सारस क्रेन भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिणपूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में पाया जाने वाला एक बड़ा गैर-प्रवासी क्रेन है। यह उड़ने वाले पक्षियों में सबसे बड़ा पक्षी है, और इसकी लंबाई 1.8 मीटर(5.9 फ़ीट) है। इसका पंख 2.4 मीटर (8 फीट) और इसका वजन 8.4 किलो (18.5 पाउंड) तक हो सकता है। यह खुले गीले मैदान पर रहना पसंद करते हैं। साथ ही वे अपने समग्र ग्रे रंग और विपरीत लाल सिर और ऊपरी गर्दन की वजह से दुसरी क्रेनों से भिन्न होते हैं।
वे ज्यादातर जड़ें, कंद, कीड़े, और छोटे कशेरुकों का भोजन करते हैं। ये लंबे समय तक चलने वाली जोड़ी का निर्माण करते हैं और उन क्षेत्रों को बनाए रखते हैं, जिनके भीतर वे क्षेत्रीय और प्रेम प्रस्तुतीकरण करते हैं, जिनमें ज़ोर से तुरही, छलांग और नृत्य जैसे आनंदमयी प्रस्तुतीकरण शामिल हैं। भारतीय मोर के करीबी दावेदार होने के नाते इन्हें भारत में सम्मानित किया गया है, और इन्हें कुछ जनजातियों द्वारा पवित्र माना जाता है, क्योंकि जाहिर तौर पर ये जीवन भर के लिए एक साथ रहते हैं, यदि दोनों मे से कोई एक मर जाता है, तो दुसरा खुद को बिन कुछ खाए मोत कि ओर धकेल देता है, इस वजह से ही इन्हें वैवाहिक गुण का प्रतीक माना जाता है।
उत्तर प्रदेश राज्य का यह पक्षी विलुप्त होने की कगार पे हैं, जिसका मुख्य कारण किसानों द्वारा गीली भूमि को निकाल और कृषि के लिए भूमि का रूपांतरण कर उनके आवास को नष्ट करना है। राजमार्गों, आवास उपनिवेशों, सड़कों और रेलवे लाइनों के निर्माण भी एक मुख्य कारण हैं, क्योंकि हाल ही में, बिजली लाइनों के साथ टकराव के कारण कई मौतें दर्ज की गई हैं। 2007 के प्रशिक्षण के अनुसार सारस भारत में कुल 10,000 हैं, और वहीं ऑस्ट्रेलिया में 5000 हैं। भारत में सारस क्रेन संरक्षण परियोजना टीम द्वारा विभिन्न गतिविधियों का उपयोग किया जा रहा है। अन्यत्र, वहीं यह प्रजातियां पूर्वी सीमा के कई हिस्सों में समाप्त कर हो गयी हैं।
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.