भारत में दिन-प्रतिदिन बीमारियां बढ़ती और फैलती जा रही हैं या यह कह सकते हैं कि भारत बीमारियों का घर बनता जा रहा है। हमारे चारों तरफ बीमारियों का जाल सा बनता जा रहा है और जिसमें हम फंसते चले जा रहे हैं। आज भारत मधुमेह या डायबिटीज़ (Diabetes) जैसी बीमारी का बसेरा बन गया है। हमारी दोषपूर्ण जीवन शैली, मधुमेह का आधार है।
1995 में भारत में 19.4 मिलियन लोगों को मधुमेह था। इंटरनेशनल डायबिटीज़ फेडेरेशन (International Diabetes Federation) के अनुसार, 2014 में यह संख्या 66.8 मिलियन से अधिक हो गई थी। इंडियन कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian Council of Medical Research) के मुताबिक, 77 मिलियन भारतीयों को वर्तमान में मधुमेह है।
इस बीमारी का वैज्ञानिक नाम ‘डायबिटीज़ मेलिटस’ है। यह उच्च रक्त ग्लूकोज (चीनी) के स्तर से जुड़ा हुआ है। यह शरीर में अपर्याप्त इंसुलिन उत्पन्न करता है, क्योंकि शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन को ठीक तरीके से प्रतिक्रियाएं नहीं दे पाती हैं। यह मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है- टाइप 1 और टाइप 2।
टाइप 1-
इसमें मधुमेह, इंसुलिन पर निर्भर है। इस अवस्था में, शरीर में कोई इंसुलिन पैदा नहीं होता है। इसलिए मधुमेह को नियंत्रित रखने के लिए बाहरी इंसुलिन की आवश्यकता होती है।
टाइप 2-
यह मधुमेह अधिक आम है। इसका शुरूवाती दौर में पता लगने पर, इसे दवाओं की मदद से रोका जा सकता है। यह अधिकतर मोटापे की वजह से होता है।
डायबिटीज़ दुनिया की प्रमुख बीमारियों में से एक है। यह वर्तमान में विश्वभर में अनुमानित 143 मिलियन लोगों को प्रभावित कर रहा है और यह संख्या तेजी से बढ़ रही है। भारत में लगभग 5% आबादी मधुमेह से पीड़ित है। चिकित्सा स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि नियमित जांच-पड़ताल और समय से पता लगाने से समस्या को नियंत्रित और प्रतिबंधित किया जा सकता है।
मनुष्य में डायबिटीज़ होने की संभावना 80% पर्यावरण पर और 20% अनुवांशिक गुणसूत्रों पर निर्भर करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में उच्च रक्त शर्करा के कारण लगभग 3.4 मिलियन मौतें हुई हैं। जिसमें 80% मौत कम और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं। 2016 और 2030 के बीच ऐसी मौतें दोगुनी हो जाएंगी।
वैश्वीकरण और शहरीकरण का प्रभाव भारत में मधुमेह महामारी के लिए सबसे बड़ा कारक है। फास्ट फूड और जंक फूड का सेवन मधुमेह का एक मुख्य कारण है, जिसके कारण हमारे शरीर में कैलोरी की मात्रा बढ़ती है और मोटापे में वृद्धि होती है। वर्तमान में हम पैदल चलने के बजाए, थोड़ी दूरी तय करने के लिए भी वाहनों का प्रयोग करते हैं। जिस कारण कैलोरी घटने के बजाए ज्यों की त्यों बनी रहती है।
दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि हम स्वयं मधुमेह को अपने शरीर में न्यौता दे रहे हैं।
संदर्भ:
1.http://www.indiaspend.com/sectors/health/diabetes-the-epidemic-that-indians-created-18722
2.https://www.firstpost.com/india/diabetes-is-indias-fastest-growing-disease-72-million-cases-recorded-in-2017-figure-expected-to-nearly-double-by-2025-4435203.html
3.https://timesofindia.indiatimes.com/life-style/health-fitness/health-news/India-is-the-diabetes-capital-of-the-world/articleshow/50753461.cms
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