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मज़बूत मुद्रा किसी भी देश की अत्यंत महत्वपूर्ण जरूरत होती है और इसका एक महत्वपूर्ण प्रभाव देश की अर्थ व्यवस्था पर पड़ता है। भारतीय मुद्रा का सफ़र अत्यंत उठा-पटक वाला है। यह कभी मज़बूत स्थिति में रहती है तो कभी कमज़ोर। मुद्रा की स्थिति का माप अमेरिकी डॉलर के आधार पर होता है। 2018 की शुरुआत से ही भारतीय मुद्रा अत्यंत कमजोर स्थिति से गुज़र रही है तथा यह करीब 3% की दर से लुढ़की हुई है। ब्रिक्स (BRICS अर्थात ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) देशों में भारतीय मुद्रा दूसरी सबसे कमज़ोर दशा से जूझ रही है। रूसी रूबल ही एकमात्र ऐसी मुद्रा है जो कि सबसे खस्ताहाल मुद्रा में सबसे ऊपर आती है।
भारतीय मुद्रा के गिरने के कुछ कारण हैं कच्चा तेल, हथियार व अन्य वस्तुओं के दाम आसमान छू जाना जो कि आयात पर आधारित है। इस कारण देश से बाहर जाने वाली पूँजी में वृद्धि हुई। भारत में 2018 में आयात का विस्तार निर्यात से लगभग 2 गुना था। मुद्रा में हुयी गिरावट के कारण निर्यात की दर आयात से कम हो जाती है जिसका प्रभाव सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पर पड़ता है। 2019 के वित्तीय वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद का 1.9% भाग निर्यातित हो रहा है। इसका सीधा सम्बन्ध यह है कि भारत अन्य देशों से ज्यादा मात्रा में डॉलर देकर सामान खरीदेगा जिससे रूपया और कमजोर होगा। मुद्रा मजबूत करने में सकल घरेलू उत्पाद और निर्यात का एक अहम योगदान होता है। जितना अधिक घरेलू उद्योगों और देश के अन्दर ही उत्पाद को समर्थन दिया जाता है मुद्रा की दर उतनी ही तेज़ी से बढ़ती है।
कच्चे तेल के कीमतों में होने वाले बढ़ोतरी भी मुद्रा पर एक गहरी छाप छोड़ता है। भारत कच्चे तेल का आयात सबसे ज्यादा करता है। करीब 80 फिसद कच्चा तेल भारत में आयात से ही आता है। भारत में तेल की खपत बहुत ज्यादा है जिस कारण से कच्चे तेल की कीमतों में भी उछाल आ रहा है। कच्चे तेल में प्रत्येक 10 डॉलर की बढ़त से भारत को सकल घरेलू उत्पाद का 0.1% राजकोषीय घाटा उठाना पड़ता है (यह आंकड़ा ग्लोबल ब्रोकिंग फर्म नोमुरा द्वारा दिया गया है)। मुद्रा में आई कमजोरी के कारण कई देशों में हमें ज्यादा भुगतान करना पड़ता है जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। जौनपुर में एक बड़ी आबादी बेरोजगार है जिसका सम्बन्ध मुद्रा के कमजोर होने से भी है। मुद्रा में आई मजबूती से नौकरियों की संख्या में बढ़ोतरी होती है तथा व्यापार पर भी इसका असर देखने को मिलता है।
1. https://qz.com/1255215/the-indian-rupee-is-at-a-seven-month-low-here-are-three-reasons-why/