जौनपुर एक समय गहन जंगल हुआ करता था जहाँ पर लोग शिकार करते थे। इस क्षेत्र में बाघ का शिकार बड़े पैमाने पर किया जाता था। इसी लिए यहाँ के गाँवों के कई नाम भी ऐसे हैं जो जंगलों को और बाघों को प्रदर्शित करते हैं जैसे बगौझर, बारीगांव, बनगांव आदि। ये सारे गाँव इसी तरफ इशारा करते हैं। आज वर्तमान में जौनपुर में जनसंख्या बढ़ने के कारण जंगलों का समूल नाश हो चूका है, जिसका परिणाम यह आया कि बाघ आदि इस क्षेत्र में नहीं पाए जाते हैं। जौनपुर में कुछ गिने चुने जंगली जानवर पाए जाते हैं जिनमें भेड़िया, सियार और लोमड़ी तीनों शामिल हैं। सियार, भेड़िया और लोमड़ी – ये तीन स्तनधारी जीव तीन विभिन्न पशु हैं, जो कुत्ते से मेल खाते हैं। ये कुत्तों के ‘कैनिडे’ (Canidae) परिवार से सम्बंधित हैं। लोमड़ियाँ ‘वुल्पीनी’ (Vulpini) जनजाति से सम्बंधित होती हैं, और भेड़िये और सियार ‘कैनिनी’ (Canini) जनजाति से सम्बंधित हैं।
भेड़िये इन सभी में सबसे बड़े आकार के होते हैं। सियारों की पूरे विश्व में 3 प्रजातियाँ हैं जो आमतौर पर एशिया, अफ्रीका और यूरोप में पायी जाती हैं। लोमड़ी समूह में 37 प्रजातियाँ पायी जाती हैं जिनमें 12 प्रजातियों को शुद्ध लोमड़ी की श्रेणी में गिना जाता है। भेड़िये अपना शिकार झुण्ड में करते हैं और वहीँ सियार और लोमड़ी अपना शिकार अकेले करते हैं।
लोमड़ी आकार में छोटी और पतली होती है परन्तु इसके ऊपर बाल की एक मोटी परत जमा होती है, और इसकी पूँछ झाड़ू जैसी होती है। लोमड़ी अपनी उत्कृष्ट सुनने और सूंघने की शक्ति के लिए जानी जाती हैं। कहावतों में भी लोमड़ी की चालाकी और उसके गुणों का बखान किया जाता है। सियार मध्यम आकार का होता है, लोमड़ी से बड़ा, और इसमें कुत्ते की विशेषताएँ पायी जाती हैं। इसकी पूँछ भी झाड़ूदार है। ये मुख्यरूप से अफ्रीका, अरबी देशों और भारत में पाया जाता है। सियार रात्रि में भोजन की तलाश करता है तथा यह हर प्रकार के मांस आदि का भक्षण करता है। सियार की प्रजाति, आम सियार (Common Jackal) को एशियाटिक (Asiatic) सियार, ओरियंटल (Oriental) सियार और गोल्डन (Golden) सियार भी कहा जाता है।
भेड़िये कुत्ते की तरह स्तनधारी हैं। ये कैनिडे के ‘कारनिवोरा’ (Carnivora) समूह से सम्बंधित हैं। भेड़ियों की प्रमुख रूप से 3 प्रजातियाँ पायी जाती हैं- कैनिस लूपस (Canis lupus) या ग्रे वुल्फ (Grey Wolf), कैनिस रूफ़स (Canis rufus) या रेड वुल्फ (Red Wolf) और कैनिस सिमेंसिस (Canis simensis) या अबिसिनियन वुल्फ (Abyssinian Wolf)। भेड़िये अपनी रीढ़ की हड्डी के झुकाव के लिए जाने जाते हैं जिसका प्रयोग ये सन्देश भेजने में करते हैं। भेड़ियों का जीवन काल 6 से 8 साल का होता है।
जौनपुर में पाए जाने वाले भेड़िये कैनिस लुपस प्रजाति के हैं जो हिमालयी क्षेत्र से लेकर मध्य भारत में पाये जाते हैं। यहाँ पर लोमड़ी में आम भारतीय लोमड़ी पायी जाती है, जिसे वुल्पस बेन्गाल्न्सिस (Vulpes bengalensis) कहा जाता है। यह लोमड़ी भारत में सबसे ज्यादा स्थानों पर पायी जाती है। सियार में यहाँ पर कैनिस औरेयस (Canis aureus) प्रजाति पायी जाती है। जौनपुर में लोमड़ी सबसे ज्यादा मिलती है और सियार और भेड़िये कभी-कभार ही दिखाई पड़ते हैं।
संदर्भ:
1.http://www.differencebetween.info/difference-between-fox-jackal-and-wolf
2.http://www.conservationindia.org/articles/native-grasslands-matter-for-denning-indian-foxes
3.http://eol.org/pages/327994/details
4.http://www.wildlifeindia.co.uk/wildlife-species-india/wildlife-dogs.html
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