जौनपुर में रहने वाले हर निवासी के मन में हमेशा से एक गर्व की भावना रही है। और हो भी क्यों ना, आखिर भारत के इतिहास के पन्नों में जौनपुर का नाम अक्सर देखने को मिल जाता है। इसी के चलते आज के लेख में हम आपको दिखाने जा रहे हैं जौनपुर के कुछ दुर्लभ चित्र। जो चित्र हम आज आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहे हैं, वे हाथ से बनाये गए चित्र नहीं अथवा एक कैमरे से खींचे गए चित्र हैं। विश्व में पहली बार कैमरे से एक स्थायी चित्र सन 1826 में प्राप्त किया गया था तथा जौनपुर का यह चित्र सन 1870 के लगभग खींचा गया है।
चित्र है जौनपुर के जामी मस्जिद का जिसमें मस्जिद के मुख्य द्वार को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। जौनपुर ने लगभग सन 1394 से 1479 तक शर्की सल्तनत के गढ़ एवं राजधानी के रूप में कार्य किया जिसके बाद यह लोदियों के हाथों में आ गया। प्रस्तुत चित्र जोसफ बेग्लार द्वारा भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के लिए खींचा गया था। जामी मस्जिद का निर्माण 15वीं शताब्दी के मध्य में जौनपुर के शर्की सुल्तानों द्वारा करवाया गया था ताकि अब तक अटाला मस्जिद में हो रही शुक्रवार की धार्मिक गतिविधियाँ अब एक बड़े मस्जिद में हो सकें।
जामी मस्जिद की नींव सुल्तान महमूद शर्की द्वारा रखी गयी थी तथा बाद में इसके इज़ाफे और समापन का कार्य सुल्तान हुसैन शर्की द्वारा करवाया गया था। चित्र में नज़र आने वाला मेहराब एक विशिष्ट प्रकार का मेहराब है जिसे ‘पिश्ताक’ नाम से जाना जाता है। पिश्ताक में मेहराब अपने पीछे गुम्बद के एक हिस्से को छिपाए हुए होता है तथा यह सल्तनत काल की वास्तुकला को भी चिह्नित करता है।
संदर्भ:
1. http://www.rarebooksocietyofindia.org/postDetail.php?id=196174216674_10152513388166675
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