चिकित्सा के क्षेत्र में आए दिन कोई ना कोई आविष्कार होते जा रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं यह सिलसिला आज से नहीं बल्कि भारत में ऐतिहासिक रूप से चलता आ रहा है। प्राचीनतम वेद, अथर्ववेद में सबसे पहले विभिन्न दवाइयों (जड़ी-बूटियों), चिकित्सा और इलाज जैसी बात कही गई है। जिसे आगे चलकर आयुर्वेद में शामिल किया गया। आयुर्वेद को ग्रीक और रोमन द्वारा लैटिन शब्द ‘मटेरिया मेडिका’ कहा जाता है। आइए आपको बताते हैं घर में भोजन में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली हल्दी के गुणों के बारे में। हल्दी अपने औषधीय गुणों के लिए सबसे लोकप्रिय और सबसे पुराने मसालों में से एक है। भारत में, हल्दी के चिकित्सीय गुणों के कारण आयुर्वेदिक दवाओं में हल्दी का उपयोग किया जाने लगा है। हल्दी उज्ज्वल पीले रंग की जड़ी-बूटियों का प्रकंद है, जो हिमालयी पहाड़ों के मूलतः अदरक की प्रजातियों से संबंधित है। आपको बताते हैं कि हल्दी, गठिया, मधुमेह, जठरांत्र मुद्दों, घावों, दर्द आदि जैसे कई स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज और रोकथाम में फायदेमंद पाया गया है।
हल्दी के स्वास्थ्य लाभ:
1. हल्दी में मिलने वाला यौगिक, कर्क्यूमिन (Curcumin), सूजन और विषाद के लक्षणों को कम करने में लाभदायक साबित होता है।
2. कुछ शोध से पता चलता है कि हल्दी ने ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) के दर्द को कम करने के लिए इबुप्रोफेन (Ibuprofen) के समरूप काम किया है, परन्तु यह दर्द में सुधार लाने के लिए सिद्ध साबित नहीं हुआ है।
3. इसका उपयोग पाचन और गैस में सुधार; लिवर रोग को नियंत्रित करने में; कैंसर के इलाज में; जौंडिस (Jaundice) के उपचार में; आंतो के कीड़ों को खत्म करने के लिए काफी साहयक साबित होता है।
त्वचा और बालों के लिए हल्दी के लाभ:
1. हल्दी आपके चहरे से मुँहासों को हटाता है। मुँहासे के लिए, आप एक फेस पैक (Face Pack) का उपयोग कर सकते हैं जिसमें चंदन और हल्दी पाउडर शामिल हों।
2. हल्दी और बेसन स्क्रब चेहरे के अनचाहे बालों को हटाने में मदद करता है। स्क्रब बनाने के लिए आप दूध में हल्दी पाउडर और बेसन को मिलाएं, फिर इसे चेहरे में उंगलियों से परिपत्र गति में मालिश करते हुए हटाएं। इसका प्रभाव प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से 4 सप्ताह के लिए उपयोग किया जाना चाहिए।
3. हल्दी का एंटीऑक्सीडेंट गुण झुर्रियों को कम करने में भी मदद करता है। हल्दी को दही/दूध में मिलाकर एक फेस पैक तैयार करें, 10 मिनट बाद इसे ठंडे पानी से धो दें।
हल्दी का पर्याप्त सेवन लाभदायक सिद्ध होता है, परंन्तु इसका आवश्यकता से अधिक सेवन नुकसान दायक भी हो सकता है। जैसे कि पेट की परेशान, उबकाई, चक्कर आना, पित्ताशय थैली की समस्याएं, और आइरन की कमी को भी उत्तपन कर सकता है।
*ऊपर दिए गए सभी उपचार शैक्षिक उद्देश्य के लिए हैं ना कि आज़माने लायक सिद्ध उपचार हैं। गलत खुराक इलाज के बजाय, आपको दुष्प्रभाव और नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए कोई भी उपचार अपनाने से पहले योग्य और प्रशिक्षित आयुर्वेदिक और एलोपैथिक डॉक्टरों से सलाह ज़रूर करें।
क्या आपको पता है कि हल्दी को विभिन्न भारतीय भाषाओं में किन-किन नामों से जाना जाता है। आइए बताते हैं आपको इसके विभिन्न नामों के बारे में:
बंगाली – हल्दी
गुजराती – हल्दी
कन्नड़ – अरिशिना
कोंकणी – हलाद
मलयालम – मंजल
मराठी – हल्दी
फारसी - सर्ड चुबाह
पंजाबी – हल्दी
संस्कृत – हरिद्रा
तमिल – मंजल
तेलुगु - पसुपु
संदर्भ:
1. अंग्रेज़ी पुस्तक: Kurian, J. C. (1995) Plants that Heal, Oriental Watchman Publishing House
2. http://www.turmeric.co.in/turmeric_medicinal_use.htm
3. https://www.healthbeckon.com/turmeric-benefits/
4. https://www.webmd.com/vitamins/ai/ingredientmono-662/turmeric
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Materia_medica
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