन किया जा रहा है। आपको पता है कि यह हमारे लिए कितना लाभदायक है, प्रत्येक 100 ग्राम बाजरा में 361 कैलोरी ऊर्जा होती है, साथ ही यह वजन घटाने, उच्च रक्तचाप को कम करने, मधुमेह को नियंत्रित करने, आदि में भी काफी उपयोगी सिद्ध होता है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि आप गेहूं और चावल छोड़ दें और बाजरा खाते रहें । सारे अनाज का बराबर सेवन करने से ही आप स्वस्थ रहे सकते हैं।
बाजरा के सेवन में कमी होने के कारण, इसके उत्पादन में भी गिरावट देखी जा रही है, कहीं ऐसा ना हो जाएं की हमारी अगली पिड़ियां इसके सेवन से अनभिज्ञा रह जाएं।
संदर्भ :-
1. https://www.downtoearth.org.in/news/food/millets-are-returning-to-our-fields-and-plates-61439© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.