लैंगिक असमानता किसी भी देश के विकास में सबसे बड़ी बाधा है। यह असमानता (पुरूष और महिलाओं के मध्य) विभिन्न शिक्षा, स्वास्थ्य, राजनीतिक और आर्थिक हिस्सों में देखने को मिलती है। भारत प्रारंभ से ही पुरूष प्रधान देश रहा है और आज चाहे हम कितनी भी समानता की बात कर लें किंतु महिला और पुरूष के मध्य होने वाले भेदभाव में कुछ ज्यादा परिवर्तन देखने को नहीं मिला है। इससे हमारे देश को सामाजिक हानि ही नहीं वरन् आर्थिक हानि का भी सामना करना पड़ रहा है। UNDP (United Nations Development Programme) की मानवीय विकास सूचकांक (2013) में भारत का 132वां स्थान तथा लैंगिक असमानता सूचकांक में 129वां स्थान था। चलिए जानें जनसंख्या की दृष्टि से भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में इसकी स्थिति।
उत्तर प्रदेश में 2011 की जनगणना के अनुसार प्रति हजार पुरूषों में 908 महिलाएं थीं तथा शैक्षिक स्तर 67.68% (पु. 77.3% – म. 57.2%) था। पूर्वी उत्तर प्रदेश में महिलाओं से सबसे ज्यादा दुर्व्यवहार किया जाता है। यदि उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले को देखें तो यहां प्रति हजार पुरूषों में 1014 महिलाएं हैं, किंतु शैक्षिक दर पुरुषों में 86.06% और महिलाओं में 61.7 % है। यदि हम पिछले कुछ दिन के समाचार के आंकड़ें देंखें तो उसमें महिलओं से होने वाले अपराध ज्यादा थे।
वहीं लिंग असमानता अध्ययन के 3 मुख्य मानदंड डेटा-आधारित विश्लेषण पर केंद्रित हैं -
महिला स्वास्थ्य (विशेष रूप से, प्रजनन स्वास्थ्य):
इसमें दो संकेतक हैं जैसे एम.एम.आर. (मातृ मृत्यु दर) और ए.एफ.आर. (किशोरावस्था प्रजनन दर) जो समाज में महिलाओं की स्थिति, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक आर्थिक स्थिति को जानने के लिए अच्छी तरह से अध्ययन करता है।
महिला सशक्तिकरण:
इसमें भी दो संकेतक हैं, पहला पी.आर. (संसदीय प्रतिनिधित्व) और एस.ई. (शिक्षा पर प्राप्ति)। जिसमें माध्यमिक शिक्षा और उच्च शिक्षा की ओर ध्यान कैंद्रित किया गया है।
श्रमिक भागीदारी:
इसका संकेतक है महिलाओं का कुल श्रमिकों में भाग एवं योगदान। प्रत्येक लिंग के लिए श्रम बाजार भागीदारी, एल.एफ.पी.आर. में 15-59 साल के बीच की आयु ली गई है।
ऊपर दिए गए आंकड़ों के आधार पर लैंगिक असमानता सूचकांक () कुछ इस प्रकार निकलते हैं:
1. उत्तर प्रदेश: 0.605
2. उत्तराखंड: 0.49
3. केरल: 0.45
इस अध्ययन से यह पता चलता है कि इन तीनों राज्यों में से उत्तर प्रदेश में लैंगिक असमानता सबसे अधिक है तथा अभी इस दिशा में काफी कार्य करने की आवश्यकता है।
हाल ही में यूपी में एंटी-रोमियो स्क्वाड के गठन के बावजूद जौनपुर में कुछ लड़कों के समूह ने एक बाजार से घर की ओर लौट रही लड़की को परेशान करा और छेड़छाड़ करी जिसकी वीडियो वायरल हो गयी। पुलिस ने वीडियो पर ध्यान देने के बाद लड़कों को गिरफ्तार कर लिया और लड़की ने शिकायत दर्ज कराई। ऐसे कई लैंगिक असमानताओं से जुड़े अपराध आये दिन होते जा रहे है।
लैंगिक असमानतों का मुख्य कारण समाज की सोच है। महिलाओं को अपने घर में, समाज में, तथा अपने कार्यक्षेत्र में समाज द्वारा किसी ना किसी प्रकार का मानसिक उत्पीड़न सहना पड़ता है। इन सब में बदलाव अभी तक तो ना भारत की सरकार ला पायी है ना ही कोई नियम। इस भेदभाव में बदलाव के लिये समाज को ही अपनी सोच बदलनी होगी तथा सभी के अधिकारों का एक समान सम्मान करना होगा।
संदर्भ:
1.https://www.researchgate.net/publication/258339190_Gender_Inequality_in_India_with_special_reference_to_Uttar_Pradesh_Uttarakhand_and_Kerala
2.http://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/184684/9/09_chapter%202.pdf
3.https://www.amarujala.com/photo-gallery/uttar-pradesh/varanasi/illegal-shelter-home-operated-in-jaunpur-thirteen-women-found-here
4.https://www.nyoooz.com/news/lucknow/1167149/shocking-group-of-boys-harass-girl-in-ups-jaunpur/
5.https://en.wikipedia.org/wiki/Gender_inequality_in_India
6.https://www.newdelhitimes.com/the-state-of-gender-inequality-in-india123/
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