प्रत्येक देश के इतिहास में कई ऐसे प्रभावशाली व्यक्ति होते हैं, जिन्होंने उस दौरान फैली सामाजिक बुराईयों को समाप्त करने की ज़िम्मेदारी ली और उसके विरुद्ध आवाज़ उठाई है। आइए जानते हैं ऐसे ही एक समाज सुधारक के बारे में और उनके द्वारा उठाए गये कदमों के बारे में।
19वीं शताब्दी की शुरुआत में, भारतीय समाज कई सारी सामाजिक बुराईयों (जैसे सती प्रथा, जाति प्रथा, धार्मिक अंधविश्वास आदि) से घिरा हुआ था। उस समय राजा राम मोहन रॉय पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने ऐसी अमानवीय प्रथाओं के खिलाफ लड़ने का प्रण लिया। इन्हें भारतीय पुनर्जागरण का शिल्पकार और आधुनिक भारत का पिता माना जाता है। इनके द्वारा 20 अगस्त 1828 को कोलकाता में ब्रह्म समाज की स्थापना की गयी, जो बाद में ब्रह्मो समाज बना। इस संगठन का उद्देश्य एक ऐसा आंदोलन चलाना था जो एकेश्वरवाद को बढ़ावा दे और मूर्ति पूजा की आलोचना करे; समाज को रूढ़िवादी सोच से और महिलाओं को उनकी दयनीय दशा से बाहर निकालना आदि इनका उद्देश्य था।इनके इस आंदोलन में विजय प्राप्त करने के बाद ब्रह्मो अनुयायियों द्वारा एक के बाद एक लड़कियों का स्कूल खोलकर उनके इस आंदोलन को आगे बढ़ाया गया। और आज भारत में जो भी सुधार हुआ है, उसके लिये ब्रह्म समाज का काफी योगदान रहा है। आज भी ब्रह्मो समाज उन महिलाओं की मदद करता है जो किसी भी प्रकार की रूढ़िवादी सोच का शिकार होती हैं। ब्रह्मो समाज ने सामाजिक विकार, जैसे कि जाति प्रथा और दहेज प्रथा से उन्मूलन सहित, बंगाल में पुनर्जागरण की विचारधाराओं को भी प्रतिबिंबित किया।
ब्रह्मो समाज द्वारा पश्चिम बंगाल सरकार से उनको अल्पसंख्यक की श्रेणी में रखने के लिये मांग की गयी। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने 3 नवंबर 2017 में इस मांग को खारिज कर दिया और साथ ही पश्चिम बंगाल में चल रहे ब्रह्मो समाज के 8 कॉलेजों की शासी निकायों को बंद करने का आदेश दे दिया। और अब सभी ब्रह्मो अनुयायियों द्वारा की गयी बैठक में सबकी सहमति से कोलकाता के माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष इस मांग को रखा गया।
जौनपुर समेत भारत के अधिकांश शहरों में आज ब्रह्मो समाज के अनुयायी फैले हुए हैं और आम तौर पर ये शहरों में बड़े हॉल और कार्यालय नहीं बनाते हैं बल्कि घरों में ही कार्य व बैठक करते हैं। अनुयायियों के घरों के ऊपर ज्यादातर ब्रह्मो समाज का झंडा लगा होता है और वे एक दूसरे के घरों में ही सत्संग और ध्यान सत्रों के लिए साप्ताहिक रूप से एकत्रित होते हैं।
संदर्भ:
1.https://timesofindia.indiatimes.com/city/kolkata/modern-india-owes-a-lot-to-brahmo-samaj/articleshow/56652982.cms
2.http://www.thebrahmosamaj.net/index.html
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Brahmo_Samaj
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.