कभी-कभी न्यूज़ में हमें कुछ ऐसी घटनाएं सुनने को मिलती हैं, जो हमें थोड़ा अचरज में डाल देती हैं, जी हां हम बात कर रहे हैं पुनर्जन्म की। कुछ लोग अपनी उम्र और तजुर्बे से ज्यादा बातें बता देते हैं या कुछ ऐसी घटनाओं के विषय में बताते हैं, जिसका उनके वर्तमान जीवन से कोई संबंध नहीं होता है। तब यह अनुमान लगाया जाता है कि यह उसके पूर्वजन्म की स्मृतियां हैं। हिन्दू धर्म में पुनर्जन्म को स्वीकार किया गया है। यहां तक कि हमारे सबसे बड़े महाकाव्य महाभारत में भी पुनर्जन्म होने का ज़िक्र किया गया है, जिसमें एक कथा थी सावित्री और उसके पति सत्यवान की।
सावित्री राजश्री अश्वपति (प्रसिद्ध तत्वज्ञानी) की सुन्दर, सुशील और विदूषी कन्या थी। वह अपने वर के रूप में राजा द्युमत्सेन (जो अपनी दृष्टि के साथ अपना राज्य भी खो चुके हैं) के पुत्र सत्यवान (वनवासी) को चुनती है। जब नारद ऋषि उसे बताते हैं, कि सत्यवान की आयु मात्र एक वर्ष शेष है, तो सावित्री के माता पिता इस विवाह से इनकार कर देते हैं, किंतु उसके हठ से यह विवाह सम्पन्न हो जाता है। सावित्री अपना घर छोड़कर सत्यवान के साथ वन में जाकर, उसके दृष्टिहीन माता-पिता की सेवा में लग जाती है।
धीरे-धीरे सत्यवान के अंतिम दिन निकट आने लगते हैं। जिस दिन उसका अंतिम दिन होता है सावित्री भी उनके साथ वन में जाने की ज़िद करती है तथा अपने पति और सास ससुर की अनुमति से वह सत्यवान के साथ वन में चल देती है। वन में पहुंचते ही सत्यवान का स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है, तभी सावित्री देखती है कि यमराज उसके पति को लेने आ रहे हैं। वह भी यमराज के साथ चल देती है, यमराज उसके पतिव्रता भाव का सम्मान करते हैं और उसे वरदान देते हैं। वह वरदान स्वरूप अपने सास ससुर के नेत्र और उनका राज्य मांग लेती है। यम उन्हें यह वर दे देते हैं, इसके पश्चात भी वह वापस नहीं जाती। यमराज सावित्री से कहते हैं तुम सत्यवान के जीवन का वरदान छोड़कर कोई भी वर मांग लो। तब वह बड़ी चतुरता से कहती है मुझे सत्यवान से सौ पुत्र प्रदान करें। यमराज बिना स्पष्ट सुने तथास्तु कह, उसे वर दे देते हैं जिस कारण उन्हें सत्यवान का जीवन वापस करना पड़ता है। इस प्रकार सावित्री अपने पतिव्रता होने का धर्म निभाती है और अपने पति को एक नया जन्म दिलवाती है।
सावित्री की पतिव्रता का उदाहरण अक्सर आज भी हमें सुनने को मिल जाता है। किस प्रकार साहस और विश्वास से उन्होंने अपने पति को यम से भी वापस मांग लिया था। यही कारण है कि आज तक एक सीधी सादी पतिव्रता गृहणी को ‘सती सावित्री’ का नाम दे दिया जाता है।
संदर्भ:
1.https://www.thehindu.com/society/history-and-culture/the-story-of-savitri-sathyavan/article19414814.ece
2.http://thenewvision-barin.blogspot.com/2007/05/comment-on-savitri-i-read-following-in.html
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Savitri_and_Satyavan
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