जौनपुर में हम आसानी से एक पक्षी को अपने आँगन में फुदकते हुए देखते हैं और यह पक्षी है गौरैया। गौरैया एक घरेलु पक्षी है जो आमतौर पर लोगों के घरों आदि में पायी जाती है। गौरैया एक खुश मिजाज पक्षी होती है, यह सदैव ख़ुशी और चंचलता का प्रमाण देती रहती है। गौरैया पूरे देश भर में पायी जाती है। ये पक्षी मनुष्यों से ज्यादा भयभीत नहीं होती, इसी कारण इनका आवास मानव आवास के अत्यधिक निकट होता है। ये पूरे घर भर में स्वच्छंद विचरण करती हुयी हमें दिखाई दे जाती हैं। गौरैया का आकार सामान्यतया 15 सेंटीमीटर का होता है तथा यह मुख्य रूप से अनाज का सेवन करती हैं। गौरैया का निवास भारत के सभी हिस्सों में है तथा यहाँ मुख्य रूप से गौरैया की दो उपजातियां पायी जाती हैं।
गौरैया में नर और मादा में अंतर होता है। नर के सर का उपरी हिस्सा स्लेटी और बाल श्वेत रंग के होते हैं तथा छाती से ठोढ़ी तक एक काली धारी इनमें पायी जाती है। इनकी दुम गहरी भूरी और गाल राख के हलके रंग के होते हैं। इनके पर कुछ सफ़ेद, कुछ बादामी और कुछ भूरे रंग के होते हैं। इनका डैने कत्थई भूरे रंग का होता है। इनके आँख की पुतली और पैर भी भूरे रंग के होते हैं तथा पेट पर सफेदी होती है। वहीं मादा गौरैया भूरे अथवा मटमैले रंग की होती है। इन दोनों की ही चोंच मोटी और भूरे रंग की होती है। मादा गौरैया के आँख के ऊपर एक हलकी बादामी रंग की रेखा होती है। गौरैया साल भर अंडे देती है पर फरवरी से मई के महीने में ये ज्यादातर अंडे देती हैं। ये एक बार में 5-6 अंडे देती हैं जो कि राख रंग के होते हैं। गौरैया के बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा बाज और मक्खियों से होता है। मक्खियाँ इनका खून चट कर जाती हैं। गौरैया धूल में भली भांति नहाती हैं। गौरैया के दूसरी उपजाति को तूती कहा जाता है। ये देखने में मादा गौरैया की तरह ही होती हैं, फर्क केवल इतना है कि इनके गले पर एक पीले रंग का निशान होता है। ये घरों में नहीं अपितु पेड़ों के कोटरों में अपना घोसला बनाती हैं। इनकी बोली अत्यंत मनमोहक होती है।
1. भारत के पक्षी - राजेश्वर प्रसाद नारायण सिंह
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