जौनपुर अपनी स्थापना के काल से ही एक महत्वपूर्ण शहर के रूप में उभरा था। इसके बारे में भारतीय ही नहीं बल्कि विदेशी लेखकों ने अपनी लेखनी में लिखा। जौनपुर की पराकाष्ठा दूर-दूर तक फैली हुयी थी तथा यही कारण है कि यहाँ पर विभिन्न सूफी संत आये और उन्होंने जौनपुर की गरिमा पर चार चाँद लगाये। जौनपुर धर्म के अलावा शिक्षा के केंद्र के रूप में भी निखर कर सामने आया था तथा यहाँ पर कई ग्रन्थ उस काल में लिखे गए थे। जैनियों की कुछ प्राचीनतम पांडुलिपियाँ उनमें से हैं। इस्फ़हानी ने सबसे प्राचीनतम इस्लामी एटलस का निर्माण जौनपुर से ही किया था। 18वीं शताब्दी के आगमन के साथ जौनपुर में यूरोपीय लोगों का आना प्रारंभ हो गया था जिसको हम विभिन्न पुस्तकों और लेखों में देख सकते हैं।
मुग़ल सल्तनत पर आधारित एक 17वीं शताब्दी की पुस्तक में जौनपुर का जिक्र हमें देखने को मिलता है। मिशनरी रजिस्टर वॉल्यूम 32 में जौनपुर के बारे में हमें विषद जानकारी देखने को मिलती है। ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ़ द चर्च मिशनरी सोसाइटी फॉर अफ्रीका एंड द ईस्ट’ जो कि 1830 में छपी थी में जौनपुर में इसाई धर्म के प्रचार की जानकारी हमें प्राप्त होती है। इसी काल में जौनपुर में डेनियल आया था तथा उसने जौनपुर की प्रमुख इमारतों का चित्र बनाया था जो कि आज लन्दन में सुरक्षित हैं। उन्हीं में से एक चित्र को ऊपर दर्शाया गया है जिसमें डेनियल द्वारा शाही किले की बनाई तस्वीर को दिखाया है। जौनपुर के शाही पुल के बारे में रडयार्ड किपलिंग ने एक 16 लाइन की कविता लिखी है जो कि शाही पुल और जौनपुर की महत्ता को प्रदर्शित करती है। इनके अलावा कई अन्य यूरोपीय पुस्तकों में जौनपुर का जिक्र हमें देखने को मिलता है।
ये सारी पुस्तकें घुमक्कड़ो और विभिन्न लेखकों द्वारा लिखी गयी हैं। जौनपुर के बारे में यूरोपीय विद्वानों ने बड़े पैमाने पर लिखा है जिसका एक मात्र कारण है यहाँ की महत्ता, चाहे वो धार्मिक हो, अध्यात्मिक को, वास्तुकला हो या फिर व्यापर। जौनपुर हर प्रकार से एक उत्तम शहर के रूप में उभर कर सामने आया था। अकबरी पुल का विवरण हमें ‘ट्रांसपोर्ट एंड कम्युनिकेशन इन इंडिया प्रायर टू स्टीम लोकोमोशन’ में देखने को मिलता है और यह भी कि किस प्रकार से जौनपुर में जल मार्ग से व्यापार किया जाता था।
1.https://books.google.co.in/books?id=NcwoAAAAYAAJ&pg=PA324&lpg=PA324&dq=Reference+of+jaunpore+in+european+books&source=bl&ots=hJAP0rVfPx&sig=9zLwbTmUU2ZWmPZtlm4GHW2lgCo&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwiWhpq2kbXbAhWGsI8KHVY8AKgQ6AEIXzAH#v=onepage&q=Reference%20of%20jaunpore%20in%20european%20books&f=false
2.https://books.google.co.in/books?id=TCoPAAAAIAAJ&pg=PA42&lpg=PA42&dq=Reference+of+jaunpore+in+european+books&source=bl&ots=exMOD0m7uH&sig=gYRR_gxH6FQceQIAUpmNc-D1Es4&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwiWhpq2kbXbAhWGsI8KHVY8AKgQ6AEIYTAI#v=onepage&q=Reference%20of%20jaunpore%20in%20european%20books&f=false
3.https://books.google.co.in/books?id=lIcoAAAAYAAJ&pg=RA2-PA42&dq=Reference+of+jaunpore+in+european+books&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwjch-HDkbXbAhXMrY8KHeFoDCcQ6AEIKjAA#v=onepage&q=Reference%20of%20jaunpore%20in%20european%20books&f=false
4.https://books.google.co.in/books?id=f1vJRjCl8HkC&q=Reference+of+jaunpore+in+european+books&dq=Reference+of+jaunpore+in+european+books&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwjch-HDkbXbAhXMrY8KHeFoDCcQ6AEILzAB
5.https://books.google.co.in/books?id=tqEhAAAAMAAJ&q=Reference+of+jaunpore+in+european+books&dq=Reference+of+jaunpore+in+european+books&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwjch-HDkbXbAhXMrY8KHeFoDCcQ6AEINzAD
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