बचके रहें इन भोले से दिखने वाले कबूतरों से

जौनपुर

 12-07-2018 01:31 PM
पंछीयाँ

अधिकतर लोग अपने घरों में या अपनी आस-पास की जगहों में चूहों को देखकर बड़े चिंतित हो उठते हैं। और ऐसा क्यों? क्योंकि चूहे बहुत गंभीर बीमारियाँ फैलाते हैं। परन्तु हम लोगों को कबूतरों पर बड़ा प्यार आता है और हम बड़ी श्रद्धा से इन्हें दाना डालते हैं। परन्तु यदि आज हम आपको बोलें कि स्वास्थ्य जोखिम के मामले में ये दोनों, कबूतर और चूहा, एक बराबर हैं तो आप क्या कहेंगे? जी हाँ, भलाई इसी में है कि इस बात को जल्द मान लिया जाए।

कबूतर एक ऐसा पंछी है जो रोग वाहक के रूप में बहुत ही बड़े पैमाने पर काम करता है क्योंकि वह बहुत लम्बी दूरी तय करता है। इनके द्वारा बीमारियाँ फ़ैलाने का सबसे सरल तरीका भोजन और जल स्रोतों को दूषित करना है। दूसरा तरीका है कबूतर की बीट जिससे ये बीमारियाँ फैलाते हैं। इनकी बीट के बीजाणु हमारे घरों में घुस सकते हैं और हमारे शरीर में प्रवेश करके हमें बहुत बीमार कर सकते हैं। इन बीट से परजीवी तथा पिस्सू भी आसपास के माहौल में जीवित हो जाते हैं। इनसे फैलने वाली बीमारियों के लक्षण हैं शरीर का बढ़ता तापमान, खांसी, थकान, चढ़ती सांस। ये लक्षण 2 से लेकर 4 दिन तक दिख सकते हैं। ज़्यादातर बीमारियों से हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली हमें बचा लेती है परन्तु कुछ मामले स्थायी विकलांगता और मौत जितने गंभीर भी हो सकते हैं। अध्ययन से पता चला है कि कबूतरों की बीट से 60 अलग तरह की बीमारियाँ फ़ैल सकती हैं।

जैसा हम जानते हैं कि हमारे जौनपुर में कई प्राचीन इमारतें मौजूद हैं, तो हम यह भी जानते हैं कि इन प्राचीन इमारतों को कबूतर अपना घर बना बैठते हैं। इसलिए इनसे बचाव की आवश्यकता और बढ़ जाती है। इनसे बचने का तरीका यही है कि अपने घरों में इन्हें प्रवेश करने से रोका जाये तथा इनकी बीट की सफाई करते हुए सुरक्षात्मक दस्ताने, जूता कवर (Shoe Cover) और मास्क (Mask) का प्रयोग ज़रूर करें। सूखी बीट को साफ़ करने से पहले इसे पानी डालकर नम करलें ताकि इसमें मौजूद जीवाणु हवा में ना पहुँच सकें। साफ़ करने के बाद इस सारे कचरे को एक थैले में सील (Seal) करा जाये। उसके बाद इस थैले को कूड़े में फेंकने से पहले बाहर से इसे ढंग से धो दिया जाए। यदि सफाई करते वक़्त आपको कहीं घाव हो जाये तो तुरंत उसे साफ़ करके कीटाणुरहित कीजिये तथा उसपर पट्टी करवाइए ताकि रोग-संचार की संभावना न्यूनतम हो जाये।

संदर्भ:
1.https://www.kykopestprevention.com/health-hazard-pigeon-infestation
2.https://bangaloremirror.indiatimes.com/bangalore/others/pigeon-poop-causes-60-diseases/articleshow/51146177.cms



RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id