जौनपुर अपने विभिन्न प्रकार के इत्रों के लिए जाना जाता है। यहाँ पर इत्र एक बड़ा व्यापार है जो कि एक बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मुहैया कराता है। जौनपुर के इत्र में एक ख़ास बात है और वह यह है कि यहाँ का इत्र पूर्ण रूप से फूलों आदि से बनाया जाता है तथा रसायनों का प्रयोग यहाँ के इत्र में न के बराबर होता है। इत्र बनाने के लिए बड़े पैमाने पर फूलों की आवश्यकता होती है तथा ये पुष्प अत्यंत ही खुशबूदार और अच्छे प्रकार के होते हैं। भारत में ऐसे खुशबूदार फूलों के बारे में प्राचीन काल से ही कई धारणायें प्रचलित हैं। चरक, मानव और पुष्पों के सम्बन्ध के बारे में आयुर्वेद में लिखते हैं।
मानव और पुष्पों का सम्बन्ध अत्यंत ही अद्वितीय सम्बन्ध है। यह मानसिक समग्रता का परिचायक होता है। सुगन्धित पौधे अत्यंत संवेदनशील सुख प्रदान करते हैं और ये सभी को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। प्राचीन भारत में पुष्पों को एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था तथा वे दैनिक जीवन से जुड़े होते थे। पुष्पों का प्रयोग प्राचीन भारत में आध्यात्म से लेकर काम तक में किया जाता था। भारत में पहले आसुत इत्र का निर्माण नहीं किया जाता था बल्कि यह विभिन्न प्रकार के तेलों, मसालों और फूलों से बनाया जाता था। आयुर्वेदिक विज्ञान भी इन इत्रों में से कई के औषधीय गुणों को समझाता है। यदि देखा जाए तो ये इत्र कई औषधि के रूप में भी प्रयोग में लाये जाते थे। उदहारण के लिए सर दर्द, एकाग्रता आदि के लिए।
हम देखते हैं कि मृतक के शरीर पर भी इत्र लगाया जाता है ताकि उसके शरीर से किसी प्रकार की गंध न उठे और शरीर जल्द गलना शुरू न हो। सदियों से भारत में इन पुष्पों का प्रयोग किया जाता आ रहा है तथा व्यक्ति इनको अपने घर के बागीचे में लगाया करता था। वर्तमान में हम जौनपुर में इन पुष्पों की बड़े पैमाने पर खेती देख सकते हैं। इन खुशबूदार पौधों और अन्य खुशबू प्रदान करने वाले तत्वों को निम्नवत दिखाया गया है-
अंग्रेज़ी नाम | बोटैनिकल नाम | परिवार | संस्कृत नाम | हिंदी नाम |
जैस्मिन | जैस्मिनम ग्रांडीफ्लोरम | ओलियाशिए | जाती | मोगरा |
फ्रैगरेंट स्क्रू पाइन | पांडानुस ओडोराटिस्सिमस | पांडानाशिए | केतकी | केवड़ा |
बकुला | मिमुसोप्स एलेंगी | स्पोटाशिए | बकुला | बकुला |
क्लोव | सिज़ीजियम एरोमेटिकम | मायर्टाशिए | लवांगा | लोंग |
कैम्फर | सिनेमोमम कैम्फोरा | लौरेशिए | कर्पूरं | कपूर |
1. द गार्डन ऑफ़ लाइफ, नवीन पाठक, डबलडे पब्लिशर्स, 1993
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