हमारे समाज में कई सालों से चल रही महिलाओं से छेड़छाड़ तथा यौन उत्पीड़न जैसी सामाजिक बुराइयों के कारणों को समझने तथा इससे जुड़े मुद्दों को हल करने की ज़रूरत आज अपने चरम पर है। लिंग अध्ययन सामाजिक अध्ययन का एक उभरता हुआ क्षेत्र है। लिंग भेदभाव न केवल भारतीय समाज की बल्कि दुनिया भर की बड़ी समस्या है। भारतीय समाज में पितृसत्तात्मक मानदंडों ने महिलाओं से पक्षपात किया है। यह महिलाओं की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक भागीदारी को प्रभावित करता है।
जौनपुर जिले (उत्तर प्रदेश) के मीरगंज थाना क्षेत्र के एक गांव जगदीशपुर से सड़क के बीचों बीच कोचिंग से लौट रही एक लड़की से छेड़छाड़ का विडियो वायरल हुआ। छेड़छाड़ का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने दोनों मनचलों को गिरफ्तार कर लिया। इन वारदातों ने देश में लड़कियों की सुरक्षा पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
इस तरह की घटनाओं से लड़कियों की मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ता है, वे मनोविदलता या स्किज़ोफ्रेनिया (Schizophrenia) तथा चिंता जैसे विकारों से ग्रस्त हो जाती हैं, कई बार अविश्वास के कारण उन्हें परिवार से समर्थन नहीं मिलता, साथ ही उन्हेंा जल्दी शादी करने के लिए मजबूर कर दिया जाता है। बहुत सी जगह तो छेड़छाड़ से बचने के लिये माता-पिता द्वारा लड़कियों की शिक्षा पर रोक लगा दी जाती है। ये सभी कारण और निराशा कई लड़कियों को आत्महत्या करने के लिए विवश कर देते हैं। भारतीय समाज में कई ऐसे कारक हैं जो महिलाओं के साथ छेड़छाड़ तथा यौन उत्पीड़न को प्रोत्साहित करते हैं; जैसे पुरुषों में गलत मानसिकता का होना, पुरुष प्रधान समाज का होना, महिलाओं के लिए सुरक्षा की कमी, उचित दंड की अनुपस्थिति, नकारात्मक दृष्टिकोण, भेदभाव और लिंग असमानता आदि।
भारत सरकार ने 25 जून 2015 को स्मार्ट सिटी मिशन (Smart City Mission) लॉन्च किया। मिशन का उद्देश्य टिकाऊ और समावेशी शहरों को बढ़ावा देना, तथा असमानताओं को दूर करके महिलाओं की आवश्यकताओं पर विचार करना तथा उन्हें सुरक्षा प्रदान करना है। उसी प्रकार भारत में UN महिला संगठन भी सरकारी भागीदारों, महिलाओं के अधिकारों के संगठनों, नागरिक समाज संगठनों के साथ मिलकर "सुरक्षित शहरों और सुरक्षित सार्वजनिक स्थान" कार्यक्रम लागू करता है। इसका उद्देश्य महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ यौन उत्पीड़न और यौन हिंसा की रोकथाम तथा उन पर प्रतिक्रिया करना, नीतियों एवं व्यापक दृष्टिकोणों का विकास करना है।
यह सभी इस गंभीर समस्या का एक छोटा सा हिस्सा हैं। हालांकि यह सच है कि मजबूत कानून और दंड एक प्रभावी निवारक है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। इस तरह के अपराध को रोकने के लिए हमें इसके खिलाफ खड़ा होना होगा और अपनी आवाज़ उठानी होगी फिर चाहे वह घरेलू स्तर पर हो या सामाजिक स्तर पर ताकि लड़कियाँ सामाजिक वातावरण का आनंद ले सकें तथा भय से मुक्त हो सकें।
संदर्भ:
1.https://www.researchgate.net/publication/304704494_EVE_TEASING_AND_ITS_PSYCHOSOCIAL_INFLUENCE_AMONG_THE_ADOLESCENT_GIRLS
2.https://www.bhaskar.com/uttar-pradesh/allahabad/news/girl-molested-by-two-in-the-middle-of-road-in-jaunpur-5920368.html
3.https://www.navodayatimes.in/news/crime-plus/cooperative-girl-gets-raped-in-jaunpur-accused-arrested/89876/
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