रमज़ान वह महीना है जिसमें पवित्र कुरान पैगंबर मोहम्मद को भेंट किया गया था। नतीजतन रमज़ान को पवित्र कुरान को एक समर्पण के साथ पढ़ने के महीने के रूप में जाना जाता है। मुस्लिमों को इस महीने के दौरान कम से कम एक बार पवित्र कुरान के पूर्ण पाठ को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। कुरान के 600 पृष्ठों को एक औसत के साथ पूरे महीने भर पढ़ा जाता है। रमज़ान इस्लाम के पांच मुख्य स्तंभों में से एक है। यह 12 वर्ष की उम्र से बड़े मुस्लिमों के लिए अनिवार्य है तथा इस उपवास से बुज़ुर्ग और बीमार आदि मुक्त हैं। रोजा या उपवास केवल मनुष्य द्वारा पूरे दिन तक भोजन और पानी का सेवन न करने तक ही नहीं सीमित है बल्कि इसमें तर्कसंगत रूप से कटु वचन, गुस्सा और दुर्भावनापूर्ण व्यवहार से बचना और ना करना भी शामिल है। यह मानव की शक्ति और उसके धैर्य का भी परिचायक है।
रमज़ान इस्लामिक कैलेण्डर के अनुसार 9वें महीने में शुरू होता है। इसे उपवास, आशीर्वाद और क्षमा का महीना माना जाता है। इस्लाम में उपवास का बहुत महत्व है। अल्लाह के दूत पैगंबर मोहम्मद ने कहा है कि, “अल्लाह ने कहा है, मनुष्य का हर कार्य उपवास को छोड़कर उसके लिए है और उपवास मेरे लिए किया जाता है और मैं इसे पुरस्कृत करूंगा”। इस महीने में पूरे भक्ति भाव से अल्लाह की इबादत की जाती है तथा व्यक्ति पूरी शिद्दत के साथ रमज़ान का पूरा महीना अल्लाह को समर्पित कर देता है। जौनपुर शहर मस्जिदों के शहर के रूप में जाना जाता है तथा यहाँ पर शर्की काल से लेकर अकबर तक ने अनेकों मस्जिदों का निर्माण करवाया है। जौनपुर की जामा मस्जिद, अटाला मस्जिद, झंझरी मस्जिद आदि में लोग बड़े पैमाने पर रमज़ान के महीने में नमाज अदा करते हैं।
जौनपुर में इस महीने में धार्मिक सद्भाव दिखाई देता है। विभिन्न धर्म के लोग इफ्तारी में शरीक होते हैं। इफ्तार रमज़ान में एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता है। रोज़े की शुरुआत से पहले भोर में ही लोग पानी और खाने आदि का सेवन कर लेते हैं तथा पूरे दिन भर बिना जल की एक बूँद लिए और अन्न का एक दाना खाए रहते हैं। शाम को एक निश्चित समय में लोग रोज़ा खोलते हैं तथा रोज़ा खोलने के बाद नमाज़ पढ़ते हैं। रमज़ान के ख़त्म होने के बाद ईद मनाई जाती है। जौनपुर में ईद बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं तथा सेवैय्याँ आदि का सेवन करते हैं। यहाँ पर हर स्थान पर खाने की विभिन्न दुकानें हमें रमज़ान के महीने में दिखाई देती हैं।
1. https://gulfnews.com/?_refresh=true
2. https://www.thenational.ae/arts-culture/discovering-the-true-meaning-of-ramadan-1.363245
3. http://www.oregonlive.com/faith/2016/06/ramadan_2016_whats_the_purpose.html
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