डमरू की दुग्दुगी सुनते ही तमाम बच्चे तेज़ी से आवाज की तरफ भागते हैं क्यूंकि वहां पर मदारी अपने साँपों के साथ खेल दिखाने आया होगा। जौनपुर में यह आम बात है। हफ्ते महीने में कोई न कोई मदारी हर गावं में पहुंचा रहता है। मदारी अपने पास मुख्य रूप से कोबरा या करैत सांप रखते हैं। मदारी या सपेरे का काम धीरे-धीरे ख़त्म होने की कगार पर है परन्तु आज भी जौनपुर में ये मदारी दिखाई दे जाते हैं। जौनपुर में मदारी के पास पाए जाने वाले कोबरा सांप को फेटार सांप के नाम से जाना जाता है। जौनपुर की अटाला मस्जिद सांप के दंश को झाड़ने का प्रमुख केंद्र है। यहाँ पर जिले और पड़ोस जिलों से भी लोग दंश का इलाज कराने आते हैं। नौपेडवा, धनियामाऊ आदि स्थानों पर सांप पकड़ने और झाड़ने वाले रहते हैं जो कि जौनपुर में आस-पास के लोगों के लिए एक मात्र साधन हैं। जौनपुर के मदारियों से सम्बंधित कई विडियो भी यूट्यूब पर उपलब्ध हैं। ये विडियो कुछ विदेशी पर्यटकों द्वारा बनाया गया था जिसमें जौनपुर का एक मदारी किंग कोबरा सांप के साथ खेल दिखा रहा है-
मदारी का कार्य अत्यंत दुर्गम होता है। इसमें एक व्यक्ति एक बीन के सहारे सांप को काबू में करता है। सांप कोई भी संगीत सुन नहीं सकता परन्तु देख सकता है तो वह बीन के घूमने की दिशा में अपने आप को इधर-उधर करता है और लोगों को लगता है कि सांप बीन की धुन पर नाचता है। यदि मदारी की ऐतिहासिकता के बारे में देखा जाये तो मिस्र की सभ्यता में मदारियों का सन्दर्भ प्राप्त होता है। भारत के कई प्राचीन ग्रंथों में भी मदारी का उल्लेख मिलता है। मदारी भारत, पकिस्तान, बांग्लादेश में बड़ी संख्या में पाए जाते हैं तथा 19वीं 20वीं शताब्दी मदारियों के लिए स्वर्ण युग था जब लोग इनके खेलों में दिलचस्पी लेते थे। वर्तमान काल में इनके खेलों में लोग कम ही ध्यान देते हैं। नीचे दिए वीडियो एक न्यूज़ चैनल की क्लिप है जिसमें जौनपुर में सांप से जुड़ी एक रोचक घटना को बताया गया है -
मदारियों का काम सीखने के लिए जोगी डेरा जो कि कानपुर जिले में पड़ता है उपयुक्त स्थान है। यहाँ पर बड़े पैमाने पर मदारी रहते हैं। ये मदारी कम उम्र के बच्चे भी हैं जिनके हाथों में हम साँपों को देख सकते हैं। ये साँपों को इस प्रकार से अपने हाथों में लेकर रखते हैं जैसे कि कोई खिलौना रखा हो। जोगी डेरा से लोग देश के विभिन्न स्थानों पर मदारी का खेल दिखाने जाते हैं। मदारियों का सांप का खेल दिखाना ही प्रमुख रोजगार का साधन है। जोगी डेरा के मदारी रोज का करीब 200 रूपए कमा लेते हैं जिससे उनको पूरे परिवार का पेट पालना रहता है। जौनपुर में एक मदारी को लोग खेल दिखाने के लिए अनाज और पैसे भी देते हैं लेकिन मुख्य रूप से अनाज ही देते हैं। नीचे दिया वीडियो मुरारी नाम के एक सज्जन का है जिनका कार्य है सांप पकड़ना। मुरारी सालों से सांप पकड़ रहे हैं और वे सिर्फ पैसे के लिए ये कार्य नहीं करते बल्कि उन्हें इसमें मज़ा भी आता है। वीडियो के अंत में वे सांप पकड़ने से जुड़ी कुछ ख़ास बातें भी बताते हैं-
जौनपुर का और विश्व डी.एन.ए. फिंगरप्रिंट का एक महत्वपूर्ण सम्बन्ध है। यहीं के डॉ लाल जी सिंह का एक विशेष सम्बन्ध था साँपों से। उन्होंने अपनी शुरुवाती पढाई यहाँ के साँपों पर की और कई विश्व स्तर के शोध प्रस्तुत किये। उन्होंने साँपों की लैंगिकता पर कार्य किया था और उनके डी.एन.ए. पर भी। करैत सांप उनके अध्ययन का विषय थे। उनका साँपों के प्रति प्रेम और अध्ययन विश्व भर में माना गया। डी.एन.ए. पर किया गया उनका कार्य पूरे विश्व में प्रसिद्ध था।
1.https://www.hindustantimes.com/static/groundglass/child-play-jogidera-young-snake-charmers.html
2.https://www.irishtimes.com/news/world/asia-pacific/the-snake-charmers-of-jogi-dera-1.2950886
3.https://timesofindia.indiatimes.com/city/varanasi/Charm-of-snakes-led-this-scientist-to-DNA-fingerprinting/articleshow/15162804.cms
4.https://en.wikipedia.org/wiki/Snake_charming
5.https://medium.com/@frederic_38110/the-snake-charmers-secret-bd02f1914073
6.https://www.independent.co.uk/news/world/asia/charming-snakes-in-uttar-pradesh-a7546136.html
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.